चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली में कारों को लेकर दिल्ली सरकार के नए नियम का सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस टीएस ठाकुर ने स्वागत किया है।
जस्टिस ठाकुर ने कहा कि कारों को लेकर सम और विषम नंबर के नियम का हम समर्थन करते हैं और इसके लिए हम साथी जजों के साथ कार पूल करने को भी तैयार हैं। दिल्ली की आबो हवा को बचाने के लिए बस में सफ़र करने या शटल लेने को भी तैयार हैं।
असहिष्णुता के मुद्दे पर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि सदियों से हम लोग एक साथ रह रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इतनी दिक़्क़त है। ये सियासी लोग पता नहीं कैसी-कैसी बात कर रहे हैं। चीफ़ जस्टिस ठाकुर ने गीता का एक श्लोक सुनाते हुए कहा... सभी रास्ते भगवान की तरफ़ जाते हैं।
दरअसल, बीते शुक्रवार को केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब दिल्ली में नंबर के हिसाब से सड़कों पर गाड़ियां चलेंगी। 2,4,6,8,0 के नंबर वाली गाड़ियां पहले दिन और 1,3,5,7,9 की गाड़ियां दूसरे दिन चलेंगी। यानि पहले दिन सम संख्या वाली और दूसरे दिन विषम संख्या वाली गाड़ियां चलेंगी। यह नियम सार्वजनिक परिवहन पर लागू नहीं किया जाएगा और इसे एक जनवरी से लागू किए जाने की बात कही जा रही है। सरकार का कहना है कि इस तरीके के ज़रिए राज्य में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को आधा किया जा सकता है। हालांकि इस फैसले की व्यवहारिकता पर राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं।
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जस्टिस ठाकुर ने कहा कि कारों को लेकर सम और विषम नंबर के नियम का हम समर्थन करते हैं और इसके लिए हम साथी जजों के साथ कार पूल करने को भी तैयार हैं। दिल्ली की आबो हवा को बचाने के लिए बस में सफ़र करने या शटल लेने को भी तैयार हैं।
असहिष्णुता के मुद्दे पर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि सदियों से हम लोग एक साथ रह रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इतनी दिक़्क़त है। ये सियासी लोग पता नहीं कैसी-कैसी बात कर रहे हैं। चीफ़ जस्टिस ठाकुर ने गीता का एक श्लोक सुनाते हुए कहा... सभी रास्ते भगवान की तरफ़ जाते हैं।
दरअसल, बीते शुक्रवार को केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब दिल्ली में नंबर के हिसाब से सड़कों पर गाड़ियां चलेंगी। 2,4,6,8,0 के नंबर वाली गाड़ियां पहले दिन और 1,3,5,7,9 की गाड़ियां दूसरे दिन चलेंगी। यानि पहले दिन सम संख्या वाली और दूसरे दिन विषम संख्या वाली गाड़ियां चलेंगी। यह नियम सार्वजनिक परिवहन पर लागू नहीं किया जाएगा और इसे एक जनवरी से लागू किए जाने की बात कही जा रही है। सरकार का कहना है कि इस तरीके के ज़रिए राज्य में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को आधा किया जा सकता है। हालांकि इस फैसले की व्यवहारिकता पर राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं।
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