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This Article is From Jul 14, 2015

असम बॉर्डर पर घुसपैठ को रोकने में नाकाम साबित हुई केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

असम बॉर्डर पर घुसपैठ को रोकने में नाकाम साबित हुई केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: असम-बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठ जैसे मामले को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद जमीन पर काम होते नजर नहीं आ रहा। कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की।

उपमन्यु हजारिका की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी सीमा पर कड़ी चौकसी के इंतजाम नहीं किए गए हैं। कई जगह रोशनी का इंतजाम किया गया, लेकिन वहां बिजली ही नहीं है। एक जगह ऐसी है, जहां भारत और बांग्लादेश के लोग आसानी से एक दूसरे के देश की सीमा रेखा में प्रवेश कर सकते हैं। कई जगहों पर पुलिस की गश्त के इंतजाम नहीं किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हजारिका को कहा है कि वो दो महीने बाद एक बार फिर इलाके का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। साथ ही राज्य सरकार को अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के केस देखने के लिए 64 ट्रिब्युनल को 10 अगस्त तक शुरू करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के भारत में जन्में बच्चों को यहां की नागरिकता दी जा सकती है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में आदेश दिया था कि केंद्र सरकार अवैध घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश की सीमा पर चौकसी के लिए तमाम इंतजाम करें। सीमा पर बाड लगाने के अलावा नियमित गश्त और लाइट लगाने के आदेश भी दिए गए थे।

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