नई दिल्ली:
भारत के हाथों टेस्ट शृंखला में 4-0 से सफाये के बाद ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने अपनी टीम को जमकर लताड़ा और गलत शॉट्स के चयन के लिए बल्लेबाजों की भर्त्सना की है।
टेलीग्राफ में एक लेख में कहा गया, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का 2013 का दौरा अब तक का बदतरीन है। यह पिछले 34 साल में देश की सबसे खराब टेस्ट टीम है। हेराल्ड सन ने कहा, एक ही गलती को बार-बार दोहराना और अलग नतीजों की अपेक्षा करना पागलपन होता है। ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज जब तक बदलेंगे नहीं तो एशेज से पहले उन्हें पागलखाने में दाखिल कराना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, एशेज से पहले चिंता का विषय बल्लेबाजी औसत नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की मानसिकता है, जिससे उन्होंने फैसले लिए और गलतियां कीं। ऑस्ट्रेलियाई खेल लेखकों ने शीषर्क्रम के बल्लेबाजों खासकर कार्यवाहक कप्तान शेन वाटसन को जमकर आड़े हाथों लिया।
टेलीग्राफ ने कहा, संघर्ष के दौर से जूझ रहे वाटसन की जगह टीम में पक्की नहीं होनी चाहिए। उन्होंने खराब प्रदर्शन की हद कर दी। उसे अपने प्रदर्शन पर आत्ममंथन करने की जरूरत है। इसमें कहा गया, माइकल क्लार्क के साथ वह ऑस्ट्रेलिया का सबसे सीनियर खिलाड़ी है, लेकिन वह एकमात्र बल्लेबाज है जिसने अर्धशतक भी नहीं बनाया। पुछल्ले बल्लेबाजों तक ने अर्धशतक बनाए हैं।
सिडनी मार्निंग हेराल्ड ने कहा, दिल्ली में कप्तान रहे वाटसन सबसे ज्यादा दोषी हैं। उनके शॉट्स का चयन और कई फैसले गलत थे। कोई ऐसे कप्तानी नहीं करता है। हेराल्ड सन ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के आउट होने के तरीकों पर उंगली उठाई।
इसने कहा, ऑस्ट्रेलिया का इस सीरीज में दूसरा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर 99 रन था, जो तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने बनाया। भारत में आउट होना कोई अपराध नहीं है, लेकिन इस तरीके से आउट होना बिल्कुल है। सिडनी मार्निंग हेराल्ड ने लिखा कि शीषर्क्रम में आमूलचूल बदलाव ही इस समस्या से उबरा जा सकता है।
इसने कहा, इन सबसे ऊपर एक बात है। वह होमवर्क कांड, माइकल क्लार्क और शेन वाटसन की अनबन या मिकी आर्थर का ट्विटर अकाउंट नहीं है। ऑस्ट्रेलिया का शीषर्क्रम सबसे ज्यादा कसूरवार है।
टेलीग्राफ में एक लेख में कहा गया, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का 2013 का दौरा अब तक का बदतरीन है। यह पिछले 34 साल में देश की सबसे खराब टेस्ट टीम है। हेराल्ड सन ने कहा, एक ही गलती को बार-बार दोहराना और अलग नतीजों की अपेक्षा करना पागलपन होता है। ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज जब तक बदलेंगे नहीं तो एशेज से पहले उन्हें पागलखाने में दाखिल कराना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, एशेज से पहले चिंता का विषय बल्लेबाजी औसत नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की मानसिकता है, जिससे उन्होंने फैसले लिए और गलतियां कीं। ऑस्ट्रेलियाई खेल लेखकों ने शीषर्क्रम के बल्लेबाजों खासकर कार्यवाहक कप्तान शेन वाटसन को जमकर आड़े हाथों लिया।
टेलीग्राफ ने कहा, संघर्ष के दौर से जूझ रहे वाटसन की जगह टीम में पक्की नहीं होनी चाहिए। उन्होंने खराब प्रदर्शन की हद कर दी। उसे अपने प्रदर्शन पर आत्ममंथन करने की जरूरत है। इसमें कहा गया, माइकल क्लार्क के साथ वह ऑस्ट्रेलिया का सबसे सीनियर खिलाड़ी है, लेकिन वह एकमात्र बल्लेबाज है जिसने अर्धशतक भी नहीं बनाया। पुछल्ले बल्लेबाजों तक ने अर्धशतक बनाए हैं।
सिडनी मार्निंग हेराल्ड ने कहा, दिल्ली में कप्तान रहे वाटसन सबसे ज्यादा दोषी हैं। उनके शॉट्स का चयन और कई फैसले गलत थे। कोई ऐसे कप्तानी नहीं करता है। हेराल्ड सन ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के आउट होने के तरीकों पर उंगली उठाई।
इसने कहा, ऑस्ट्रेलिया का इस सीरीज में दूसरा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर 99 रन था, जो तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने बनाया। भारत में आउट होना कोई अपराध नहीं है, लेकिन इस तरीके से आउट होना बिल्कुल है। सिडनी मार्निंग हेराल्ड ने लिखा कि शीषर्क्रम में आमूलचूल बदलाव ही इस समस्या से उबरा जा सकता है।
इसने कहा, इन सबसे ऊपर एक बात है। वह होमवर्क कांड, माइकल क्लार्क और शेन वाटसन की अनबन या मिकी आर्थर का ट्विटर अकाउंट नहीं है। ऑस्ट्रेलिया का शीषर्क्रम सबसे ज्यादा कसूरवार है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं