सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई टीम की रणनीति फ्लॉप हो चुकी है (फाइल फोटो)
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का भारतीय दौरा हमेशा ही सुर्खियां बटोरता है. पहले की कंगारू टीम को पूरे विश्व में जीत दर्ज करने के बाद भी भारत में बमुश्किल ही जीत मिलती थी और इस बार तो यह पुरानी, ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरह मजबूत भी नजर नहीं आ रही. वर्ष 2004 की सीरीज़ जीत के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत में एक मैच तक नहीं जीत सकी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इस टीम के व्यवहार में कोई बदलाव आया है. विपक्षी टीम के अहम खिलाड़ियों को टारगेट करना, सीरीज़ से पहले ही माइंड गेम्स खेलना और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की ऑस्ट्रेलियाई टीम की रणनीति अभी भी जारी है. साल 2007-08 में कोच जॉन बुकानन ने रिकी पोंटिंग की टीम के लिए ऑपरेशन 'गेट तेंदुलकर' तैयार किया था. उनके मुताबिक सचिन का फ़ुटवर्क धीमा हो गया था जिससे उन्हें शॉर्ट पिच गेंदबाज़ी खेलने में दिक्कत पेश आती और उन्हें जल्दी आउट किया जा सकता था.
सीरीज़ खत्म होने पर सचिन इन आंकड़ों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे (4 मैच, 8 पारियां, 493 रन, 70.42 औसत, 2 शतक 2 अर्धशतक). ऐसा प्लान एक बार नहीं, बार-बार बनाया गया, कभी शेन वॉर्न तो कभी ग्लेन मेक्ग्रा के ज़रिए..लेकिन सचिन का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ सर्वश्रेष्ठ रहा. सचिन के बाद अब फ़ोकस भारत के दो सबसे बड़े मैच विनर्स पर है. ये हैं कप्तान विराट कोहली और आर. अश्विन. ऑस्ट्रेलिया में 'मिस्टर क्रिकेट' के नाम से मशहूर पूर्व क्रिकेटर माइक हसी के मुताबिक मिचेल स्टार्क विराट कोहली को रोक सकते हैं. हसी ने कहा कि स्टार्क के पास स्विंग है, रिवर्स है, रफ़्तार है जिससे वे कोहली को पूरी सीरीज़ में परेशान कर सकते हैं.
टीम के कप्तान कप्तान स्टीव स्मिथ पहले ही अपने खिलाड़ियों को स्लेजिंग की अनुमति दे चुके हैं. ये जानते और समझते हुए कि पिछली सीरीज़ में विराट और मिचेल जॉनसन और डेविड वॉर्नर के बीच काफ़ी स्लेजिंग हो चुकी है. नतीजा ये रहा कि 2014-15 के उस ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर विराट ने 4 मैचों में 86.50 की औसत से 692 रन बना डाले (4 शतक, 1 अर्धशतक)
मैच भारतीय ज़मीं पर हैं. ऐसे में अश्विन भारत के नंबर वन मैच विनर बन जाते हैं और उनके लिए भी कंगारू टीम सीरीज़ से पहले ही तैयार है. डेविड वॉर्नर ने कहा है अश्विन को उनकी बल्लेबाज़ी के हिसाब से अपनी गेंदबाज़ी में बदलाव करने होंगे जिस तरह भारतीय ज़मीं पर उन्हें खेलने के लिए खुद वॉर्नर को बदलाव करने पड़े हैं.लेकिन वे अश्विन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.उनका गेमप्लैन रेडी है अश्विन 2011 में अपने डेब्यू के बाद से विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं. इस सबके बावजूद पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने कहा कि सौरव गांगुली अगर ये सोचते हैं कि पिछली सीरीज़ की तरह इस बार भी 'क्लीन स्वीप' होगा तो वो बहुत आशावादी हैं. मतलब कंगारू टीम का माइंडगेम्स खेलना जारी है, लेकिन इसका असर मैदान पर उतरने के बाद ही पता चलेगा.
सीरीज़ खत्म होने पर सचिन इन आंकड़ों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे (4 मैच, 8 पारियां, 493 रन, 70.42 औसत, 2 शतक 2 अर्धशतक). ऐसा प्लान एक बार नहीं, बार-बार बनाया गया, कभी शेन वॉर्न तो कभी ग्लेन मेक्ग्रा के ज़रिए..लेकिन सचिन का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ सर्वश्रेष्ठ रहा. सचिन के बाद अब फ़ोकस भारत के दो सबसे बड़े मैच विनर्स पर है. ये हैं कप्तान विराट कोहली और आर. अश्विन. ऑस्ट्रेलिया में 'मिस्टर क्रिकेट' के नाम से मशहूर पूर्व क्रिकेटर माइक हसी के मुताबिक मिचेल स्टार्क विराट कोहली को रोक सकते हैं. हसी ने कहा कि स्टार्क के पास स्विंग है, रिवर्स है, रफ़्तार है जिससे वे कोहली को पूरी सीरीज़ में परेशान कर सकते हैं.
टीम के कप्तान कप्तान स्टीव स्मिथ पहले ही अपने खिलाड़ियों को स्लेजिंग की अनुमति दे चुके हैं. ये जानते और समझते हुए कि पिछली सीरीज़ में विराट और मिचेल जॉनसन और डेविड वॉर्नर के बीच काफ़ी स्लेजिंग हो चुकी है. नतीजा ये रहा कि 2014-15 के उस ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर विराट ने 4 मैचों में 86.50 की औसत से 692 रन बना डाले (4 शतक, 1 अर्धशतक)
मैच भारतीय ज़मीं पर हैं. ऐसे में अश्विन भारत के नंबर वन मैच विनर बन जाते हैं और उनके लिए भी कंगारू टीम सीरीज़ से पहले ही तैयार है. डेविड वॉर्नर ने कहा है अश्विन को उनकी बल्लेबाज़ी के हिसाब से अपनी गेंदबाज़ी में बदलाव करने होंगे जिस तरह भारतीय ज़मीं पर उन्हें खेलने के लिए खुद वॉर्नर को बदलाव करने पड़े हैं.लेकिन वे अश्विन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.उनका गेमप्लैन रेडी है अश्विन 2011 में अपने डेब्यू के बाद से विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं. इस सबके बावजूद पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने कहा कि सौरव गांगुली अगर ये सोचते हैं कि पिछली सीरीज़ की तरह इस बार भी 'क्लीन स्वीप' होगा तो वो बहुत आशावादी हैं. मतलब कंगारू टीम का माइंडगेम्स खेलना जारी है, लेकिन इसका असर मैदान पर उतरने के बाद ही पता चलेगा.
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