विज्ञापन

अक्सर रहता है सिर में दर्द? कहीं आप भी शिरोरोग से तो नहीं परेशान! जानें प्रकार, लक्षण और समाधान

हरेक दोष से जूझ रहे व्यक्ति को अलग-अलग तरह की समस्या होती है. चरक संहिता में सिरदर्द में शीतल लेप, शुद्ध देसी घी का सेवन, दूध, त्रिफला जैसे रसायन और शुद्ध हवा में विश्राम करने की सलाह दी गई है.

अक्सर रहता है सिर में दर्द? कहीं आप भी शिरोरोग से तो नहीं परेशान! जानें प्रकार, लक्षण और समाधान
शिरोरोग को मेनली 5 प्रकारों में बांट गया वातज, पित्तज, कफज, त्रिदोषज और कृमिज.

सिरदर्द को ही शिरोरोग कहते हैं. शिरोरोग एक सामान्य सी लेकिन बहुत कष्टदायक समस्या है, जिसका अनुभव लगभग हर व्यक्ति ने जीवन में किसी न किसी स्टेज में किया है. यह समस्या कभी-कभार पैदा होती है तो कभी नियमित रूप से जीवन को प्रभावित करने लगती है. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में सिरदर्द की व्याख्या एक स्वतंत्र रोग के रूप में की गई है. सुश्रुत संहिता के अनुसार, शिरोरोग को मेनली 5 प्रकारों में बांट गया वातज, पित्तज, कफज, त्रिदोषज और कृमिज. वहीं चरक संहिता के सूत्रस्थान के 17वें अध्याय में भी इन्हीं प्रकारों का उल्लेख मिलता है और इनकी उत्पत्ति त्रिदोषों (वात, पित्त और कफ) के असंतुलन के आधार पर मानी गई है. इसका जुड़ाव पेट की गड़बड़ी से भी है. हरेक दोष से जूझ रहे व्यक्ति को अलग-अलग तरह की समस्या होती है.

ये भी पढ़ें- डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है ज्यादा खतरनाक, स्टडी का दावा

वातज सिरदर्द क्या है?

वातज सिरदर्द आमतौर पर मानसिक थकान, नींद की कमी, ज्यादा चिंता और कब्ज जैसी स्थितियों से जुड़ा होता है. इसमें सिर में तेज दर्द होता है जो रात के समय और ज्यादा बढ़ सकता है. इलाज साधारण है. तेल मालिश, घी या गर्म वस्तुओं (दूध) के सेवन से आराम मिलता है.

पित्तज सिरदर्द

पित्तज में सिर में जलन, आंखों में गर्मी, तेज प्यास और चिड़चिड़ापन प्रमुख लक्षण होते हैं. इस प्रकार के सिरदर्द में शीतल और ठंडे उपचार जैसे चन्दन का लेप, ठंडी चीजों का सेवन और आऱाम लाभदायक माना गया है. कफज सिरदर्द मेनली भारीपन, आलस्य, नींद और नाक बंद जैसी स्थितियों के साथ होता है. यह आमतौर पर सर्दी, नमी या ज्यादा कफ वाली डाइट लेने के कारण होता है. इसमें धूमपान, नस्य, गर्म पानी का भाप लेना और कफहर औषधियां उपयोगी मानी जाती हैं.

सबसे आम प्रकार का सिरदर्द

अब बात उस माइग्रेन की जो आज के कॉरपोरेट वर्ल्ड में सुनने को मिलती है. सुश्रुत संहिता में एक अलग प्रकार के शिरोरोग को "अर्धावभेदक" कहा गया है. इसमें दर्द केवल सिर के एक ओर होता है, तीव्र, चुभने जैसा होता है और अक्सर प्रकाश या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है. इसका कारण वात और पित्त दोषों की प्रधानता होती है. इसका इलाज नेस्य क्रिया, शिरोधारा (पंचकर्म), विश्राम और मानसिक शांति प्रदान करने वाली विधियों से किया जाता है.

ये भी पढ़ें- मां या पापा को है BP की दिक्कत, तो उन्हें खिलाएं ये 5 चीजें, बिना दवा कंट्रोल में रहने लगेगा हाई ब्लड प्रेशर

सिरदर्द होने पर क्या करना चाहिए?

चरक संहिता में ऐसे सिरदर्दों में शीतल लेप, शुद्ध देसी घी का सेवन, दूध, त्रिफला जैसे रसायन और शुद्ध वायु में विश्राम करने की सलाह दी गई है. वहीं सुश्रुत संहिता शिरोरोग के निदान और चिकित्सा में पंचकर्म जैसे शोधन उपायों का उपयोग भी जरूरी मानती है, खासकर जब रोग पुराना हो या सामान्य उपायों से ठीक न हो.

तो कह सकते हैं कि सिरदर्द केवल एक शारीरिक रोग ही नहीं है, बल्कि यह मानसिक, डाइट संबंधी और पर्यावरणीय कारणों से भी जुड़ा होता है. अगर लाइफस्टाइल में सुधार, भोजन की शुद्धता और मानसिक स्थिति की स्थिरता को अपनाया जाए, तो शिरोरोग से न केवल राहत मिल सकती है, बल्कि इसे जड़ से मिटाना भी संभव है.

Watch Video: Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: Stress, Anxiety से लेकर Relationship, Spirituality तक हर बात

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com