सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उठा लखीमपुर खीरी मामला (Lakhimpur Violence Case) भी उठा. सुप्रीम कोर्ट (supreme Court) ने कहा कि जब किसानों ने कृषि कानूनों को अदालत में चुनौती दी है तो फिर विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं. अदालत ने तो कृषि कानूनों (Farm Laws) के अमल करने पर रोक लगा रखी है. तो फिर किसान किस बात का विरोध कर रहे हैं. केंद्र की ओऱ से पेश अटार्नी जनरल ने कहा, अदालत को कहना चाहिए कि जब कानून पर पहले से ही सुनवाई चल रही है तो विरोध नहीं चल सकता. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की ओर ले जाता है.
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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कल लखीमपुर खीरी में हुई घटना हुई. 8 लोगों की की मौत हो गई. विरोध इस तरह नहीं हो सकता. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती हैं, सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. जान माल की हानि होती है, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब मामला पहले से ही अदालत में है तो लोग सड़कों पर नहीं उतर सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, विरोध क्यों हो रहा है ? कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी है. अटार्नी जनरल ने कहा, अदालत को कहना चाहिए कि जब कानून पर पहले से ही सुनवाई चल रही है तो विरोध नहीं चल सकता. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की ओर ले जाता है. जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक ओर तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी जारी है.
राजस्थान हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है. हम चाहते हैं कि दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हो. क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट में इन कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता किसान महापंचायत के वकील अजय चौधरी ने कहा कि यहां सुप्रीम कोर्ट में हमने अपनी याचिका में एमएसपी को लेकर समानता का जिक्र किया है. उसमें हमने फसल खरीद का एमएसपी और उपभोक्ता के लिए भी अधिकतम खरीद मूल्य भी तय करने की बात की है.
ताकि कोई कॉरपोरेट हाउस मनमानी नहीं कर सके। एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) से नीचे खरीद कर एमएसपी (मैक्सिमम सेलिंग प्राइस) से ऊपर न बेच सके. जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक ओर तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी जारी है.
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