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This Article is From Oct 27, 2015

यह रही है टीम इंडिया की स्ट्रेंथ, चयनकर्ताओं को देना होगा विशेष ध्यान

यह रही है टीम इंडिया की स्ट्रेंथ, चयनकर्ताओं को देना होगा विशेष ध्यान
टीम इंडिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया की बुरी पराजय से फैन्स खासे खफा हैं। वे इस हार को पचा नहीं पा रहे। हो भी क्यों न एक समय वर्ल्ड में नंबर वन रही टीम इंडिया का इतना बुरा दौर उनसे देखा नहीं जा रहा। जिस टीम में वनडे में दो दोहरे शतक लगाने वाला बल्लेबाज हो, 23 वनडे शतक लगाने वाला प्लेयर खेल रहा हो और जिसका कप्तान आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीत चुका हो, उसकी ऐसी बुरी हार चुभेगी ही। फैन्स ही क्यों, एक्सपर्ट भी खुश भी नहीं हैं। कोई धोनी को जिम्मेदार बता रहा है, तो कोई गेंदबाजों के पीछे पड़ा है। इतना ही नहीं अब पिच भी निशाने पर है। साल 2015 तो हमारे लिए अब तक बहुत ही बुरा रहा है। ऐसे में हमें अपनी स्ट्रेंथ पहचानने की जरूरत है।

गेंदबाजी कभी नहीं रही हमारी स्ट्रेंथ
एक्सपर्ट हार के लिए सीरीज में टीम इंडिया की गेंदबाजी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। खासतौर से तेज गेंदबाजी को। पर क्या उन्होंने हमारे क्रिकेट इतिहास पर गौर किया है। यदि तेज गेंदबाजी के इतिहास पर नजर डालें, तो हम इस फील्ड में कभी भी आगे नहीं रहे। इस लिस्ट में गिने-चुने नाम ही मिलेंगे जैसे कपिल देव, श्रीनाथ और जहीर खान। मुनफ पटेल जैसा जो भी नया तेज गेंदबाज आता है, वह शुरुआत 140 की रफ्तार से करता है और फिर 135 पर आकर मीडियम पेसर बन जाता है। इसका कारण यह है कि हमारे गेंदबाज रफ्तार तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन वे गेंद को पिच में सही जगह पर जोर से हिट करने की क्षमता डेवलप नहीं कर पाते। ऐसे में उनकी खूब पिटाई हो जाती है और वे गियर बदलकर लाइन-लेंथ पर ध्यान देने के चक्कर में रफ्तार से समझौता कर लेते हैं। यदि अन्य टीमों पर गौर करें, तो वे तेजी के साथ गेंद को सही जगह पर जोर से हिट करते हैं। जब भी वे ऐसा नहीं कर पाते, हमारे बल्लेबाज भी उनके खिलाफ रन बटोर लेते हैं।

गेंदबाजी में देखें तो पिछले कुछ सालों में हमारी कुछ स्ट्रेंथ स्पिन में जरूर रही है, लेकिन वह भी अब उस स्तर की नहीं रही, जैसी कुंबले, हरभजन के स्वर्णिम दौर में थी। आर अश्विन ने जरूर कुछ उम्मीद जगाई, लेकिन चोटिल हो गए, जो टीम इंडिया के लिए जबर्दस्त झटका साबित हुआ। ऐसे में हमें अपनी मुख्य स्ट्रेंथ पर ध्यान देना होगा। अब सवाल यह उठता है, हमारी मुख्य स्ट्रेंथ है क्या?

यह है हमारी स्ट्रेंथ
बैटिंग...जी हां, यही हमारी स्ट्रेंथ रही है। अधिकांशतः हमने इसी के बल पर विजय हासिल की हैं। भला हम 'फैबुलस फाइव' (सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग) को कैसे भूल सकते हैं। हालांकि वनडे क्रिकेट में इसे 'फैबुलस फोर' कहना ज्यादा उचित होगा, क्योंकि लक्ष्मण का वनडे में उतना योगदान नहीं रहा। इनके जाते ही हमारी बैटिंग कमजोर हो गई। हाल ही में इस सूची के अंतिम सदस्य सहवाग ने संन्यास ले लिया। वे फॉर्म के लिए संघर्ष करे रहे थे और लंबे समय से टीम से बाहर थे। 

वनडे में 'फैबुलस फोर' के बाहर जाते ही, बैटिंग का बोझ रोहित और विराट जैसे युवाओं के कंधे पर आ गया। इन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया भी। रोहित वनडे में जहां दो दोहरे शतक लगा चुके हैं, वहीं कोहली के 23 शतक हैं। इनमें बस एक ही कमी है- निरंतरता की। वर्तमान बल्लेबाजी क्रम में एक और बड़ी कमी है। हमारे पास नंबर 5, 6 और 7 पर हिटर नहीं हैं। 'फैबुलस फोर' के जमाने भी नंबर 5 पर युवराज, 6 पर धोनी और 7 पर रैना का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। धोनी और रैना अभी भी टीम का हिस्सा हैं, लेकिन उनमें अब वह दमखम नहीं रहा। वे गेंद को सीमा से बाहर भेज पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं और यहीं हम मात खा रहे हैं। नंबर 5 अहम पोजिशन है। उसमें युवराज जैसा खिलाड़ी चाहिए। यहां .यह समझना जरूरी है कि हम युवराज जैसे खिलाड़ी की बात कर रहे हैं, न कि युवराज सिंह की। ऐसा इसलिए क्योंकि रणजी में इक्का-दुक्का मौकों पर ही लय में दिखे हैं।

जरूरत है 'यंग ब्लड' को मौके देने की
हमें नंबर 5, 6 और 7 के बैटिंग ऑर्डर पर ध्यान देना होगा। इसके लिए 'यंग ब्लड' चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उम्र बढ़ने का साथ रिफ्लेक्सेस स्लो हो जाते हैं जैसा कि धोनी के साथ हो रहा है। 145 की रफ्तार से आती गेंद को बाउंड्री से बाहर भेजने के लिए उतनी ही तेजी से रिफ्लेक्स एक्शन चाहिए होता है। चयनकर्ताओं ने धोनी को एक विकल्प गुरकीरत सिंह के रूप में दिया भी था, लेकिन धोनी ने उन पर भरोसा नहीं किया। वे इतना जल्दी किसी पर भरोसा नहीं करते, लेकिन उन्हें किसी पर तो भरोसा करना ही होगा।

हम किसी को नेट पर बैटिंग करता हुआ देखकर नकार नहीं सकते, उसे मैच में पर्याप्त अवसर देना होगा। दरअसल लंबे समय से टीम इंडिया में कोई ऐसा चेहरा नहीं आया है, जिसने खुद को स्थापित किया हो। रवींद्र जडेजा, स्टुअर्ट बिन्नी को मौके मिले, लेकिन वे खरे नहीं उतरे। जडेजा को तो उम्मीद से अधिक मौके मिले। शायद इससे भी धोनी का विश्वास नए खिलाड़ियों पर कम हो गया हो।

अब हमें नंबर 5 और 7 के लिए एक बैटिंग ऑलराउंडर जल्दी से जल्दी खोजना होगा, जो युवी की तरह गेंद को बाउंड्री का रास्ता दिखा सके और जरूरत पड़ने पर विकेट भी ले सके। हमारी स्ट्रेंथ बैटिंग ही है। इसे फिर से पहचानना होगा और उसके अनुसार कदम उठाने होंगे। अन्यथा टीम हारती रहेगी और फैन्स निराश होते रहेंगे।

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