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This Article is From Jun 17, 2019

Nag Panchami 2019: क्या है नागपंचमी की कथा, क्यों चढ़ाते हैं सांप को दूध

नागपंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. इस दिन कही जाने वाली एक प्रचलित कथा इस प्रकार है-

Nag Panchami 2019: क्या है नागपंचमी की कथा, क्यों चढ़ाते हैं सांप को दूध
Nag Panchami 2019: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी.

Nag Panchami Festival 2019: नाग पंचमी कब है? इस सवाल का जबाव यकीनन आप भी तलाश रहे होंगे. नाग पंचमी हिंदू धर्म का पर्व है. नाग पंचमी की पिक्चर भी बचपन में खूब देखी गई होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं नाग पंचमी से जुड़ी मान्यताओं के बारे में. सबसे पहले आपको बता दें कि नाग पंचमी 2019 (Nag Panchami festival 2019) 5 अगस्त को होगी. यह तारीख पंचांग के अनुसार बदल भी सकती है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है. नाग पंचमी की कथा बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं हैं. अलग-अलग जगहों पर इस त्योहार की अनेक कहानियां (Nag Panchami Katha in Hindi), मान्यताएं और रिवाजें हैं. 

हिंदू धर्म में सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है नागपंचमी(Nag Panchami 2019). अमृत सहित नवरत्नों की प्राप्ति के लिए देव-दानवों ने जब समुद्र-मंथन किया था, तो जगत-कल्याण के लिए वासुकी नाग ने मथानी की रस्सी के रुप में काम किया था. हिंदू धर्म में नाग देव का अपना विशेष स्थान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी. महाभारत की एक कथा के अनुसार जब महाराजा परीक्षित को उनका पुत्र जनमेजय तक्षक नाग के काटने से नहीं बचा सका तो जनमेजय ने विशाल सर्पयज्ञ कर यज्ञाग्नि में भस्म होने के लिए तक्षक को आने पर विवश कर दिया. नागपंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. इस दिन कही और सुनी जाने वाली एक प्रचलित कथा इस प्रकार है- 

Nag Panchami 2019: कब है नाग पंचमी, मान्यताएं और भोजन से जुड़े रिवाज

नाग पंचमी की कथा | Nag Panchami Katha in Hindi


एक समय में एक सेठ हुआ करते थे. उनके सात बेटे थे. सातों की शादी हो चुकी थी. सबसे छोटे बेटे की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, लेकिन उसका कोई भाई नहीं था. एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को चलने को कहा. इस पर बाकी सभी बहुएं उनके साथ चली गईं और डलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगीं. तभी वहां एक नाग निकला. इससे ड़रकर बड़ी बहू ने उसे खुरपी से मारना शुरू कर दिया. इस पर छोटी बहू ने उसे रोका. इस पर बड़ी बहू ने सांप को छोड़ दिया. वह नाग पास ही में जा बैठा. छोटी बहू उसे यह कहकर चली गई कि हम अभी लौटते हैं तुम जाना मत. लेकिन वह काम में व्यस्त हो गई और नाग को कही अपनी बात को भूल गई. 

अगले दिन उसे अपनी बात याद आई. वह भागी-भागी उस ओर गई, नाग वहीं बैठा था. छोटी बहू ने नाग को देखकर कहा- सर्प भैया नमस्कार! नाग ने कहा- 'तूने भैया कहा तो तुझे माफ करता हूं, नहीं तो झूठ बोलने के अपराध में अभी डस लेता. छोटी बहू ने उससे माफी मांगी, तो सांप ने उसे अपनी बहन बना लिया. 

कुछ दिन बाद वह सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा और बोला कि 'मेरी बहन को भेज दो.' सबने कहा कि 'इसके तो कोई भाई नहीं था, तो वह बोला- मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूं, बचपन में ही बाहर चला गया था. उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया. 

रास्ते में नाग ने छोटी बहू को बताया कि वह वही नाग है और उसे ड़रने की जरूरत नहीं. जहां चला न जाए मेरी पूंछ पकड़ लेना. बहन ने भाई की बात मानी और वह जहां पहुंचे वह सांप का घर था, वहां धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई.

एक दिन भूलवश छोटी बहू ने नाग को ठंडे की जगह गर्म दूध दे दिया. इससे उसका मुंह जल गया. इस पर सांप की मां बहुत गुस्सा हुई. तब सांप को लगा कि बहन को घर भेज देना चाहिए. इस पर उसे सोना, चांदी और खूब सामान देकर घर भेज दिया गया. 

सांप ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था. उसकी प्रशंसा खूब फैल गई और रानी ने भी सुनी. रानी ने राजा से उस हार की मांग की. राजा के मंत्रि‍यों ने छोटी बहू से हार लाकर रानी को दे दिया. 

छोटी बहू ने मन ही मन अपने भाई को याद किया ओर कहा- भाई, रानी ने हार छीन लिया, तुम ऐसा करो कि जब रानी हार पहने तो वह सांप बन जाए और जब लौटा दे तो फिर से हीरे और मणियों का हो जाए. सांप ने वैसा ही किया. 

रानी से हार वापस तो मिल गया, लेकिन बड़ी बहू ने उसके पति के कान भर दिए. पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर पूछा - यह धन तुझे कौन देता है? छोटी बहू ने सांप को याद किया और वह प्रकट हो गया. इसके बाद छोटी बहू के पति ने नाग देवता का सत्कार किया. उसी दिन से नागपंचमी पर स्त्रियां नाग को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं. 

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