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This Article is From Jan 23, 2019

विश्वविद्यालयों में विभागवार आरक्षण लागू होने पर बरसे तेजस्वी यादव, कहा - नागपुरिया ब्रांड मोदी सरकार सामाजिक न्याय विरोधी है

तेजस्वी ने कहा है कि लंबे संघर्ष के बाद उच्च शिक्षा में हासिल संवैधानिक आरक्षण को मोदी सरकार ने लगभग खत्म कर दिया

विश्वविद्यालयों में विभागवार आरक्षण लागू होने पर बरसे तेजस्वी यादव, कहा - नागपुरिया ब्रांड मोदी सरकार सामाजिक न्याय विरोधी है
तेजस्वी यादव (फाइल फोटो).
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कहा- SC/ST एक्ट की तरह यहां भी सरकार ने धोखा दिया
सवर्ण आरक्षण लाने वाले बहुजनों के साथ धोखाधड़ी कर रहे
विभागवार आरक्षण बंद कर पुराना नियम लागू करने की मांग की
पटना:

बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि लंबे संघर्ष के बाद उच्च शिक्षा में हासिल संवैधानिक आरक्षण को मनुवादी मोदी सरकार ने लगभग खत्म कर दिया है. 200 प्वाइंट रोस्टर के लिए सरकार द्वारा दायर कमजोर SLP को सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दिया गया है.

उन्होंने कहा है कि अब विभागवार आरक्षण, यानी 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा. SC/ST एक्ट की तरह यहां भी सरकार ने धोखा दिया. HRD मंत्री अध्यादेश लाने की बात कर पलट चुके हैं. सवर्ण आरक्षण चंद घंटों में लाने वाले बहुजनों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. उच्च शिक्षा के दरवाजे अब बहुसंख्यक बहुजन आबादी के लिए बंद हो चुके हैं.

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उन्होंने कहा है कि विभागवार आरक्षण बंद कर पुराना नियम लागू करो अन्यथा इस देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में बहुजन ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे.

तेजस्वी ने आरोप लगाया कि नागपुरिया ब्रांड मोदी सरकार सामाजिक न्याय विरोधी है, संविधान विरोधी है. दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक और बहुजन विरोधी है, आरक्षण विरोधी है. इन्होंने जांच एजेंसियों और संवैधानिक संस्थाओं का कबाड़ा कर दिया है. ये कट्टर संघी जातिवादी और पूंजीपरस्त लोग देश का बंटाढार कर नफरत बोने में लगे हैं.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के एक याचिका रद्द करने से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में SC, ST और OBC की  नियुक्तियां घट सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोटे के लाभ के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई के रूप में लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और UGC की अपील खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तर्कसंगत है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों, प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय-स्तर पर नौकरियों को एक साथ जोड़कर नहीं देख सकते. एक विभाग के प्रोफेसर की दूसरे विभाग के प्रोफेसर से तुलना कैसे की जा सकती है?

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