पोरबंदर में राहुल ने कहा- गुजरात सिर्फ 5-10 कारोबारियों का नहीं, किसान और मजदूर का

राहुल ने केन्‍द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटबंदी के समय जब आप लाइन में लगते थे तो क्या किसी सूट-बूटवाले को देखा था? मैं बताता हूं क्यों नहीं देखा था क्योंकि वो पहले से ही बैंक के अंदर एसी में बैठे थे पीछे से घुसकर.

पोरबंदर में राहुल ने कहा- गुजरात सिर्फ 5-10 कारोबारियों का नहीं, किसान और मजदूर का

राहुल बोले, गुजरात के दो बेटों महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने अंग्रेजों को भगाया था

खास बातें

  • कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी दो दिन के गुजरात दौरे पर
  • राहुल ने नोटबंदी को लेकर केन्‍द्र सरकार पर साधा निशाना
  • बीजेपी की सरकार सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए है: राहुल
पोरबंदर :

राहुल गांधी गुजरात दौरे के पहले दिन पोरबंदर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि गुजरात के दो बेटों महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने अंग्रेजों को भगाया था. उन्‍होंने कहा कि गुजरात सिर्फ 5-10 कारोबारियों का नहीं है. यह किसानों, मजदूरों और छोटे कारोबारियों का है.

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राहुल ने केन्‍द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटबंदी के समय जब आप लाइन में लगते थे तो क्या किसी सूट-बूटवाले को देखा था? मैं बताता हूं क्यों नहीं देखा था क्योंकि वो पहले से ही बैंक के अंदर एसी में बैठे थे पीछे से घुसकर. उन्‍होंने कहा कि बीजेपी की सरकार सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए है. मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय होना चाहिए. 

आपको बता दें कि दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह राहुल शुक्रवार को दलित शक्ति केंद्र (डीएसके) जाएंगे. यह एक व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान है जिसे दलित कार्यकर्ता चलाते हैं. यह इस जिले के साणंद कस्बे के पास है.

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गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान राहुल दलित शक्ति केंद्र के दलित छात्रों से विशाल ध्वज स्वीकार करेंगे. इसकी लंबाई 125 फुट और चौड़ाई 83 फुट है. वह वहां आसपास के इलाकों के स्थानीय लोगों और दलितों को भी संबोधित करेंगे. दोशी ने दावा किया कि अब तक बना यह सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज है. इसे गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी को पेश किया जाना था लेकिन उन्होंने इसे उस वक्त स्वीकार करने से इनकार कर दिया जब दलित अगस्त में गांधीनगर गए थे. ‘‘जब राहुलजी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने पूरे सम्मान के साथ ध्वज को स्वीकार करने की इच्छा जताई.’’ डीएसके के संस्थापक मार्टिन मैकवान के मुताबिक यह विशाल झंडा देश में छूआछूत को खत्म करने के उनके आंदोलन के तहत बनाया गया.

यह खादी से बना है और इसका वजन 240 किग्रा है. इसे डीएसके के करीब 100 छात्रों ने बनाया है जो दलित और पिछड़े समुदाय के हैं. मैकवान ने कहा, ‘‘हम इसे मुख्यमंत्री को सौंपने के लिए 11 अगस्त को गांधीनगर गए थे लेकिन वह हमसे नहीं मिले. गांधीनगर कलेक्टरेट के अधिकारियों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया.’’ 

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वहीं, शनिवार को वह गांधीनगर, अरावली, महीसागर और दाहोद जिलों के विभिन्न गांवों और कस्बों से होकर गुजरेंगे.
 


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