संगीतकार ख़य्याम (फाइल फोटो)
मुंबई:
संगीतकार ख़य्याम ने अपने जन्मदिन के 90 साल पूरे किए और इस मौके पर उन्होंने अपनी संपूर्ण संपत्ति दान करने की घोषणा की है, जो तकरीबन 12 करोड़ की है। ख़य्याम और उनकी गायिका पत्नी जगजीत कौर ने फिल्म जगत के जरूरतमंद और उभरते संगीतकारों के लिए एक ट्रस्ट की घोषणा की है। इस ट्रस्ट का नाम 'खय्याम प्रदीप जगजीत चैरिटेबल ट्रस्ट' है और इसके मुख्य ट्रस्टी गजल गायक तलत अजीज और उनकी पत्नी बीना हैं।
'कभी कभी' और 'उमराव जान' जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड पा चुके ख़य्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी। 'वो सुबह कभी तो आएगी', 'जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें', 'बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, 'ठहरिए होश में आ लूं', 'तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो', 'शामे गम की कसम', 'बहारों मेरा जीवन भी संवारो' जैसे अनेकों गीत में अपने संगीत से चार चांद लगा चुके हैं ख़य्याम।
ख़य्याम ने पहली बार फिल्म 'हीर रांझा' में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गीत 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से उन्हें पहचान मिली। फिल्म 'शोला और शबनम' ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया। ख़य्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं और उन्होंने ख़य्याम के साथ 'बाज़ार', 'शगुन' और 'उमराव जान' में काम भी किया है।
'कभी कभी' और 'उमराव जान' जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड पा चुके ख़य्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी। 'वो सुबह कभी तो आएगी', 'जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें', 'बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, 'ठहरिए होश में आ लूं', 'तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो', 'शामे गम की कसम', 'बहारों मेरा जीवन भी संवारो' जैसे अनेकों गीत में अपने संगीत से चार चांद लगा चुके हैं ख़य्याम।
ख़य्याम ने पहली बार फिल्म 'हीर रांझा' में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गीत 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से उन्हें पहचान मिली। फिल्म 'शोला और शबनम' ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया। ख़य्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं और उन्होंने ख़य्याम के साथ 'बाज़ार', 'शगुन' और 'उमराव जान' में काम भी किया है।
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