
Safe Diwali Tips: दिवाली रोशनी और खुशियों का त्योहार है, लेकिन पटाखों के कारण हर साल कई घरों में खुशी की जगह हादसे दस्तक दे देते हैं. पटाखे चलाने का एक्साइटमेंट कई बार लापरवाही में बदल जाता है और यही लापरवाही गंभीर चोटों तक पहुंच जाती है. हर साल सैकड़ों लोग, खासकर 10 से 16 साल के बच्चे, पटाखों से जलने या आंख में चोट की वजह से इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचते हैं. याद रखें एक मामूली गलती गंभीर हादसे का कारण बन सकती है.
दिवाली पर पटाखे जलाते वक्त रखें इन बातों का ख्याल (Keep this in mind before lighting firecrackers on Diwali)
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फर्स्ट एड किट रखें तैयार
त्योहार के दौरान बच्चों को पटाखों से पूरी तरह दूर रखना मुश्किल होता है, लेकिन घर पर एक बेसिक फर्स्ट एड किट रखकर किसी बड़ी समस्या को शुरुआती स्तर पर संभाला जा सकता है. इस किट में बैंड-एड, स्टरलाइज्ड पट्टी, मेडिकल टेप, डिस्पोजेबल ग्लव्स, अल्कोहल वाइप्स, हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम, पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट और कैलामाइन लोशन जैसे सामान होने चाहिए. हादसे की स्थिति में ये शुरुआती मदद बहुत काम आती है.
सुरक्षित पटाखे ही खरीदें
दिवाली पर सुरक्षित रहने के लिए ज़रूरी है कि पटाखे सिर्फ भरोसेमंद और लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही खरीदे जाएं. बच्चों को कभी भी अकेले पटाखे जलाने न दें. एक ज़िम्मेदार बड़े की निगरानी जरूरी है क्योंकि रॉकेट या स्पार्कलर गलत दिशा में जा सकते हैं. पटाखा जलाने से पहले सेफ्टी ग्लास का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है. एक बार में सिर्फ एक पटाखा जलाएं और तुरंत दूर हट जाएं. पटाखे हमेशा खुले और साफ़ मैदान में जलाएं, घर या कारों के पास नहीं. जो पटाखा एक बार बुझ जाए, उसे दोबारा जलाने की कोशिश न करें. कम से कम 20 मिनट बाद उसे पानी में भिगो दें.
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जलन कम करने के लिए ठंडा पानी है बेस्ट
अगर जलने की घटना हो जाए तो सबसे पहले आग को तुरंत बुझाएं और व्यक्ति को उस जगह से हटा दें. हल्की जलन होने पर ठंडा पानी डालें और साफ़ पट्टी बांध दें. आंख में चोट होने पर खुद इलाज करने की कोशिश न करें. न आंख मलें, न पानी डालें और न कोई जेल या मरहम लगाएं. सीधे इमरजेंसी डॉक्टर के पास जाएं.
पटाखों के कारण होने वाले हादसों में सबसे ज़्यादा चोटें चेहरे, आंखों और हाथों पर होती हैं. छोटे बच्चों (0 से 6 वर्ष) में चेहरे की चोटें आम हैं, जबकि 10 से 16 साल के किशोरों में हाथ और उंगलियां सबसे ज़्यादा प्रभावित होती हैं. 22 साल से ज़्यादा उम्र वालों में पैर और टांगों की चोटें अधिक देखी जाती हैं. पटाखों से होने वाले हादसों में जलन, कटाव, खरोंच और कई बार दृष्टि चली जाना तक शामिल है.
पटाखे त्योहार का रोमांच बढ़ाते हैं, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही जिंदगीभर का दर्द छोड़ सकती है. दिवाली रोशनी बांटने का त्योहार है, इसे हादसों का त्योहार न बनने दें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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