नई दिल्ली:
संकट के दौर से जूझ रहे बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन रविवार को कार्यसमिति की आपात बैठक में अपने प्रशासनिक करियर की सबसे कठिन परीक्षा का सामना करेंगे जिसमें सदस्य आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले के मद्देनजर उनके इस्तीफे की मांग कर सकते हैं।
यह तय है कि श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना होगा लेकिन समझा जाता है कि वह पद छोड़ने से पहले तीन मांगें रखेंगे। उनकी तीन मांगें यह होंगी कि जांच में पाक साफ साबित होने पर उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाया जाए, आईसीसी की बैठकों में वह भारत का प्रतिनिधित्व करें और सचिव संजय जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के को नए पेनल में शामिल न किया जाए जिन्होंने उन्हें 'धोखा' दिया है।
समझा जाता है कि बीसीसीआई सदस्य जगदाले और शिर्के की अनदेखी करने के पक्ष में नहीं है और उनकी इस मांग को माना नहीं जाएगा।
बोर्ड के शीर्ष सदस्य श्रीनिवासन को पद छोड़ने के लिए मजबूर करने की रणनीति बना रहे हैं। जब तक उनके दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मय्यप्पन के खिलाफ जांच जारी है, तब तक उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।
श्रीनिवासन से साफ तौर पर कहा जाएगा कि भारतीय क्रिकेट के हित में यही है कि वह नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दें।
यदि वह नहीं मानते हैं तो बोर्ड के अधिकांश अधिकारी इस्तीफा देंगे और ऐसे में बोर्ड में संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा जिसमें उनके सामने पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
यह तय है कि श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना होगा लेकिन समझा जाता है कि वह पद छोड़ने से पहले तीन मांगें रखेंगे। उनकी तीन मांगें यह होंगी कि जांच में पाक साफ साबित होने पर उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाया जाए, आईसीसी की बैठकों में वह भारत का प्रतिनिधित्व करें और सचिव संजय जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के को नए पेनल में शामिल न किया जाए जिन्होंने उन्हें 'धोखा' दिया है।
समझा जाता है कि बीसीसीआई सदस्य जगदाले और शिर्के की अनदेखी करने के पक्ष में नहीं है और उनकी इस मांग को माना नहीं जाएगा।
बोर्ड के शीर्ष सदस्य श्रीनिवासन को पद छोड़ने के लिए मजबूर करने की रणनीति बना रहे हैं। जब तक उनके दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मय्यप्पन के खिलाफ जांच जारी है, तब तक उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।
श्रीनिवासन से साफ तौर पर कहा जाएगा कि भारतीय क्रिकेट के हित में यही है कि वह नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दें।
यदि वह नहीं मानते हैं तो बोर्ड के अधिकांश अधिकारी इस्तीफा देंगे और ऐसे में बोर्ड में संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा जिसमें उनके सामने पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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