विज्ञापन

पुरानी पीढ़ियों की तुलना में जेन एक्स, मिलेनियल्स वाले लोगों को इन 17 कैंसर का खतरा ज्यादा: स्टडी

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के शोधकर्ताओं के इस नए अध्ययन में पता चला कि जेनरेशन एक्स (जेन एक्स) और मिलेनियल्स लोगों को 17 तरह के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है.

पुरानी पीढ़ियों की तुलना में जेन एक्स, मिलेनियल्स वाले लोगों को इन 17 कैंसर का खतरा ज्यादा: स्टडी
यह अमेरिकन कैंसर सोसायटी के शोधकर्ताओं के इस नए अध्ययन में पता चला है.

कैंसर का नाम सुनते ही एक खतरनाक बीमारी जहन में आती है. जानलेवा होने से यह इसका खौफ और भी बढ़ जाता है. हालांकि अब कैंसर का इलजा संभव है. कैंसर से बचाव के लिए समय रहते इसकी पहचान और फिर सही इलाज बेहद जरूरी है. इसी बीच अब हाल ही में कैंसर को लेकर एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है. अमेरिकन कैंसर सोसायटी के शोधकर्ताओं के इस नए अध्ययन में पता चला कि जेनरेशन एक्स (जेन एक्स) और मिलेनियल्स लोगों को 17 तरह के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है.

यह भी पढ़ें: हड्डियों को बनाना है लोहे जैसा मजबूत, तो ये 4 चीजें करेंगी कमाल, Strong Bones के लिए अभी से रूटीन में करें शामिल

क्या कहती है स्टडी?

नए शोध में पाया गया है कि युवा पीढ़ी में कुछ कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है. लैंसेट पब्लिक हेल्थ में बुधवार को प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जेन एक्स और मिलेनियल्स में 17 प्रकार के कैंसर होने की संभावना ज्यादा है. शोधकर्ताओं को यकीन नहीं है कि ऐसा क्यों होता है, लेकिन उनका कहना है कि मोटापा इसका प्रमुख कारण हो सकता है. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी में कैंसर महामारी विज्ञानी ह्युना सुंग ने कहा, "इन पीढ़ियों में जो हो रहा है, उसे भविष्य के कैंसर के रुझानों के लिए एक संकेत माना जा सकता है." शोध का नेतृत्व करने वाले ह्युना सुंग ने कहा, कोलोरेक्टल कैंसर की दर - 17 प्रकारों में से एक दशकों से युवा लोगों में बढ़ रही है, ये एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति जिसने अन्य प्रकार के कैंसर की जांच को बढ़ावा दिया.

सुंग और उनके सहयोगियों ने दो डेटाबेस - नॉर्थ अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ सेंट्रल कैंसर रजिस्ट्रीज और यू.एस. नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स  से कैंसर डायग्नोस और मृत्यु दर के आंकड़ों का उपयोग 1920 और 1990 के बीच पैदा हुए लोगों में कैंसर के रुझानों का विश्लेषण करने के लिए किया, जिन्हें 2000 और 2019 के बीच कैंसर का डायग्नोस किया गया था.

डेटा में 34 प्रकार के कैंसर लगभग 24 मिलियन डायग्नोस और 7 मिलियन से ज्यादा मौतें शामिल थीं. एक ही साल के आसपास पैदा हुए लोगों के समूहों में कैंसर के डायग्नोस और मृत्यु दर में कैसे बदलाव आया, इसका बेहतर दृश्य प्राप्त करने के लिए जिसे जन्म समूह कहा जाता है - शोधकर्ताओं ने लोगों को जन्म वर्ष के अनुसार पांच साल के अंतराल में समूहीकृत किया. उदाहरण के लिए 1920 से 1924 के बीच पैदा हुए लोग सभी एक एज ग्रुप के थे.

यह भी पढ़ें: ये चीजें खाने से शरीर में तेजी से बढ़ेगा Vtamin A, इन 5 लोगों के लिए है बहुत जरूरी, दवा खाना भूल जाएंगे

34 कैंसर में से 17 में युवा लोगों में इन घटनाओं की वृद्धि देखी गई. 1955 में जन्मे लोगों की तुलना में 1990 में जन्मे लोगों में अग्नाशय किडनी और छोटी आंत के कैंसर का जोखिम दो से तीन गुना ज्यादा था. महिलाओं में लिवर कैंसर के डायग्नोस में भी यही पैटर्न देखा गया.

"सबसे जरूरी बात जो हमें पता चलती है वह यह है कि इस समय अवधि के बाद पैदा हुए व्यक्तियों के समूह में कुछ बदलाव हुआ है. वे कुछ पर्यावरणीय या जीवनशैली कारकों के संपर्क में आए हैं, जो इस बदलाव का कारण बन रहे हैं," मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. एंड्रिया सेरसेक ने कहा, जो इस शोध से जुड़े नहीं थे.

दशकों तक गिरावट के बाद इस प्रकार के कैंसर फिर से बढ़ने लगे हैं:

  • कोलोरेक्टल
  • एंडोमेट्रियल
  • गैर-कार्डिया गैस्ट्रिक
  • पित्ताशय
  • ओवेरियन
  • वृषण
  • एनल
  • एस्ट्रोजन-रिसेप्टर पॉजिटिव स्तन कैंसर
  • एचआईवी से जुड़ा कैंसर जिसे कापोसी सार्कोमा कहा जाता है

जबकि अध्ययन में पाया गया कि ज्यादातर कैंसर के लिए युवा पीढ़ी में मृत्यु दर में कमी आई है या स्थिर रही है, एंडोमेट्रियल, इंट्राहेपेटिक पित्त नली, पित्ताशय, कोलोरेक्टल और वृषण कैंसर के लिए युवा आयु समूहों में मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, साथ ही महिलाओं में लिवर कैंसर भी.

डायग्नोस और मृत्यु दर दोनों के लिए एंडोमेट्रियल कैंसर सबसे तेजी से बढ़ रहा था. "यह एक गंभीर खोज थी," सुंग ने कहा. "हालांकि कई कैंसर की दरें बढ़ रही हैं, लेकिन हमें मृत्यु दर में यह वृद्धि जरूरी नहीं दिखती है क्योंकि हम उनका इलाज पहले से कहीं बेहतर तरीके से कर रहे हैं."

कई कैंसर जो बढ़ रहे हैं, वे अभी भी युवा लोगों में दुर्लभ हैं और जबकि दरें बढ़ी हैं, कुल मामलों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है.

यह भी पढ़ें: सोने से पहले कच्चे दूध में ये चीज मिलाकर लगाएं, सुबह शीशे में ग्लोइंग स्किन देख हो जाएंगे खुश, जानें तरीका

इन 17 कैंसर का है खतरा:

स्टडी में सामने आए इन 17 तरह के कैंसर में महिलाओं में गैस्ट्रिक कार्डिया, छोटी आंत, महिलाओं में एस्ट्रोजन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट, ओवरी, लिवर और इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट, महिलाओं में नॉन-HPV- असोसिएटिव ओरल और फैरिक्स कैंसर शामिल हैं. वहीं, पुरुषों में एनल, कोलन और रेक्टल, यूटेरिन कॉर्पस, गॉल ब्लेडर और अन्य बाइल, किडनी और रीनल पेल्विस, पैनक्रियाज, मायलोमा, नॉन-कार्डिया गैस्ट्रिक, टेस्टिस, ल्यूकेमिया और कपोसी सारकोमा शामिल हैं.

क्या हैं फैटी लिवर की 4 स्टेज, कैसे करें बचाव | Fatty Liver Stages: Symptoms, Causes

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
नसों और हड्डियों में भर जाएगी ताकत, शरीर बनेगा फौलादी, बस डाइट में शामिल कर लें ये चीज
पुरानी पीढ़ियों की तुलना में जेन एक्स, मिलेनियल्स वाले लोगों को इन 17 कैंसर का खतरा ज्यादा: स्टडी
इन दिनों खांसी जुकाम से हैं परेशान, तो बस आजमा लें ये कारगर घरेलू उपाय, दिलाएगा जल्द मिलेगी राहत
Next Article
इन दिनों खांसी जुकाम से हैं परेशान, तो बस आजमा लें ये कारगर घरेलू उपाय, दिलाएगा जल्द मिलेगी राहत
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com