Covid-19 संक्रमण के आंकड़े जैसे-जैसे कम हो रहे हैं, इस महामारी पर देश की कई महत्वपूर्ण स्टडी सामने आ रही हैं. किस ब्लड ग्रुप पर कोरोना का कम प्रभाव दिखा, किस वर्ग और व्यवसाय के लोगों पर कोरोना का असर कितना दिखा, CSIR-IGIB की इस पर दिलचस्प स्टडी आई है. CSIR ने अपने 40 लैब के 10,427 कर्मचारियों पर सिरोसर्वे किया. जिसमें 1058 यानी 10 प्रतिशत लोगों में सिरोपोसिटीवीटी मिली. यानी इनके बिना पता चले ये संक्रमित हुए, और इनके अंदर एंटीबॉडी पाई गई. इनमें से 346 लोगों में तीन महीने तक एंटीबॉडी ज़्यादा और स्थिर दिखी. वहीं 35 व्यक्तियों के छह महीने में दोबारा नमूने लिये जाने पर एंटीबॉडी के स्तर में तीन महीने की तुलना में थोड़ी गिरावट दिखी. सर्वेक्षण में ये भी पाया गया कि ‘O' ब्लडग्रूप वाले लोग संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील हो सकते हैं, जबकि 'B' और 'AB' ब्लड ग्रुप वाले लोग अधिक जोखिम में हो सकते हैं.
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IGIB की निदेशक और वैज्ञानिक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल के बताया कि पूरे देश में फैले हुए हमारे सेंटर्स में, 10 हजार से ज़्यादा लोगों को टेस्ट करके हमने पाया कि लगभग 10 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी आ चुकी है. ये एकतरह से भारत के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि ये दिखाता है कि सितंबर में 10 करोड़, आज 20-30 करोड़ लोग ऐसे हैं इनमें एंटीबॉडी होगी. और हमारे टेस्ट में 3-6 में हमने देखा की एंटीबॉडी स्टेबल है. उन्होंने कहा कि सरकार वैक्सीन ला चुकी है तो अब धीरे धीरे इतने लोग इकट्ठा हो जाएंगे कि लोगों में कोरोना का संक्रमण फैलना मुश्किल हो जाएगा. डॉक्टर अनुराग के अनुसार सर्वे में हमने देखा कि कुछ ब्लड ग्रूप जैसे ‘O' और ‘A' इनमें हमने एंटीबॉडी कम पाई यानी या तो इन्हें इंफ़ेक्शन नहीं हुआ या हुआ और ऐंटीबॉडी नहीं बनी या जल्दी ख़त्म हो गयी.
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हैरानी की बात ये है कि स्टडी में शाकाहारी के साथ साथ धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में संक्रमण कम दिखा पर वैज्ञानिक इसके अलग कारण बताते हैं. जैसे धूम्रपान के कारण एंटीबॉडी जल्दी ख़त्म होना या एंटीबॉडी नहीं बन पाना. फ़्रंटलाइन ड्यूटी वाले लोगों में ज़्यादा प्रभाव जैसी बातें स्टडी में हाईलाइट हुईं हैं. डॉक्टर अनुराग के अनुसार स्टडी में हमने देखा कि जो लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, फ़्रंटलाइन ड्यूटी पर हैं, उनमें एंटीबोडी ज़्यादा है. हमने ये भी पाया कि जो लोग शाकाहारी हैं और धूम्रपान करते हैं उनमें एंटीबॉडी कम मिली. उन्होंने कहा कि इसका मतलब क्या है सिर्फ़ शोध ही बता पाएगा.''
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धूम्रपान से कोविड-रिकवरी में बाधाएं आईं हैं, एक्सपर्ट्स ये याद दिलाते हुए, सिरोसर्वे की इस बिंदु को तथ्यहीन बता रहे है. कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर राहुल पंडित कहते हैं कि इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि स्मोकर्स में और शाकाहारी में इंफ़ेक्शन कम होता है शायद पूरी तरह से सायंटिफ़िक नहीं है. कंबाला हिल हॉस्पिटल की सर्जिकल ओंकोलोजिस्ट डॉक्टर संजय शर्मा के अनुसार स्मोकिंग से लंग ख़राब होते हैं और ख़ासकर कोविड लंग्स पर अटैक करता है, मैंने खुद देखा है हमारे कुछ कॉलीग भी जो स्मोक करते थे और उनको कोविड हुआ था उनकी रिकवरी बहुत लेट हुई.'' इस तरह की रिसर्च विदेशों में पहले ही हो चुकी है. लेकिन भारत की स्टडी पर नयी सिरे से चर्चा जारी है. ऐसे और कई शोध हो रहे हैं.
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