Premanand Maharaj Ko Kya Bimari Hai?: प्रेमानंद महाराज वृंदावन के प्रसिद्ध संत हैं, जो राधा रानी की भक्ति में लीन रहते हैं. उनकी पदयात्राएं और प्रवचन लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा देते हैं. लेकिन, हाल ही में उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताजनक खबरें सामने आईं. उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Polycystic Kidney Disease - PKD) नामक बीमारी है, जो धीरे-धीरे किडनी को नुकसान पहुंचाती है. आखिर क्या है ये बीमारी और इसके लक्षण, कारण और उपाय क्या हैं? प्रेमानंद महाराज को कब शुरू हुई, कैसे बढ़ी और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है. यहां जानिए सब आसान भाषा में.
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प्रेमानंद महाराज को कौन-सी बीमारी है और कब शुरू हुई?
प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज है, जो एक अनुवांशिक यानी जेनेटिक बीमारी है. इसमें किडनी में कई छोटी-छोटी थैलियां (सिस्ट) बन जाती हैं, जो फ्लूइड से भरी होती हैं. ये सिस्ट धीरे-धीरे बढ़ती हैं और किडनी के सामान्य कामकाज पर असर डालती हैं.
बताया गया है कि महाराज को यह बीमारी कई साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन शुरुआती चरण में कोई गंभीर लक्षण नहीं थे. जैसे-जैसे समय बीता, उनकी किडनी की कार्यक्षमता घटती गई, जिसके कारण अक्सर उनकी तबियत बिगड़ती रहती है. उन्हें रेगुलर डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है.
बीमारी का पूरा प्रोसेस कैसे चलता है?
PKD का असर धीरे-धीरे होता है. इसका पूरा प्रोसेस कुछ इस तरह होता है:
- सिस्ट का बनना: किडनी में फ्लूइड से भरी थैलियां बनती हैं.
- किडनी का आकार बढ़ना: सिस्ट के कारण किडनी फूलने लगती है.
- दबाव और नुकसान: सिस्ट किडनी के टिशू पर दबाव डालती हैं, जिससे उसका काम प्रभावित होता है.
- लक्षण दिखना शुरू होते हैं: जैसे पेट दर्द, पेशाब में खून, हाई बीपी आदि.
- किडनी फेलियर की स्थिति: अगर समय पर इलाज न हो, तो किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर सकती है.
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण क्या होते हैं?
PKD के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं. शुरुआत में कोई खास संकेत नहीं दिखता, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, ये लक्षण दिख सकते हैं:
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- पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द.
- बार-बार पेशाब आना.
- पेशाब में खून आना.
- हाई ब्लड प्रेशर.
- थकान और कमजोरी.
- सिरदर्द
- किडनी फेल होने की स्थिति
प्रेमानंद महाराज की हालत में भी यही लक्षण देखे गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया और डायलिसिस शुरू हुआ.
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज का कारण क्या हैं?
PKD मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होती है. यानी अगर परिवार में किसी को यह बीमारी रही है, तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है.
ऑटोसोमल डॉमिनेंट PKD: ये सबसे आम प्रकार, जिसमें एक माता-पिता से जीन मिलने पर बीमारी हो सकती है.
ऑटोसोमल रिसेसिव PKD: ये दुर्लभ प्रकार, जिसमें दोनों माता-पिता से जीन मिलने पर बीमारी होती है.
इसके अलावा कुछ मामलों में अनहेल्दी लाइफस्टाइल, धूम्रपान, बहुत ज्यादा शराब सेवन और हाई बीपी भी किडनी की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं.
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बचाव के उपाय क्या हैं?
हालांकि PKD का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है:
नियमित जांच कराएं: अगर परिवार में किसी को PKD है, तो समय-समय पर किडनी की जांच कराना जरूरी है.
ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखें: हाई बीपी PKD को तेजी से बढ़ाता है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना चाहिए.
हेल्दी डाइट अपनाएं: नमक, प्रोटीन और फैट की मात्रा सीमित रखें. ताजे फल-सब्जियां खाएं.
पर्याप्त पानी पिएं: शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं.
धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं: ये किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं.
डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें: बिना सलाह के कोई भी दवा न लें.
तनाव कम करें: मानसिक तनाव भी शरीर की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है.
प्रेमानंद महाराज की बीमारी ने हमें यह सिखाया है कि किडनी की सेहत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही जानकारी और सावधानी से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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