
Chaturmas 2025 : हिन्दू धर्म में चातुर्मास एक विशेष अवधि है, जो 4 माह की होती है. यह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) से शुरू होकर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी (प्रबोधनी एकादशी ) तक रहती है. कहा जाता है इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और सृष्टि का सारा कार्यभार भोलेनाथ संभालते हैं. ऐसे में पूरे चार 4 माह तक कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों सृष्टि के पालनहार श्री हरि चार महीने (Chaturmas 2025) के लिए विश्राम करते हैं? इसी के बारे में एनडीटीवी ने बात की आगरा के ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से, तो आइए जानते हैं चातुर्मास की क्या है पौराणिक कथा...
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चातुर्मास पौराणिक कथा
पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि एक बार भगवान विष्णु जी से निद्रा ने प्रार्थना की हे भगवन आपने सभी को अपने शरीर में कुछ न कुछ स्थान दिया है. लेकिन मुझे नहीं दिया है इसलिए आपसे प्रार्थना है कि देव मुझे भी कोई स्थान प्रदान करें. तब भगवान विष्णु ने निद्रा को वरदान दिया की 4 महीने तक तुम मेरे नेत्रों में योग निद्रा के रूप में वास करोगी. उसके बाद से ही भगवान 4 महीने के लिए क्षीर सागर में सोने चले जाते हैं, जिसे योग निद्रा भी कहा जाता है.
दूसरी कथा आती है, राक्षस राजा बलि ने जब पृथ्वी लोक , पाताल लोक और स्वर्ग लोक तीनों को अपनी तपस्या के माध्यम से प्राप्त कर लिया, तब देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की. हे प्रभु, हमारी रक्षा करो. राजा बलि ने सभी जगह अपना आधिपत्य कर लिया है. तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान स्वरूप मांगी. तब राजा बलि ने भगवान विष्णु जी को वचन दिया. तीन पग भूमि मैं दान स्वरूप दूंगा. भगवान वामन ने एक पग में पृथ्वी लोक एवं पाताल लोक नाप लिया और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया था. तब तीसरे पग की बात आई तो भगवान ने कहा राजा बलि से की तीसरा पैर कहां रखूं. तब बलि ने कहा आप तीसरा पैर मेरे सिर पर रख दीजिए.
इस तरह भगवान वामन राजा बलि की पूजा , प्रार्थना से प्रसन्न हुए और उन्होंने वर मांगने को कहा तब बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में रहने का वर मांग भगवान विष्णु को पाताल लोक चले गए. वहां पर भगवान विष्णु बलि के द्वारपाल बन गए. माता लक्ष्मी को चिंता हुई और उन्होंने भगवान विष्णु को छुड़ाने का उपाय देव ऋषि नारद जी से पूछा तो उन्होंने उपाय स्वरूप माता लक्ष्मी जी को राजा बलि को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए कहा और उपहार स्वरूप भगवान श्री विष्णु जी को मांगने को कहा.
माता लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधी . जब राजा बलि ने माता लक्ष्मी जी से उपहार मांगने के लिए कहा तब माता लक्ष्मी जी ने उपहार स्वरूप भगवान विष्णु जी को प्राप्त कर लिया. लेकिन राजा बलि भगवान श्री विष्णु जी से प्रार्थना की तब भगवान विष्णु ने उसके पास चार माह अर्थात चातुर्मास में पाताल लोक में रहने का निवेदन स्वीकार कर लिया था.
चातुर्मास का आध्यात्मिक पक्ष यदि देखा जाए तो सभी मांगलिक कार्य बन्द हो जाते हैं. चातुर्मास पूजा पाठ, मंत्र जाप ,यज्ञ अनुष्ठान , ध्यान, संयमित जीवन शैली के लिए शुभ होता है.
इस दौरान चार माह तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है. चार महीने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. यह चार महीने भगवान शिव को समर्पित हैं. इस दौरान भगवान शिव की पूजा आराधना व्रत अनुष्ठान आदि विशेष रूप से किए जाते हैं.
इस दौरान प्रकृति में बड़े परिवर्तन होते हैं. वर्षा ऋतु भी इस दौरान रहती है आषाढ़ माह से कार्तिक मास तक वर्षा का समय रहता है. वर्षा के कारण चारों ओर नदी तालाब, झील आदि में पानी भरा रहता है. इस दौरान नए-नए पौधे उग आते हैं और सांप, कीड़े-मकोड़े, विभिन्न प्रकार के जीव जंतु भी निकल पड़ते हैं. जिससे चार महीने तक भगवान विष्णु जी के शयन के कारण सभी शुभ कार्य बंद होने से लोगों का आवागमन बंद रहता है. जिस कारण लोगों को जल भराव के कारण अथवा अन्य कीड़े मकोड़े सांप आदि से लोगों को हानि न पहुंचे और प्राकृतिक नए पेड़ पौधों को लोगों के द्वारा आवागमन से हानि न पहुंचे इसीलिए आवागमन बंद रहता है. भगवान विष्णु की शयन के समय प्रकृति के लिए पुनर्जीवन का भी समय होता है.
भगवान विष्णु जी के शयन काल में प्रकृति भी अपने नए रूप में और रंग में परिवर्तित हो जाती है. इसीलिए इस दौरान सभी मांगलिक कार्य गृह प्रवेश, शादी विवाह,मुंडन आदि बंद रहते हैं.
सनातन संस्कृति सनातन धर्म और हिंदू पंचांग में जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब इसको दक्षिणायन काल की शुरुआत माना जाता है. इस दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं.
सनातन धर्म में कोई भी कार्य यूँ नहीं बताया गया है. हर कार्य के पीछे हजारों वर्षों अध्ययन और चिन्तन कर प्राकृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक पक्ष को ध्यान में रखते हुए हर बात बताई गई है.
वर्तमान समय में चाहे हमने कितनी उन्नति कर ली हो उसके बाद भी वर्षा ऋतु में आवागमन में कई प्रकार की समस्याएं रहती है. कीड़े मकोड़ों के काटने एवं खाने पीने के सामान में गिरने का डर रहता है. जिससे बड़ी जन हानि एवं धन हानि हो सकती है. वर्तमान समय में भी उपरोक्त सभी बातें लागू होती है और महत्व रखती हैं.
आपको बता दें कि इस साल चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 2 नवंबर तक रहेगा.
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