Mobile Addiction: पहले हम मोबाइल का इस्तेमाल जरूरत के लिए किया करते थे लेकिन अब मोबाइल धीरे-धीरे लोगों की लत बनता जा रहा है. ये लत धीरे-धीरे बीमारी का रूप भी ले सकता है और आपको एग्जाइटी का शिकार बना सकता है. प्रोफेसर विजेन्द्र चौहान ने हाल में एक वीडियो शेयर कर बताया कि कैसे आजकल लोग नोमोफोबिया का शिकार हो रहे हैं. क्या आप भी अपने मोबाइल के बिना एक पल नहीं रह सकते? तो फिर आप अपने मोबाइल के गुलाम बन गए हैं. इस गुलामी से निकलने का रास्ता भी आपको खुद ही खोजना है.
इस तरह लोग हो रहे नोमोफोबिया के शिकार
प्रोफेसर विजेन्द्र चौहान ने हाल में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से इस वीडियो को शेयर किया. वीडियो में प्रो. विजेन्द्र कहते हैं कि पहले ऐसा लगता था कि हम अपने मोबाइल के मालिक हैं, लेकिन अब हमारा मोबाइल की हमारा मालिक बनता जा रहा है. मोबाइल हमें एक तरह की फोबिया का शिकार बना रहा है, ये है नोमोफोबिया. आप भी नोमोफोबिया के शिकार तो नहीं हो रहे? इसे जांचने के लिए आप एक टेस्ट करके देख सकते हैं.
इस तरह करें जांच
इस टेस्ट को करने के लिए आप अपने मोबाइल फोन को एक कमरे में रखें और खुद दूसरे कमरे में आ जाएं. अब इस बात की जांच करें कि क्या आप एग्जाइटी महसूस कर रहे हैं. अगर आप अपने मोबाइल से कुछ मिनटों के लिए अलग होने बाद ही बेचैनी और एंग्जाइटी महसूस करते हैं तो इसका मतलब ये है कि आप नोमोफोबिया यानी 'नो-मोबाइल-फोबिया' के शिकार हैं.
ये एक अलार्मिंग सिचुएशन है, अगर वक्त रहते स्मार्टफोन से चिपके रहने की आदत में सुधार नहीं किया गया तो ये मानसिक विकार का भी रूप ले सकता है. प्रो. विजेन्द्र ने कहा कि इस डिजिटल बंधन को थोड़ा काम करें और अपनी असली दुनिया में वापस आएं. आप भी नोमोफोबिया को मत दे सकते हैं. यही वक़्त है, अपने आप को और अपने प्यारों को डिजिटल ज़ंजीरों से मुक्त कर लें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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