
राजेंद्र कुमार की फाइल तस्वीर
- 50 करोड़ के कथित घोटाले में राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी
- पिछले साल सीबीआई ने उनके दफ्तर पर मारा था छापा
- प्रधान सचिव की गिरफ्तारी पर 'आप' सरकार ने केंद्र पर बोला तीखा हमला
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सीबीआई का आरोप है कि राजेंद्र कुमार ने अलग-अलग महकमों की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनों के नाम बनाई कई फर्जी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी की एफआईआर में कहा गया है कि 2006 में एंडेवर्स सिस्टम्स नाम की कंपनी बनाई गई। ये राजेंद्र कुमार और अशोक कुमार की फ्रंट कंपनी है। दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार इसके निदेशक थे। ये कंपनी सॉफ्टवेयर और सॉल्यूशन मुहैया कराती थी।
2007 में राजेंद्र कुमार ने दिल्ली सरकार की ओर से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए ICSIL का एक पैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू की। 2007 में राजेंद्र कुमार दिल्ली ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के सचिव बनाए गए। बिना उचित टेंडर के वे ठेके बांटते रहे। यह कुल मिलाकर 50 करोड़ रुपये का घोटाला है।
राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी पर दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार निचले स्तर पर उतर आई है। यह दिल्ली सरकार को बदनाम करने की साजिश है। दिल्ली सरकार के काम करने वाले अधिकारियों को हटाया जा रहा है। सिसोदिया ने कहा कि राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी पूरे सीएम दफ्तर को पंगु बनाने के मकसद से किया गया है। केंद्र सरकार राजनीतिक द्वेष की भावना से कदम उठा रही है।
पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई ने मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब राजेंद्र कुमार के दफ्तर में छापा मारा था। राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई के छापे के बाद 'आप' सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था।
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अफसर हैं और अरविंद केजरीवाल के दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया। केजरीवाल की तरह राजेंद्र कुमार भी आईआईटी के छात्र रह चुके हैं।
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