विज्ञापन

99% लोगों को नहीं पता है चाय बनाने का सही तरीका, जानिए कितनी चाय की पत्ती और कब डालने से बनेगी परफेक्ट और हेल्दी चाय

अगर आप भी चाय पीने के शौकीन हैं तो आपको चाय बनाने का सही तरीका पता होना चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि एक कप चाय में कितनी चाय की पत्ती डालनी चाहिए, कितनी देर इसको पकाना चाहिए और कब इसमें क्या डालना चाहिए.

99% लोगों को नहीं पता है चाय बनाने का सही तरीका, जानिए कितनी चाय की पत्ती और कब डालने से बनेगी परफेक्ट और हेल्दी चाय
एक कप चाय में कितनी चाय की पत्ती डालनी चाहिए.

Perfect Tea Recipe: हर भारतीय घर में परफेक्ट चाय बनाने की अपनी-अपनी रेसिपी होती है, कोई इसे स्ट्रॉन्ग पसंद करता है, कोई माइल्ड, तो कोई ज्यादा दूध और मिठास के साथ.
लेकिन आपकी चाय का असली स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि आप उसमें कितनी चाय की पत्ती डालते हैं. थोड़ी सी पत्ती ज़्यादा डाल देने से चाय कड़वी और ज्यादा कैफीन वाली हो जाती है, जबकि कम डालने पर स्वाद फीका और बेस्वाद लगता है.

Life Sciences नाम की एक पीयर-रिव्यूड स्टडी में पाया गया है कि Camellia sinensis (वो पौधा जिससे चाय बनती है) में पाए जाने वाले टी पॉलीफिनॉल्स शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हार्ट और मेटाबॉलिक हेल्थ को सपोर्ट करते हैं, लेकिन तब जब चाय का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए.
इसका मतलब यह है कि सही मात्रा में चाय पत्ती डालना सिर्फ स्वाद का नहीं, बल्कि सेहत पर भी असर डालता है.

आपकी चाय में चाय पत्ती कितनी होनी चाहिए?

एक बैलेंस्ड कप चाय के लिए  एक कप पानी या दूध के लिए लगभग 1 टीस्पून (करीब 2 ग्राम) चाय पत्ती होनी चाहिए. यह मात्रा आपकी चाय को स्ट्रॉन्ग, फिर भी स्मूद बनाती है, जिससे उसकी रंगत, महक और स्वाद का बेहतरीन बैलेंस रहता है. जो लोग थोड़ी ज्यादा स्ट्रॉन्ग चाय पीना पसंद करते हैं, तो वो चाय की पत्ती डेढ़ टीस्पून तक ले सकते हैं, लेकिन इससे ज़्यादा डालने से चाय कड़वी और ज्यादा कैफीनयुक्त हो सकती है. ध्यान रखें, कि आप चाय की पत्ती किस तरह की इस्तेमाल कर रहे हैं इसका भी असर पड़ता है. असम चाय (Assam Tea) का स्वाद  दार्जिलिंग से ज्यादा गहरा होता है, इसलिए इसकी मात्रा थोड़ी कम रखनी चाहिए.

सही मात्रा की चाय पत्ती स्वाद और सुगंध को कैसे प्रभावित करती है

सही मात्रा में चाय पत्ती डालने से टैनिन्स, फ्लेवोनॉइड्स और एसेंशियल ऑयल्स का परफेक्ट एक्सट्रैक्शन होता है, जो चाय को उसका सुनहरा रंग, महक और भरपूर स्वाद देते हैं. अगर चाय पत्ती ज़्यादा हो जाए, तो टैनिन्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे चाय का स्वाद कड़वा और कसैला लगने लगता है. कम पत्ती डालने से चाय फीकी और हल्के रंग की बनती है. बेहतर रिजल्ट के लिए हमेशा नाप कर ही चाय की पत्ती डालें, खासकर जब एक से ज्यादा कप चाय बना रहे हैं तो.

ये भी पढ़ें: Diabetes के लिए काल हैं ये हरी पत्तियां, डायबिटीज रहेगी कंट्रोल, ना होगी मीठा खाने की इच्छा

सीमित मात्रा में चाय पत्ती के स्वास्थ्य लाभ

चाय पत्ती में मौजूद कैटेचिन्स (Catechins) और थीफ्लेविन्स (Theaflavins) जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लेमेशन को कम करते हैं. रिसर्च बताती है कि रोजाना लेकिन सीमित मात्रा में चाय पीने से हार्ट हेल्थ बेहतर रहती है, पाचन में मदद मिलती है और मेटाबॉलिज्म में भी सुधार हो सकता है.

Journal of Nutritional Biochemistry में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, चाय पॉलीफिनॉल्स कोलेस्ट्रॉल को बैलेंस करने और शरीर में इंफ्लेमेशन मार्कर्स को घटाने में मदद कर सकते हैं. इसका मतलब है, सही मात्रा में चाय पत्ती न केवल स्वाद बढ़ाती है बल्कि लॉन्ग-टर्म हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होती है.

अगर चाय पत्ती ज़्यादा डालें तो क्या होता है?

आपको अगर लगता है कि ज्यादा चाय की पत्ती डालने से इसका स्वाद ज्यादा अच्छा होगा तो आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. इससे कैफीन और टैनिन्स दोनों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे एसिडिटी, बेचैनी और नींद में कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. इसके साथ ही  ज़्यादा देर तक उबालने से चाय के एंटीऑक्सीडेंट्स भी खत्म हो जाते हैं, जिससे इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ कम हो सकते हैं.

अगर आपकी चाय का स्वाद कड़वा है, कप में आखिर में काली पत्ती रह जाती है या चाय बहुत ज्यादा स्ट्रॉन्ग बनी है तो यह साफ संकेत है कि चाय पत्ती ज़्यादा डाली गई है.

हर बार परफेक्ट मात्रा में चाय पत्ती कैसे नापें

    •    हमेशा स्टैंडर्ड टीस्पून का इस्तेमाल करें.
    •    पानी या दूध के हल्का गर्म होते ही चाय पत्ती डालें, बहुत पहले न डालें.
    •    3–4 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें ताकि स्वाद पूरी तरह निकले लेकिन कड़वाहट न आए.
    •    अगर हल्की चाय पसंद है, तो पत्ती और उबालने का समय दोनों थोड़ा घटा दें.
    •    चाय को ज़्यादा उबालने से बचें, वरना इसका स्वाद फ्लैट या मेटैलिक हो सकता है.

History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com