Vamana Dwadashi 2024: कब है वामन द्वादशी, जानिए इस व्रत से जुड़ी कथा और पूजा की विधि

भगवान विष्णु़ के अवतारों में वामन अवतार पांचवे माने जाते हैं. वामन द्वादशी का व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है और विरोधियों की पराजय होती है.

Vamana Dwadashi 2024: कब है वामन द्वादशी, जानिए इस व्रत से जुड़ी कथा और पूजा की विधि

आइए जानते हैं वामन द्वादशी व्रत से जुड़ी कथा और पूजा की विधि.

Vamana Dwadashi 2024: भगवान विष्णु़ के वामन अवतार से जुड़ी वामन द्वादशी वर्ष में दो बार मनाई जाती है. एक बार चैत्र माह (Chaitra Maah) की शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि को और दूसरी बार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के द्वादशी की तिथि को. भगवान विष्णु़ (Lord Vishnu) के अवतारों में वामन अवतार पांचवे माने जाते हैं. वामन द्वादशी का व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है और विरोधियों की पराजय होती है. आइए जानते हैं वामन द्वादशी व्रत से जुड़ी कथा और पूजा की विधि...(Vamana Dwadashi Date 2024)

 वामन द्वादशी व्रत से जुड़ी कथा

भगवान विष्णु ने वामन अवतार स्वर्ग पर इंद्र के अधिकार को फिर स्थापित करने के लिए लिया था. भगवान विष्णु के परम भक्त दैत्यराज बलि देवताओं के राजा इंद्र को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था. भगवान विष्णु के परम भक्त होने के बावजूद राजा बलि क्रूर और अंहकारी था. अपने पराक्रम से स्वर्ग, भूलोक और पाताल लोक का स्वामी बनने के बाद वह और और अंहकारी हो गया. स्वर्ग का राज खो जाने से परेशान सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की विनती करने लगे और तीनों लोकों को दैत्यराज बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगे. इसके बाद भगवान वामन अवतार में राजा बलि के पास पहुंचे. बलि दानवीर था और वामन रूप में भगवान विष्णु ने उससे तीन डग धरती की मांग की. बलि के सहमत होने पर भगवान ने विशाल रूप धारण कर लिया और एक पद में पूरे भूलोक को नाप लिया, दूसरे पद में स्वर्ग को नापा और तीसरा पग उठाया तो बलि समझ गया कि यह कोई साधारण वामन नहीं है उन्होंने भगवान के तीसरे पद के लिए अपना मस्तक आगे कर दिया. भगवान विष्णु से पैर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया.

वामन द्वादशी व्रत की पूजा विधि

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 वामन द्वादशी  पर अनुष्ठान की शुरुआत दही चावल का भोजन कराकर करना चाहिए. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं. भगवान विष्णु के नाम की 108 बार जाप करने के बाद प्रभु के चित्र पर फूल चढ़ाकर अगरबत्ती जलाकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा में पंचोपचार का विशेष महत्व है. पूजा के बाद वामन द्वादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए.