कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों ने अपना रुख कड़ा करते हुए मंगलवार को कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस ‘‘कराएंगे''. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध'' हैं.साथ ही आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के लिखित प्रस्ताव का लिखित जवाब दिया है. 9 दिसंबर को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने किसान संगठनों को लिखित प्रस्ताव भेजा था.
किसान संगठनों ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि किसान संगठनों ने उसी दिन एक संयुक्त बैठक की और आपकी तरफ से दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा की और इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि 5 दिसंबर 2020 को सरकारी प्रतिनिधियों द्वारा मौखिक प्रस्ताव का ही लिखित प्रारूप था. किसान संगठनों ने कहा कि हम अपनी मूल बातें पहले ही विभिन्न दौर की बातचीत में मौखिक तौर पर रख चुके थे, इसीलिए, लिखित जवाब नहीं दिया.हम चाहते हैं कि सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करना बंद करे और दूसरे किसान संगठनो से समानांतर वार्ता बंद करे.
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