Krishna Janmashtami 2024: भगवान कृष्ण का जन्मदिन, जिसे जन्माष्टमी (Janmashtami) कहते हैं, नजदीक आ गया है. यह त्योहार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय मथुरा में हुआ था. इस दिन, पूजा के दौरान श्री कृष्ण भगवान को छप्पन भोग (Chhappan Bhog) अर्पित किए जाते हैं. कृष्ण भक्त (Krishna Bhakt) पूरा दिन कृष्ण के नाम कीर्तन और भक्ति में व्यतीत करते हैं और दिन के अंत में अपने व्रत को खोलने के साथ-साथ श्री कृष्ण की पूजा और भोग अर्पित करते हैं.
छप्पन भोग क्या है?
छप्पन भोग एक विशेष प्रकार का प्रसाद है, जिसमें 56 प्रकार के विविध व्यंजन होते हैं. इसके पीछे की कहानियां भी दिलचस्प हैं.
पहली कथा के अनुसार, श्रीमद्भागवत महापुराण में उल्लेख है कि एक बार कृष्ण के प्रति प्रेम में डूबी गोपिकाओं ने यमुना में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया और मां कात्यायनी से मन्नत मांगी कि उन्हें श्री कृष्ण पति के रूप में प्राप्त हों. इस मन्नत के बदले उन्होंने मां कात्यायनी को 56 प्रकार के आहार देने की वचनबद्धता की, जिससे छप्पन भोग की परंपरा शुरू हुई.
एक दूसरी मान्यता के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र को सिखाने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए रखा था. इस दौरान इंद्रदेव को भोजन नहीं मिला, जिसके बाद श्री कृष्ण को सात दिनों के लिए 56 प्रकार के भोग अर्पित किए गए.
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छप्पन भोग में क्या-क्या शामिल होता है?
छप्पन भोग में अन्न, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन, और अचार शामिल होते हैं. इनका विशेष क्रम होता है – सबसे पहले दूध से बनी चीजें, फिर नमकीन व्यंजन, और अंत में मिठाई. भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग में निम्नलिखित 56 प्रकार के आहार शामिल होते हैं:
- भक्त (भात)
- सूप (दाल)
- प्रलेह (चटनी)
- सदिका (कढ़ी)
- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)
- सिखरिणी (सिखरन)
- अवलेह (शरबत)
- बालका (बाटी)
- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
- त्रिकोण (शर्करा युक्त)
- बटक (बड़ा)
- मधु शीर्षक (मठरी)
- फेणिका (फेनी)
- परिष्टश्च (पूरी)
- शतपत्र (खजला)
- सधिद्रक (घेवर)
- चक्राम (मालपुआ)
- चिल्डिका (चोला)
- सुधाकुंडलिका (जलेबी)
- धृतपूर (मेसू)
- वायुपूर (रसगुल्ला)
- चन्द्रकला (पगी हुई)
- दधि (महारायता)
- स्थूली (थूली)
- कर्पूरनाड़ी (लौंगपुरी)
- खंड मंडल (खुरमा)
- गोधूम (दलिया)
- परिखा
- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
- दधिरूप (बिलसारू)
- मोदक (लड्डू)
- शाक (साग)
- सौधान (अधानौ अचार)
- मंडका (मोठ)
- पायस (खीर)
- दधि (दही)
- गोघृत (गाय का घी)
- हैयंगपीनम (मक्खन)
- मंडूरी (मलाई)
- कूपिका (रबड़ी)
- पर्पट (पापड़)
- शक्तिका (सीरा)
- लसिका (लस्सी)
- सुवत
- संघाय (मोहन)
- सुफला (सुपारी)
- सिता (इलायची)
- फल
- तांबूल
- मोहन भोग
- लवण
- कषाय
- मधुर
- तिक्त
- कटु
- अम्ल
इन व्यंजनों में से अधिकांश भगवान कृष्ण के प्रिय माने जाते हैं. अगर आप भी इस बार श्री कृष्ण को छप्पन भोग अर्पित करना चाहते हैं, तो उपरोक्त सूची को ध्यान में रखें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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