दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पेट्रोल डीजल की रोज़ाना बढ़ती कीमतों पर रोक की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ये सरकार की नीति का हिस्सा है और इस पर कोर्ट कैसे आदेश जारी कर सकता है. वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि इस मामले में याचिककर्ता के प्रस्ताव पर चार हफ्ते में विचार करे.
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दिल्ली निवासी पूजा महाजन की याचिका में कहा गया था कि एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के तहत केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वो आवश्यक वस्तुओं को सही दामों पर आम लोगों तक पहुंचाए.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए इस याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि वो केंद्र को तुरंत निर्देश दें, लोगों को पेट्रोल और डीजल के बढ़े दामों से कुछ राहत मिले.
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याचिका में कहा गया है कि तेल कंपनियां फिलहाल जिस रेट पर पेट्रोल और डीजल बेच रही है,वो सीधे तौर पर एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के सेक्शन 3(1)का खुला उल्लंघन है. पर इसके लिए उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
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