प्रतिकात्मक फोटो
मुंबई:
बहुचर्चित शीना बोरा मर्डर केस के सहआरोपी संजीव खन्ना की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपी को मामले में सह-आरोपी के इकबालिया बयान की कॉपी पाने का अधिकार है। खन्ना ने सत्र न्यायालय में समक्ष इंद्राणी मुखर्जी के पूर्व ड्रायवर श्यामवर राय के बयान की प्रति मांगी थी। सत्र अदालत ने उसकी इस याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद खन्ना ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई।
संजीव खन्ना को अपनी पूर्व पत्नी इंद्राणी मुखर्जी की दूसरे रिश्ते से बेटी शीना की सनसनीखेज हत्या के मामले में सह-आरोपी बनाया गया है। इस मामले में इंद्राणी के पूर्व चालक श्यामवर राय को सरकारी गवाह बनाया गया है और माफी दे दी गई है।
न्यायमूर्ति साधना जाधव ने कहा कि किसी आरोपी को किसी मामले में सह-आरोपी या गवाहों के बयानों की प्रति पाने का अंतर्निहित अधिकार है, चूंकि इसे मुकदमे के दौरान साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा, ‘‘वह सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान के लिए कह रहे हैं। किसी आरोपी को इसका अधिकार है। उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हो, उससे पहले उन्हें यह सब पाना जरूरी है। यह उनका अंतर्निहित अधिकार है।’’ इससे पहले सीबीआई वकील पूर्णिमा कंथरिया ने कहा था कि एजेंसी खन्ना को इकबालिया बयान की प्रति देगी लेकिन बाद में।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें बयान देंगे लेकिन फिलहाल नहीं क्योंकि जांच चल रही है। राय का बयान हाल ही में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद दर्ज किया गया। उसे हाल ही में सरकारी गवाह बनने की अनुमति के साथ माफी दे दी गई।’’ हालांकि अदालत ने कहा कि अगर बयान निचली अदालत के सामने रखा गया है तो यह अभियोजन पक्ष का दस्तावेज नहीं रहता और सार्वजनिक दस्तावेज बन जाता है।
अदालत ने सीबीआई को हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है और याचिका पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
संजीव खन्ना को अपनी पूर्व पत्नी इंद्राणी मुखर्जी की दूसरे रिश्ते से बेटी शीना की सनसनीखेज हत्या के मामले में सह-आरोपी बनाया गया है। इस मामले में इंद्राणी के पूर्व चालक श्यामवर राय को सरकारी गवाह बनाया गया है और माफी दे दी गई है।
न्यायमूर्ति साधना जाधव ने कहा कि किसी आरोपी को किसी मामले में सह-आरोपी या गवाहों के बयानों की प्रति पाने का अंतर्निहित अधिकार है, चूंकि इसे मुकदमे के दौरान साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा, ‘‘वह सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान के लिए कह रहे हैं। किसी आरोपी को इसका अधिकार है। उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हो, उससे पहले उन्हें यह सब पाना जरूरी है। यह उनका अंतर्निहित अधिकार है।’’ इससे पहले सीबीआई वकील पूर्णिमा कंथरिया ने कहा था कि एजेंसी खन्ना को इकबालिया बयान की प्रति देगी लेकिन बाद में।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें बयान देंगे लेकिन फिलहाल नहीं क्योंकि जांच चल रही है। राय का बयान हाल ही में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद दर्ज किया गया। उसे हाल ही में सरकारी गवाह बनने की अनुमति के साथ माफी दे दी गई।’’ हालांकि अदालत ने कहा कि अगर बयान निचली अदालत के सामने रखा गया है तो यह अभियोजन पक्ष का दस्तावेज नहीं रहता और सार्वजनिक दस्तावेज बन जाता है।
अदालत ने सीबीआई को हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है और याचिका पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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