अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दुनिया के सबसे ताकतवर और अमीर क्रिकेट बोर्ड को नए अध्यक्ष के रूप में अनुराग ठाकुर मिल गए हैं। शशांक मनोहर के इस्तीफा देकर आईसीसी जाने के बाद यह पद खाली हुआ था। अनुराग ठाकुर के बारे में पांच बातें जो शायद आप नहीं जानते होंगे..
1. साल 2000 में 25 साल की छोटी से उम्र में वह अपने पिता प्रेम कुमार धुमल की छत्र छाया में हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। मगर उन्हें बीसीसीआई में कोई बड़ा पद चाहिए था और उन्हें हर हाल में प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेलना था।
2. इसलिए उसी साल अध्यक्ष रहते हुए वह एक दिन मैदान पहुंचे और ऐलान कर दिया कि वह उस मैच में न केवल टीम में खेलेंगे बल्कि वह उस टीम की कप्तानी भी करेंगे। जो बोलता, वह मरता, इसीलिए अनुराग ठाकुर जी की बात को किसी ने नहीं नकारा।
3. जम्मू-कश्मीर के खिलाफ उस मैच में वह खेले, मगर बल्ले से अपना खाता भी नहीं खोल पाए। वह 7 गेंद तक मैदान पर रहे लेकिन एक भी रन नहीं बना पाए। हालांकि गेंदबाजी में उन्होंने दो पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट कर पूरी तरह शर्मिंदगी को बचा लिया।
4. हिमाचल प्रदेश में क्रिकेट बैकफुट पर आ गया लेकिन अनुराग ठाकुर का बीसीसीआई में सफर शुरू हो गया। अब वह प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी बन चुके थे और इसीलिए वह पहले जूनियर क्रिकेट में चयनकर्ता बने और फिर अपने राजनैतिक रसूख के सहारे बीसीसीआई के सबसे बड़े अधिकारी बन गए हैं।
5. मार्च के महीने में जो हलफनामा बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया उसके हिसाब से अनुराग ठाकुर दिलीप वेंगसरकर, शिवलाल यादव और ब्रजेश पटेल जैसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं जो अब बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट को संवारने का काम कर रहे हैं। यह और बात है कि वेंगसरकर ने 100 से ज़्यादा टेस्ट मैच खेले हैं और अनुराग ठाकुर ने सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच... वह भी सीधे कप्तान बनकर।
1. साल 2000 में 25 साल की छोटी से उम्र में वह अपने पिता प्रेम कुमार धुमल की छत्र छाया में हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। मगर उन्हें बीसीसीआई में कोई बड़ा पद चाहिए था और उन्हें हर हाल में प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेलना था।
2. इसलिए उसी साल अध्यक्ष रहते हुए वह एक दिन मैदान पहुंचे और ऐलान कर दिया कि वह उस मैच में न केवल टीम में खेलेंगे बल्कि वह उस टीम की कप्तानी भी करेंगे। जो बोलता, वह मरता, इसीलिए अनुराग ठाकुर जी की बात को किसी ने नहीं नकारा।
3. जम्मू-कश्मीर के खिलाफ उस मैच में वह खेले, मगर बल्ले से अपना खाता भी नहीं खोल पाए। वह 7 गेंद तक मैदान पर रहे लेकिन एक भी रन नहीं बना पाए। हालांकि गेंदबाजी में उन्होंने दो पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट कर पूरी तरह शर्मिंदगी को बचा लिया।
4. हिमाचल प्रदेश में क्रिकेट बैकफुट पर आ गया लेकिन अनुराग ठाकुर का बीसीसीआई में सफर शुरू हो गया। अब वह प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी बन चुके थे और इसीलिए वह पहले जूनियर क्रिकेट में चयनकर्ता बने और फिर अपने राजनैतिक रसूख के सहारे बीसीसीआई के सबसे बड़े अधिकारी बन गए हैं।
5. मार्च के महीने में जो हलफनामा बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया उसके हिसाब से अनुराग ठाकुर दिलीप वेंगसरकर, शिवलाल यादव और ब्रजेश पटेल जैसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं जो अब बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट को संवारने का काम कर रहे हैं। यह और बात है कि वेंगसरकर ने 100 से ज़्यादा टेस्ट मैच खेले हैं और अनुराग ठाकुर ने सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच... वह भी सीधे कप्तान बनकर।
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