आज के समय में बढ़ते कॉम्पटीशन और पेरेंटल प्रेशर की वजह से बच्चों में मेंटल हेल्थ की समस्या बढ़ती जा रही है. कई बार प्रेशर इतना बढ़ जाता है कि बच्चा डिप्रेशन जैसी बीमारी तक का शिकार हो जाता है. इसके लिए कई वजह से पेरेंटस भी जिम्मेदार हैं. कभी कभी घर का माहौल कुछ इस प्रकार का हो जाता है कि बच्चे अपने माता पिता से अपनी पर्सनल लाइफ की परेशानी डिस्कस नहीं कर पाते. इसलिए पेरेंटस के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों के दोस्त बनें. अपने बच्चों को टाइम दें और उनसे समय-समय पर उनकी बातें डिस्कस करते रहें. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स जिन्हें फॉलो कर आप अपने लाडले हर तरह के मेंटल स्ट्रेस से बचा सकते हैं.
बच्चों को मानसिक रूप से कैसे कैसे हेल्दी रखें? | How To Keep Children Mentally Healthy?
1) बच्चे को सपोर्ट करें
अपने बच्चे को सपोर्ट करें. वो जो करना चाहता या चाहती है उसे करने दें और उनका हौसला बढ़ाएं. अपने बच्चे को किसी दूसरे के बच्चे के साथ कंपेयर न करें. जब आप उसे फुल सपोर्ट करेंगे तो वो मानसिक रूप से ओर मजबूत होगा और अपने लाइफ के डिसीजन्स से ले पाएगा.
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2) आत्मनिर्भर बनाएं
बच्चे को थोड़ा फ्रीडम देनी चाहिए ताकि वह घर से बाहर निकलें और चीजों को समझ कर अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं. बच्चे के डेवलपमेंट के लिए उसकी आजादी जरूरी है. कई बार माता पिता बच्चे पर इतनी बंदिशे लगा देते हैब जिससे उसका मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता इसलिए अपने बच्चे को आजादी दें जिससे वो आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी जिंदगी के फैसले सही तरीके से ले पाएं.
3) बच्चों से दोस्ती करें
बच्चों के साथ पेरेंट्स की तरह नहीं बल्कि उनके दोस्त की तरह बहस करें. कई बार पेरेंट्स बच्चे के लिए कई तरह के सख्त नियम बना देते हैं जिससे बच्चा डर जाता है. बच्चे पर लगातार उन नियमों का पालन करने का प्रचार होता है और धीरे-धीरे इसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लग जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे के साथ बैठकर उससे प्यार से बातें करें ताकि उसके मन में किसी तरह का बोझ ना हो और वह खुलकर जिंदगी जी पाए.
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4) बच्चे को समझने की करें कोशिश
जब आप अपने बच्चे को समझने की कोशिश करेंगे और उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएंगे तभी बच्चा आपके साथ कंफर्टेबल हो पाएगा और अपने दिल की बात शेयर कर पाएगा. कई बार बच्चे समय ना मिल पाने की वजह से अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातें शेयर नहीं करते, जिसकी वजह से उनकी परेशानियां उनके मेंटल हेल्थ पर असर डालने लगती हैं. तो जरूरी है कि बच्चे से उनके मन की बात सुने और उनकी समस्याओं का हल निकालें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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