विज्ञापन

ग्रीन दिवाली के बावजूद क्यों नहीं सुधरती एयर क्वालिटी? ये 5 कारण बना रहे शहरों को गैस चैंबर

Pollution Causes: ग्रीन दिवाली के बावजूद एयर क्वालिटी क्यों नहीं सुधरती और कौन-से 5 बड़े कारण हैं जो शहरों को गैस चैंबर बना रहे हैं. आइए विस्तार से जानते हैं.

ग्रीन दिवाली के बावजूद क्यों नहीं सुधरती एयर क्वालिटी? ये 5 कारण बना रहे शहरों को गैस चैंबर
Pollution Causes: ग्रीन दिवाली के आवाहन के बावजूद भी क्यों बढ़ जाता है प्रदूषण?

Why Air Quality is Poor After Diwali: हर साल दिवाली के बाद एक सवाल बार-बार उठता है, जब हम ग्रीन दिवाली मना रहे हैं, तो हवा इतनी जहरीली क्यों हो जाती है? पटाखों पर बैन, जागरूकता अभियान, ग्रीन क्रैकर्स और सोशल मीडिया पर अपीलों के बावजूद, दिल्ली-NCR जैसे शहरों में दिवाली के बाद सांस लेना मुश्किल हो जाता है. ऐसा क्यों? आज हम जानेंगे कि ग्रीन दिवाली के बावजूद एयर क्वालिटी क्यों नहीं सुधरती और कौन-से 5 बड़े कारण हैं जो शहरों को गैस चैंबर बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: दिवाली के बाद सांसदिवाली के बाद सांस लेना क्यों हो जाता है मुश्किल? जानिए Air Quality का शरीर पर असर और बचाव के उपाय

प्रदूषण की मार, क्यों हो रही हवा इतनी खराब?

1. पराली जलाना: दिवाली के आसपास ही होता है चरम पर

उत्तर भारत के राज्यों खासकर पंजाब और हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर के बीच खेतों में पराली जलाने की प्रक्रिया होती है. ये धुआं हवा के साथ दिल्ली और आसपास के शहरों तक पहुंचता है. पराली से निकलने वाला धुआं PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कणों से भरपूर होता है. ये कण फेफड़ों में जाकर सांस की गंभीर समस्याएं पैदा करते हैं.

2. वाहनों की संख्या और ट्रैफिक जाम

त्योहारों के दौरान लोग खरीदारी, घूमने और रिश्तेदारों से मिलने के लिए ज्यादा बाहर निकलते हैं. इससे सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता है और वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को और खराब करता है. पेट्रोल और डीजल से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हवा को जहरीला बनाते हैं. ट्रैफिक जाम में खड़े वाहनों से स्थिर प्रदूषण फैलता है.

ये भी पढ़ें: कान का कबाड़ा कैसे निकालें? ये 5 घरेलू तरीके आएंगे काम, अपने आप निकलने लगेगी कान की गंदगी

3. पटाखों पर बैन के बावजूद जलाए जाते हैं

हालांकि सरकार हर साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाती है, लेकिन कई लोग नियमों की अनदेखी करते हैं. ग्रीन क्रैकर्स की जगह परंपरागत पटाखे जलाए जाते हैं, जो भारी मात्रा में धुआं और ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं. एक रात में ही AQI 400+ तक पहुंच जाता है, जो गंभीर श्रेणी में आता है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये स्थिति बेहद खतरनाक होती है.

4. शहरों की भौगोलिक स्थिति और मौसम का असर

दिल्ली जैसे शहर भौगोलिक रूप से ऐसे स्थान पर स्थित हैं जहां हवा की गति धीमी होती है. दिवाली के समय ठंड की शुरुआत होती है, जिससे प्रदूषक कण वातावरण में ही बने रहते हैं. हवा की गति कम होने से धुआं और धूल ऊपर नहीं उठ पाते. स्मॉग बनता है, जो सूरज की रोशनी को भी रोक देता है.

5. निर्माण कार्य और धूल का फैलाव

त्योहारों से पहले और बाद में निर्माण कार्य तेजी से होते हैं घरों की मरम्मत, सड़कों की सफाई, सजावट आदि। इससे धूल और मिट्टी हवा में मिल जाती है. खुले में रखे सीमेंट, बालू और ईंटें हवा को प्रदूषित करते हैं. एंटी-स्मॉग गन और पानी का छिड़काव भी कई बार पर्याप्त नहीं होता.

ये भी पढ़ें: हमेशा टाइम से आएंगे पीरियड्स, दर्द, क्रैम्प्स, मूड स्विंग की हो जाएगी छुट्टी, बस इन उपायों को अपनाएं

क्या कर सकते हैं हम?

  • पटाखों से पूरी तरह दूरी बनाएं, ग्रीन क्रैकर्स भी सीमित मात्रा में ही जलाएं.
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें और कार पूलिंग को बढ़ावा दें.
  • घर में इनडोर प्लांट्स लगाएं जैसे स्नेक प्लांट, एलोवेरा, मनी प्लांट.
  • N95 मास्क पहनें और सुबह-सुबह बाहर निकलने से बचें।
  • योग और प्राणायाम से फेफड़ों को मजबूत बनाएं.

ग्रीन दिवाली एक अच्छी पहल है, लेकिन जब तक सामूहिक जिम्मेदारी नहीं निभाई जाएगी, तब तक हवा साफ नहीं होगी. पराली, ट्रैफिक, पटाखे, मौसम और निर्माण कार्य, ये पांच कारण मिलकर शहरों को गैस चैंबर बना देते हैं.

Diwali 2025: ऐसे करें असली नकली मिठाइयों की पहचान! | Fake Vs Real | Adulteration | Sweets | Paneer

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com