कोच अनिल कुंबले ने कहा है कि टीम इंडिया मैदान में आक्रामक तेवर दिखाना जारी रखेगी (फाइल फोटो)
बेंगलुरू टेस्ट के 'धूमधड़ाके' के बाद टीम इंडिया रांची के रण में भी कूदने को तैयार है. खेल के साथ-साथ स्लेजिंग भी इस सीरीज़ का हिस्सा हो गई है और टीम इंडिया आगे भी इसे आजमाने से परहेज नहीं करेगी. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के तेवर DRSके विवाद के बाद और सख़्त हो गए हैं. गौरतलब है कि पुणे टेस्ट हारने के बाद टीम इंडिया ने बेंगलुरू टेस्ट में शानदार जीत हासिल की है. दो टेस्ट मैचों की सीरीज इस समय 1-1 की बराबरी पर है.
बेंगलुरू में हासिल की गई जोरदार जीत के बाद टीम इंडिया ने मैदान पर आक्रामक तेवर जारी रखने के लिए संकेत दिए हैं. आमतौर पर शांत रहने वाले कोच अनिल कुंबले ने भी साफ़ किया कि जब तक टीम जीत रही है, वे खिलाड़ियों पर लगाम नहीं लगाएंगे. कुंबले ने कहा कि "किसी भी खिलाड़ी के स्वाभाविक खेल और आक्रामकता पर लगाम लगाने की ज़रूरत नहीं जब तक कि वे खिलाड़ी मैदान पर जाकर वो कर पा रहा है जो उनसे उम्मीद की जाती है. इस बारे में हम ज़्यादा नहीं सोचते." नए ज़माने के नए खिलाड़ियों को कुंबले बदलने के हक में नहीं हैं. उनकी नज़र में पहले के खिलाड़ी भी दमखम से खेलते थे, फर्क इतना है कि आज के खिलाड़ियों का मैच फेस अलग है.
कुंबले के मुताबिक "पहले की भारतीय टीम में भी दमखम था, लेकिन इस टीम के खिलाड़ियों का अपने आप को वयक्त करने का तरीका अलग है. मेरा काम यही है कि एक दिन में 90 ओवर होते है और उस दौरान टीम का जोश बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करूं." कोच कुंबले विवादों को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे. फिर चाहे यह अश्विन और वॉर्नर के बीच जंग हो या फिर विराट और स्मिथ के बीच तनातनी . कोच का कहना है कि मैदान के बाहर ये माइंड गेम खेल पर असर नहीं डालते और टीम खेल को दिमाग में रखकर ही मैदान पर जाती है. कुंबले मानते है कि " विवादों का खेल पर असर नहीं पड़ेगा, मीडिया इस बारे में ज्यादा बात करती है, खिलाड़ियों का ध्यान तो सिर्फ़ खेल पर है." मतलब साफ़ है कि टीम इंडिया का आक्रामक तेवर कायम रहेगी और जीतने के लिए टीम हर कोशिश करेगी.
बेंगलुरू में हासिल की गई जोरदार जीत के बाद टीम इंडिया ने मैदान पर आक्रामक तेवर जारी रखने के लिए संकेत दिए हैं. आमतौर पर शांत रहने वाले कोच अनिल कुंबले ने भी साफ़ किया कि जब तक टीम जीत रही है, वे खिलाड़ियों पर लगाम नहीं लगाएंगे. कुंबले ने कहा कि "किसी भी खिलाड़ी के स्वाभाविक खेल और आक्रामकता पर लगाम लगाने की ज़रूरत नहीं जब तक कि वे खिलाड़ी मैदान पर जाकर वो कर पा रहा है जो उनसे उम्मीद की जाती है. इस बारे में हम ज़्यादा नहीं सोचते." नए ज़माने के नए खिलाड़ियों को कुंबले बदलने के हक में नहीं हैं. उनकी नज़र में पहले के खिलाड़ी भी दमखम से खेलते थे, फर्क इतना है कि आज के खिलाड़ियों का मैच फेस अलग है.
कुंबले के मुताबिक "पहले की भारतीय टीम में भी दमखम था, लेकिन इस टीम के खिलाड़ियों का अपने आप को वयक्त करने का तरीका अलग है. मेरा काम यही है कि एक दिन में 90 ओवर होते है और उस दौरान टीम का जोश बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करूं." कोच कुंबले विवादों को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे. फिर चाहे यह अश्विन और वॉर्नर के बीच जंग हो या फिर विराट और स्मिथ के बीच तनातनी . कोच का कहना है कि मैदान के बाहर ये माइंड गेम खेल पर असर नहीं डालते और टीम खेल को दिमाग में रखकर ही मैदान पर जाती है. कुंबले मानते है कि " विवादों का खेल पर असर नहीं पड़ेगा, मीडिया इस बारे में ज्यादा बात करती है, खिलाड़ियों का ध्यान तो सिर्फ़ खेल पर है." मतलब साफ़ है कि टीम इंडिया का आक्रामक तेवर कायम रहेगी और जीतने के लिए टीम हर कोशिश करेगी.
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