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This Article is From Feb 15, 2023

फेस मास्क पहनने से COVID-19 के फैलाव को रोकने में ज़्यादा मदद नहीं मिली : अध्ययन का दावा

रिसर्च करने वालों ने कोविड-19 को रोकने में मास्क पहनने और मास्क नहीं पहनने की भूमिकाओं की तुलना की थी. इस संदर्भ में समीक्षा के लेखक ने कहा, "समुदायों द्वारा मास्क पहनने से संभवतः मामूली या कतई नहीं फर्क पड़ा..."

फेस मास्क पहनने से COVID-19 के फैलाव को रोकने में ज़्यादा मदद नहीं मिली : अध्ययन का दावा
रिसर्चरों ने कोविड-19 को रोकने में मास्क पहनने और मास्क नहीं पहनने की भूमिकाओं की तुलना की...

कोरोनावायरस (Coronavirus) और उससे होने वाले रोग कोविड-19 (COVID-19) को पांव पसारे हुए तीन साल से ज़्यादा हो चुके हैं, और दुनियाभर में यह बीमारी लाखों जानें लील चुकी है, लेकिन अब तक इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए हैं कि फेस मास्क लगा लेने से इस रोग के फैलाव को रोका जा सकता है. सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (CDC) ने शुरुआती दौर में दावा किया था कि फेस मास्क ज़रूरी नहीं हैं, लेकिन अप्रैल, 2020 आते-आते उन्होंने लोगों से मास्क पहनने के लिए कहना शुरू कर दिया.

फॉक्स न्यूज़ (Fox News) के मुताबिक, CDC के निदेशक डॉ रॉबर्ट रेडफील्ड ने सितंबर में कहा था कि फेस मास्क ही हमारे पास उपलब्ध सबसे ताकतवर स्वास्थ्य हथियार है.

फिर जल्द ही दुनियाभर में फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया.

अब, दुनियाभर के जाने-माने विश्वविद्यालयों के 12 रिसर्चरों के नेतृत्व में की गई समीक्षा के बाद कहा गया है कि कोविड-19 के फैलाव को रोकने में मास्क पहनने की भूमिका मामूली या कतई नहीं रही हो सकती है.

समीक्षा को कोचरेन लाइब्रेरी ने प्रकाशित किया है, और इसके तहत यह जांचने के लिए 78 नियंत्रित ट्रायल किए गए कि क्या 'शारीरिक रोकथाम' - यानी फेस मास्क पहनना और हाथों को धोते रहना - से कोरोनावायरस का फैलाव रुका या कम हुआ. स्लेट रिपोर्ट (Slate report) के अनुसार, कोचरेन समीक्षाओं को दुनियाभर में एविडेन्स-बेस्ड मेडिसिन का शानदार मानक माना जाता है.

रिसर्च करने वालों ने कोविड-19 को रोकने में मास्क पहनने और मास्क नहीं पहनने की भूमिकाओं की तुलना की थी. इस संदर्भ में समीक्षा के लेखक ने कहा, "समुदायों द्वारा मास्क पहनने से संभवतः मामूली या कतई नहीं फर्क पड़ा..."

अध्ययन में यह दावा भी किया गया कि मेडिकल / सर्जिकल मास्क बनाम N95 के बीच भी कोई स्पष्ट अंतर नहीं था. अध्ययन में पाया गया कि "N95 / P2 रेस्पिरेटर पहनने से संभवतः इस पर कोई फर्क नहीं या मामूली फर्क पड़ा कि कितने लोगों में फ्लू की पुष्टि हुई... (पांच अध्ययन; 8407 लोग); और इस पर भी बहुत कम फर्क या फर्क नहीं पड़ा कि कितने लोग फ्लू जैसी बीमारी से पीड़ित हुए (पांच अध्ययन; 8407 लोग), या सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित हुए... (तीन अध्ययन; 7799 लोग)..."

फॉक्स न्यूज़ के अनुसार, 78 अध्ययनों में सभी आयवर्ग वाले देशों के प्रतिभागियों पर ध्यान दिया गया.

अध्ययन के लेखकों ने बताया, रिसर्चरों ने वर्ष 2009 में एच1एन1 फ्लू महामारी, गैर-महामारी फ्लू के मौसम, वर्ष 2016 तक के महामारी फ्लू के मौसम और कोविड​​​​-19 महामारी के दौरान के आंकड़े इकट्ठे किए.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च का निष्कर्ष निश्चित नहीं है. समीक्षा में शामिल कुछ अध्ययनों को कोविड से पहले किया गया था, जब वायरस का प्रसार उतना तेज़ नहीं था. कई लोगों ने मास्क भी ईमानदारी से नहीं पहना. अन्य शोधों से पता चला है कि मास्क विशेष रूप से इन्डोर वातावरण में कोविड के फैलाव को काफी कम कर सकते हैं, और इसी वजह से वे एक महत्वपूर्ण उपकरण बन जाते हैं.

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