
Pregnancy Mein Vrat Kaise Rakhe: भारत में व्रत रखना एक धार्मिक परंपरा है, जो आस्था और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है. लेकिन, जब बात गर्भवती महिलाओं की आती है, तो सवाल उठता है क्या व्रत रखना सुरक्षित है? आज करवा चौथ है. यह व्रत भारतीय संस्कृति में पति की लंबी उम्र और दांपत्य प्रेम का प्रतीक माना जाता है. लेकिन जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो क्या उन्हें व्रत रखना चाहिए? क्या भूखे रहना बच्चे की सेहत पर असर डाल सकता है? क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे व्रत भी रखा जाए और सेहत भी बनी रहे?
गर्भावस्था में मां और बच्चे दोनों की सेहत बेहद संवेदनशील होती है और लंबे समय तक भूखा रहना या पानी न पीना कई बार जोखिम भरा साबित हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं व्रत रखने से पहले सही जानकारी और डॉक्टर की सलाह लें. इस लेख में हम जानेंगे कि करवा चौथ पर गर्भवती महिलाएं व्रत कैसे रखें, क्या सावधानियां बरतें और कौन-से विकल्प अपनाएं ताकि आस्था और सेहत दोनों बनी रहे.
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प्रेंग्नेंसी में व्रत रखने का सही तरीका:
गर्भवती महिलाओं को आमतौर पर व्रत रखने की मनाही होती है. क्योंकि पूरे दिन भूखे रहने से बच्चे और खुद होने वाली मां को नुकसान हो सकता है. देवकी नंदन ठाकुर जी कहते हैं, कि शास्त्रो में इसका विधान है कि गर्भवती स्त्री मानसिक रूप से व्रत कर सकती है. प्रेग्नेंसी में व्रत रखने के लिए भूखे पेट रहने की जरूरत नहीं है इससे शिशु को नुकसान हो सकता है.
सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें:
गर्भावस्था हर महिला के लिए अलग होती है: किसी को थकावट ज्यादा होती है, किसी को उल्टी या कमजोरी रहती है ऐसे में आपके लिए सही सलाह आपके डॉक्टर ही दे सकते हैं. व्रत रखने से पहले अपने गाइनकोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें. अगर आपकी प्रेग्नेंसी हाई-रिस्क है, तो व्रत से बचना ही बेहतर है. डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल और बच्चे की ग्रोथ को देखकर सही सलाह देंगे.
व्रत का समय और प्रकार समझदारी से चुनें
निर्जला व्रत (बिना पानी)
गर्भवती महिलाओं के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. अगर व्रत रखना है, तो फलाहार व्रत चुनें जिसमें आप फल, दूध, ड्राई फ्रूट्स और लिक्विड्स ले सकती हैं. लंबे समय तक भूखा रहना शरीर में ग्लूकोज की कमी कर सकता है, जिससे चक्कर, थकावट और बच्चे को पोषण की कमी हो सकती है.
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क्या खाएं व्रत में ताकि सेहत बनी रहे?
- हर 2–3 घंटे में कुछ न कुछ खाएं जैसे केला, सेब, नारियल पानी, छाछ, खजूर या भिगोए हुए बादाम.
- दूध और दही से कैल्शियम मिलेगा, जो बच्चे की हड्डियों की ग्रोथ के लिए जरूरी है.
- साबूदाना खिचड़ी, फल और मूंगफली जैसे हल्के स्नैक्स से एनर्जी बनी रहती है.
- शक्कर और नमक का संतुलन बनाए रखें. बहुत ज्यादा मीठा या नमकीन खाने से ब्लड प्रेशर बिगड़ सकता है.
हाइड्रेशन का रखें खास ध्यान
- गर्भावस्था में शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है.
- व्रत के दौरान नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, सूप या फलों का रस लेते रहें.
- डिहाइड्रेशन से बचें, क्योंकि इससे सिरदर्द, थकावट और मूड स्विंग्स हो सकते हैं.
आराम और ध्यान भी जरूरी
- व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक आराम बहुत जरूरी है.
- योग, प्राणायाम या हल्का ध्यान करने से मन शांत रहता है और तनाव कम होता है.
- ज्यादा देर खड़े न रहें, भारी काम न करें और अच्छी नींद लें.
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कब व्रत छोड़ देना चाहिए?
अगर चक्कर आए, उल्टी हो, पेट में दर्द हो या बच्चे की मूवमेंट कम लगे, तो तुरंत व्रत छोड़ें और डॉक्टर से संपर्क करें.
व्रत धर्म का हिस्सा है, लेकिन सेहत सबसे बड़ा धर्म है.
गर्भवती महिलाएं व्रत रख सकती हैं, लेकिन सही तरीका अपनाकर. डॉक्टर की सलाह, पोषण से भरपूर फलाहार, हाइड्रेशन और आराम के साथ व्रत रखा जाए तो यह न सिर्फ सुरक्षित होता है, बल्कि मानसिक शांति भी देता है. याद रखें, मां की सेहत ही बच्चे की पहली सुरक्षा है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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