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Devi Durga Ki Aarti in Hindi: जय अम्बे गौरी...देवी दुर्गा की आरती, जिसे करते ही दूर होंगे सारे दुख, बरसेगा भगवती का आशीर्वाद

Devi Durga Ki Aarti Hindi Lyrics: नवरात्रि के 9 दिन देवी भगवती दुर्गा के 9 स्वरूप की पूजा के लिए बेहद शुभ और मंगलदायी माने गये हैं. शक्ति की साधना के इन 9 दिनों में यदि आप अपने दुखों को दूर करके कामनाओं को पूरा करना चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन सुबह और शाम देवी पूजा के बाद दुर्गा जी की आरती जरूर गानी चाहिए. 

Devi Durga Ki Aarti in Hindi: जय अम्बे गौरी...देवी दुर्गा की आरती, जिसे करते ही दूर होंगे सारे दुख, बरसेगा भगवती का आशीर्वाद

Devi Durga Ki Aarti Hindi Navaratri 2025: हिंदू मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा करने पर मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही कारण है कि देवी के साधक इस नवरात्रि का पूरे साल इंतजार करते हैं. इन 9 दिनों में जहां देवी को विभिन्न प्रकार के फूल, फल, भोग आदि लगाने का महत्व होता है, वहीं माता की पूजा में मंत्र जप आदि के साथ उनकी आरती करना भी बेहद शुभप्रद माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी पूजा के अंत में की गई आरती सभी जाने-अनजाने की गलतियों को दूर करके मां भगवती का आशीर्वाद दिलाती है. आइए मां दुर्गा की पूजा में सुबह-शाम की जाने वाली आरती का पाठ करते हुए उसका धार्मिक महत्व समझते हैं. 

देवी दुर्गा की आरती | Devi Durga Ki Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी.
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी.
ॐ जय अम्बे गौरी...

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को.
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको.
ॐ जय अम्बे गौरी...

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै.
ॐ जय अम्बे गौरी...

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी.
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी.
ॐ जय अम्बे गौरी...

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कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती.
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती.
ॐ जय अम्बे गौरी...

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती.
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती.
ॐ जय अम्बे गौरी...

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे.
ॐ जय अम्बे गौरी...

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी.
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी.
ॐ जय अम्बे गौरी...

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों.
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू.
ॐ जय अम्बे गौरी...

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तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता.
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता.
ॐ जय अम्बे गौरी...

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी.
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी.
ॐ जय अम्बे गौरी...

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती.
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती.
ॐ जय अम्बे गौरी...

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे.
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे.
ॐ जय अम्बे गौरी...

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कब और कैसे करें देवी दुर्गा की आरती?

शक्ति की साधना करने वाले साधकों न सिर्फ नवरात्रि के 9 दिनोंं में बल्कि प्रतिदिन सुबह-शाम माता की पूजा करने के बाद देवी की आरती करनी चाहिए. जब आप देवी की विधि-विधान से पूजा कर लें तो उसके बाद एक थाली में आरती का सारा सामान जैसे - धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, पवित्र जल, आदि रख लें. इसके बाद अपनी आस्था के अनुसार एक बाती, पांच बाती या फिर सात बाती वाला दीया जलाएं और उसे सबसे पहले जल से फेर लें.

फिर माता की आरती गाते हुए दीपक को चार बार देवी के पवित्र चरणों में दो बार उनकी नाभि के सम्मुख और एक बार देवी दुर्गा श्रीमुख के सामने करें. आरती के अंत में देवी दुर्गा के पूरे शरीर के सम्मुख सात बार श्रद्धा और विश्वास के साथ आरती करना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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