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This Article is From Sep 07, 2017

Shradh 2017 (Pitra Paksha): क्या है श्राद्ध का महत्व और क्यों किया जाता है इस दौरान पूर्वजों को भोजन अर्पित

भारत में 5 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूआत हो गई है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृ पक्ष की अवधि 15 दिनों तक रहेगी, इस दौरान ज्यादातर हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धाजंलि देते हैं.

Shradh 2017 (Pitra Paksha): क्या है श्राद्ध का महत्व और क्यों किया जाता है इस दौरान पूर्वजों को भोजन अर्पित
Shradh 2017: इस दौरान ज्यादातर हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धाजंलि देते हैं.
  • भारत में 5 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूआत होगी.
  • पितृ पक्ष की अवधि 15 दिनों तक रहेगी.
  • हिन्दू श्राद्ध को काफी अहम मानते हैं.
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भारत में 5 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूआत हो गई है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृ पक्ष की अवधि 15 दिनों तक रहेगी, इस दौरान ज्यादातर हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धाजंलि देते हैं. जिसमें मुख्य रूप से अपने पितरों को याद करते हुए खाना अर्पित किया जाता है. पितृ पक्ष को श्राद्ध और कनागत भी कहा जाता है जो अक्सर भद्रापद महीने में अनंत चतुर्दशी के बाद आते हैं. इस साल श्राद्ध 5 सितंबर से शुरू होकर 19 सितंबर तक चलेंगे. हिन्दू श्राद्ध को काफी अहम मानते हैं. ऐसा माना जाता है श्राद्ध कर अपने पितरों को मृत्यु च्रक से मुक्त कर उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है. श्राद्ध कर वर्तमान पीढ़ी अपने पूर्वजों और मृत रिश्तेदारों के प्रति अपने ऋृण को चुकाती है.

Shradh 2017 (Pitra Paksha) : क्या है श्राद्ध (पितृ पक्ष) का महत्व

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, हमारी तीन पूर्ववर्ती पीढ़ियां पितृ लोक में रहती हैं, जिसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का एक क्षेत्र माना जाता है. जिस पर मृत्यु के देवता यम का अधिकार होता है। ऐसा माना जाता है कि अगली पीढ़ी में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो पहली पीढ़ी उनका श्राद्ध करके उन्हें भगवान के करीब ले जाती है. सिर्फ आखिरी तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध करने का अधिकार होता है.

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में थी तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए. हालांकि कर्ण भोजन के लिए खाना तलाश रहे थे उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि क्यों उन्हें भोजन की जगह सोना दिया गया. तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन श्राद्ध के दौरान अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया. इसके बाद कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें. इस सबके बाद कर्ण को उसकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और उसे 15 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उसने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें खाना-पानी दान किया. 15 दिन की इस अवधि को पितृ पक्ष कहा गया.
 
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Shradh 2017 (Pitra Paksha) : पितृ पक्ष कैलेंडर
श्राद्ध 5 सितंबर से लेकर 19 सितंबर चलेगा. पितृ पक्ष के कैलेंडर के अनुसार आप इस प्रकार इस अवधि का पालन कर सकते हैं.

5 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध
6 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध
7 सितंबर - द्वितीया श्राद्ध
8 सितंबर - तृतीया श्राद्ध
9 सितंबर - चतुर्थी श्राद्ध
10 सितंबर - महा भरानी, पंचमी श्राद्ध
11 सितंबर - षष्ठी श्राद्ध
12 सितंबर - सप्तमी श्राद्ध
13 सितंबर - अष्टमी श्राद्ध
14 सितंबर - नवमी श्राद्ध
15 सितंबर - दशमी श्राद्ध
16 सितंबर - एकादशी श्राद्ध
17 सितंबर - द्वादशी श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध
18 सितंबर - माघ श्राद्ध, चर्तुदशी श्राद्ध
19 सितंबर - सर्वपितृ अमावस्या

Shradh 2017 (Pitra Paksha) : कैसे करें श्राद्ध (पितृ पक्ष) के दौरान पूजा

आमतौर पर बड़े बेटे या परिवार के बड़े पुरूष सदस्य द्वारा ही श्राद्ध का अनुष्ठान किया जाता है. श्राद्ध करते वक्त तीन चीजों का हमेशा ख्याल रखें- जिसमें धार्मिकता, चिड़चिड़ापन और गुस्सा शामिल हैं. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए की जा रही प्रार्थना के बीच कुछ भी अशुभ नहीं होना चाहिए. दो ब्राह्मणों को भोजन, नए कपड़े, फल, मिठाई सहित दक्षिणा दान करनी चाहिए, ऐसा माना जाता है कि उन्हें जो कुछ दिया गया है वो हमारे पूर्वजों तक पहुंचता है. ब्राह्मणों को दान देने के बाद गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है ऐसा कहा जाता है जितना दान दोंगे वह उतना आपके पूर्वजों तक पहुंचता है. इसके अलावा श्राद्ध करना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना है इससे आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है जिससे आपके घर में खुशहाली रहती है.

 

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