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Aarti Ke Niyam: क्या है भगवान की आरती करने का सही तरीका? हर किसी को पता होने चाहिए ये 4 नियम

Right Way to Perform Aarti: कोई भी पूजा भगवान की आरती के बाद ही संपन्न मानी जाती है. ऐसे में यहां हम आपको स्कंद पुराण के अनुसार आरती के सही नियम बता रहे हैं.

Aarti Ke Niyam: क्या है भगवान की आरती करने का सही तरीका? हर किसी को पता होने चाहिए ये 4 नियम
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, आरती मुख्य रूप से सात प्रकार की होती है.

Aarti Ke Niyam: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.  वहीं, कोई भी पूजा भगवान की आरती के बाद संपन्न मानी जाती है. यानी पूजा में देवी-देवताओं की आरती करना आवश्यक (Aarti Kyon Karte Hain) माना गया है और बिना आरती के पूजा अधूरी होती है. हालांकि, बेहद कम लोग जानते हैं कि आरती करने का भी एक सही तरीका होता है.

कई धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि कोई भी कार्य तभी करना चाहिए जब आप उसे सही तरीके से करना जानते हों. ऐसे में यहां हम आपको आरती करने का सही तरीका बता रहे हैं.

आरती के प्रकार 

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, आरती मुख्य रूप से सात प्रकार की होती है. 

  1. मंगला आरती- सुबह जल्दी की जाने वाली आरती.
  2. पूजा आरती- पूजा के दौरान की जाने वाली आरती.
  3. श्रृंगार आरती- भगवान के श्रृंगार के बाद की जाने वाली आरती. 
  4. भोग आरती-  जब भगवान को भोग अर्पित किया जाता है, तब ये आरती की जाती है.
  5. धूप आरती- धूप दिखाने के बाद की जाने वाली आरती.
  6. संध्या आरती- शाम के समय की जाने वाली आरती.
  7. शयन आरती- रात में सोने से पहले की जाने वाली आरती.

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जान लें आरती करने का सही तरीका (Right Way To Do Aarti)

मान्यता है कि आरती हमेशा श्रद्धा और भक्ति भाव से करनी चाहिए. वहीं, भाव से अलग आरती करने के 4 मुख्य नियम हैं. ये नियम कुछ इस प्रकार हैं-

  1. आरती की शुरुआत भगवान के चरणों से करें और चरणों में आरती की थाल को चार बार घुमाएं. ये खुद को परमात्मा के चरणों में समर्पित करने की ओर इशारा होता है. 
  2. इसके बाद आरती की थाली को भगवान की नाभि के पास दो बार घुमाएं. माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा का जन्म भगवान विष्णु की नाभि से हुआ था, ऐसे में भगवान के चरणों में नमन करने के बाद नाभि का पूजन किया जाता है.
  3. इसके बाद आरती की थाल को भगवान के मुखमंडल के सामने एक बार घुमाएं.
  4. आखिर में दीये को भगवान के पूरे शरीर पर सात बार घुमाते हुए आरती करें.

माना जाता है कि इस तरह कुल 14 बार आरती घुमाने से चौदह भुवनों तक आपकी भक्ति पहुंचती है.

स्कंद पुराण के अनुसार आरती के नियम (Aarti Niyam According To Skand Puran)

स्कंद पुराण में भी आरती के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में-

पंच प्रदीप का प्रयोग 

आरती करने के लिए गाय के दूध से बने घी में डूबी हुई रुई की 5 बत्तियों का दीपक जलाएं. इसे पंच प्रदीप कहा जाता है.

श्रद्धा और भक्ति 

यदि कोई व्यक्ति मंत्र और पूजा विधि नहीं जानता, लेकिन श्रद्धापूर्वक आरती करता है, तो उसकी पूजा भी स्वीकार होती है.

आरती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  • आरती हमेशा खड़े होकर करें- आरती के दौरान खड़े रहना शुभ माना जाता है.
  • थोड़ा झुककर आरती करें- इसे भक्ति का प्रतीक माना जाता है.
  • आरती की थाली सही धातु की हो- तांबे, पीतल या चांदी की थाली में आरती करें.
  • थाली में पूजा सामग्री रखें- गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भोग में फल या मिठाई रखें.

ध्यान रखें कि आरती पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे सही विधि से करने से न केवल पूजा पूरी होती है, बल्कि मन को शांति भी मिलती है. माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से की गई आरती भगवान तक अवश्य पहुंचती है और भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

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