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Akshaya Tritiya 2025 : अक्षय तृतीया के दिन घटी हैं कई बड़ी पौराणिक घटनाएं, जानिए यहां

इस दिन कई पौराणिक घटनाएं घटित हुई हैं, जिसके कारण भी अक्षय तृतीया का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. आज हम अक्षय तृतीया पर उन पौराणिक घटनाओं के बारे में बात करेंगे, जो इस दिन घटित हुई हैं...

Akshaya Tritiya 2025 : अक्षय तृतीया के दिन घटी हैं कई बड़ी पौराणिक घटनाएं, जानिए यहां
मान्यता है अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत की रचना निश्चय किया था और इसके लिए गणेश जी को बुलाया था.

Akshaya Tritiya 2025 : आज अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, ऐसे में आप किसी भी नए काम या फिर मांगलिक कार्य की शुरूआत पूरे दिन किसी भी समय कर सकते हैं. यह दिन शुभ फलदायी होता है. यह दिन कई मायने में बहुत खास है. क्योंकि इस दिन कई पौराणिक घटनाएं घटित हुई हैं, जिसके कारण भी अक्षय तृतीया का दिन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. आज हम अक्षय तृतीया पर उन पौराणिक घटनाओं के बारे में बात करेंगे, जो इस दिन घटित हुई हैं, तो बिना देर किए आइए जानते हैं...

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अक्षय तृतीया पर कौन सी पौराणिक घटनाएं घटित हुई हैं - Which mythological events happened on Akshaya Tritiya

  1. मान्यता है अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत की रचना करने का निश्चय किया गया था और इसके लिए महार्षि व्यास ने गणेश जी को बुलाया था. इस दिन से ही महाभारत लिखने की शुरूआत हो गई थी. 
  2. यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही देवी गंगा भागीरथी जी की तपस्या से खुश होकर पृथ्वी पर उतरीं थीं. इसलिए अक्षय तृतीया को गंगा अवतरण दिवस के रूप में भी जाना जाता है. 
  3. इस दिन ही सुदामा जी श्रीकृष्ण से द्वारका मिलने गए थे और उन्हें चावल भेंट किया था, इस घटना को भी अक्षय तृतीया से जोड़कर देखा जाता है. 
  4. अक्षय तृतीया के दिन ही पांडवों को वनवास के दौरान भगवान सूर्य ने अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिसमें कभी भोजन समाप्त नहीं होता है. इसलिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.
  5. वहीं, अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग और सतयुग की शुरूआत हुई थी और इसी तिथि पर ही भगवान राम ने सीता माता की अग्निपरीक्षा ली थी और उन्हें अपनाया था. 
  6. इस दिन भगवन कुबेर को धन का देवता बनाया गया था. यही कारण है इस दिन सोना, चांदी खरीदना अच्छा माना जाता है. इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.  
  7. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही सत्यनारायण व्रत की शुरूआत हुई थी. साथ ही इस दिन ही महाभारत का समापन हुआ था और द्वापर युग का भी अंत हो गया था. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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