
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता (Kolkata) का एक मशहूर दुर्गा पंडाल(Durga Puja) इस साल देश में कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन एवं साथ ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा की घटना को दर्शायेगा. शहर के उत्तरी भाग में दमदम पार्क भारत चक्र पंडाल के प्रवेश द्वार पर किसानों के ट्रैक्टर से खेत जोतने की एक विशाल प्रतिकृति लगायी गयी है जो उनके संघर्ष को दर्शाता है .उसके आसपास एक कार का एक स्केच है और उसके रास्ते में एक किसान लेटा है. नीचे बंगाली में लिखा है: मोटर गाड़ी उड़े धुलो नीचे पोरे चासीगुलो यानी कार धुंआ उड़ाती हुई जा रही है और किसान उसके पहिये के नीचे आ रहे हैं.
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पंडाल में सैंकड़ों चप्पल हैं जो प्रदर्शन के बाद के दृश्य को दर्शाते हैं. दरअसल प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई होने पर कई लोगों की चप्पल छूट जाती हैं. मुख्य पंडाल में धान की प्रतिकृति है जो छत से लटक रही है.इस विषय की अवधारणा पेश करने वाले कलाकार अनिर्बान दास ने कहा कि आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों के नाम विशाल ट्रैक्टर पर कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर लिखे हैं तथा ट्रैक्टर में पंख लगाये गये हैं.
उन्होंने कहा, ‘ये पंख बंधन से मुक्ति की इच्छा का प्रतीक हैं. '
पंडाल में एक अन्य पोस्टर अंग्रेजी में है जिसपर लिखा है, ‘हम किसान हैं न कि आतंकवादी, किसान अन्न सैनिक होते हैं.'पूजा समिति क सचिव प्रतीक चौधरी ने कहा कि वे किसानों के शोषण को सामने लाना चाहते हैं.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)