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कुंभ नगरी प्रयागराज में कहां है नाग देवता का सबसे बड़ा धाम, जहां दर्शन से दूर होते हैं सारे दोष

Nag Panchami 2025: कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक पूजे जाने वाले नाग देवता कुंभ नगरी में कहां पर विश्राम करते हैं? गंगा और ​यमुना किनारे स्थित नाग देवता के मंदिरों का आखिर क्या धार्मिक, पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

कुंभ नगरी प्रयागराज में कहां है नाग देवता का सबसे बड़ा धाम, जहां दर्शन से दूर होते हैं सारे दोष
कुंभ नगरी प्रयागराज के प्रसिद्ध नाग मंदिर

Famous Nag Temple of Prayagraj: श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी (Nag Panchami 2025) का महापर्व मनाया जाता है। सर्प जाति से जुड़े तमाम नागों की पूजा के लिए यह दिन अत्यंत ही शुभ माना गया है। यही कारण है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के तमाम नाग मंदिरों (Snake Temple) में इस दिन भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। यदि बात करें कुंभ नगरी प्रयागराज की तो यहां पर नाग देवता (Naag Devta) से जुड़ो दो बड़े पावन तीर्थ — नाग वासुकि और तक्षक नाग का मंदिर है। गंगा और यमुना के तट पर स्थित इन दोनों नाग मंदिर धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं। 

नाग वासुकि मंदिर (Nag Vasuki Temple)

नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के गले में लिपटे जिस नागवासुकि की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, उसका पावन धाम प्रयागराज में स्थित है। हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा के किनारे दारागंज मोहल्ले में स्थित इस मंदिर में दर्शन के बगैर प्रयागराज (Prayagraj) की तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के समय नागवासुकि को रस्सी के रूप में प्रयोग लाया गया तो वे घर्ष के कारण चोटिल हो गये थे। जिसके बाद भगवान श्री विष्णु की आज्ञा से वे संगम (Sangam) नगरी के तट पर आराम करने के लिए चले आए और तब से लेकर आज तक यहीं पर विराजमान माने जाते हैं। 

आज है नाग पंचमी, जानें नाग देवता की सरल पूजा विधि और मंत्र का महाउपाय

मंदिर के गर्भगृह में पत्थर पर उकेरी गई नागों के राजा नागवासुकि की भव्य प्रतिमा है। जिसकी पूजा करने पर न सिर्फ जीवन बल्कि कुंडली के कालसर्प जैसे दोष दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि न सिर्फ शिव के प्रिय श्रावण मास में बल्कि पूरे साल यहां पर लोग रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, कालसर्प आदि की विशेष पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। नाग पंचमी के पावन पर्व पर यहां पर उन्हें दूध और गंगाजल अर्पित करने वाले भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। 

तक्षकेश्वरनाथ मंदिर (Takshakeshwar Nath Temple)

प्रयागराज का दूसरा सबसे प्रसिद्ध नाग ​तीर्थ तक्षकेश्वर नाथ मंदिर मंदिर या फिर बड़ा शिवाला के नाम से जाना जाता है। तक्षक (Takshak) को संपूर्ण सर्प जाति का स्वामी माना जाता है। तक्षक नाग का यह मंदिर यमुना के किनारे दरियाबाद मोहल्ले में स्थित है। नाग देवता से जुड़े इस पावन तीर्थ का पद्म पुराण के 82 पातालखंड के प्रयाग महात्म्य के 82वें अध्याय में मिलता है। तक्षकेश्वरनाथ मंदिर में स्थित पांच शिवलिंग काफी प्राचीन माने जाते हैं। 

मान्यता है कि नागपंचमी के दिन मंदिर के निकट तक्षक कुंड में स्नान करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी विषबाधा दूर होती है। तक्षकेश्वर मंदिर में न सिर्फ श्रावण मास की पंचमी यानि नागपंचमी पर बल्कि हर महीने के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली पंचमी पर नाग देवता की विशेष पूजा होती है। यहां पर कुंडली के कालसर्प दोष को दूर करने की कामना लिए लोग दूर—दूर से पूजा के लिए पहुंचते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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