न्यूयॉर्क:
लोग ऐसा मानते हैं कि एक्स-रे व सीटी स्कैन कराने से कैंसर जैसे बीमारी हो सकती है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा मानना गलत है। अमेरिकी पत्रिका ‘क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन में कम मात्रा में रैडिएशन से कैंसर के खतरों के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों ने लीनियर नो-थ्रेसहोल्ड (एलएनटी) मॉडल का इस्तेमाल किया।
अमेरिका के लोयोला यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के शोधकर्ता जेम्स वेल्स ने बताया कि “इस मॉडल में रिस्क केवल काल्पनिक है और वास्तविक सच्चाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है”। यह मॉडल फिजिशियन को उपयुक्त इमेजिंग टैक्नॉलजी के इस्तेमाल से रोकता है।
मॉडल के मुताबिक, रैडिएशन की कम मात्रा भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। लेकिन मानव शरीर में कई प्रकार की योग्यता होती हैं, जो रैडिएशन से हुए नुकसान को खुद सुधार सकती है।
अमेरिका के लोयोला यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के शोधकर्ता जेम्स वेल्स ने बताया कि “इस मॉडल में रिस्क केवल काल्पनिक है और वास्तविक सच्चाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है”। यह मॉडल फिजिशियन को उपयुक्त इमेजिंग टैक्नॉलजी के इस्तेमाल से रोकता है।
मॉडल के मुताबिक, रैडिएशन की कम मात्रा भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। लेकिन मानव शरीर में कई प्रकार की योग्यता होती हैं, जो रैडिएशन से हुए नुकसान को खुद सुधार सकती है।
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