बड़ी-बड़ी ख़बरों की राजधानी दिल्ली में गांव कस्बों या आम लोगों की परेशानियों की ख़बरें कैसे जगह बनाएं, हमसे ज़्यादा लोग सोचने लगे हैं. वे हर दिन कोई न कोई आइडिया निकालते हैं कि क्या किया जाए कि उनकी परेशानी और सिस्टम की लापरवाही की ख़बरें चैनलों के नेशनल सिलेबस को चीरते हुए जगह बना लें. आप जानते हैं कि भारत के न्यूज़ चैनलों पर पिछले साढ़े चार साल से एक नेशनल सिलेबस चल रहा है जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है, लेकिन कॉलेजों में सिलेबस पूरा करने के लिए जो प्रोफेसर लेक्चरर होने चाहिए उनमें इन्हीं चार सालों में 2 लाख 34 हज़ार लेक्चरर कम हो गए. यानी जो पढ़ाई होनी चाहिए वो नहीं हो रही है, मगर टीवी चैनलों के ज़रिए राजनीति आपको हिन्दू-मुस्लिम का सिलेबस पढ़ा रही है. अच्छी बात यह है कि हर दिन ज़मीन पर लाखों की संख्या में लोग अपनी समस्याओं को लेकर चैनलों के दरवाज़े खटखटा रहे हैं कि उनकी खबर चले और चलने के बाद सरकार कार्रवाई करे.
लोगों ने अपना तरीका निकाल लिया है. पिछले दो दिनों से यूपी के बरेली के हाफिज़गंज कस्बे से लोग दनादन मैसेज कर रहे हैं कि हमारे इलाके की सड़क बेहद ख़राब है. हमारा कारोबार, जीवन सब कुछ तबाह हो गया है. नेशनल मीडिया यह सवाल क्यों नहीं उठाता है. बरेली के कुछ नौजवानों ने लिखा है कि यह गांव मेन हाईवे पीलीभीत बाईपास पर स्थित है. हमारे कस्बे की मेन रोड जिसकी तस्वीर हम अटैच कर रहे हैं, आप देख लीजिए. जून 2018 में विधायक जी ने रोड पास करवा कर शिलान्यास भी करवा दिया मगर फोटो देख लीजिए. कांवड़ियों के आने जाने का मार्ग भी यही है. पीलीभीत, नवाबगंज, खटीमा और टनकपुर के कांवड़िये इसी मार्ग से गुज़रते हैं. सर, शिव भक्त गंदे पानी और कीचड़ में से गुज़रते हैं. देखकर बुरा लगता है, पर हम जनता क्या कर सकते हैं. स्कूल के बच्चे रोज़ साफ सुथरे कपड़े पहनकर आते हैं लेकिन बेचारे रोज़ गंदे पानी से गुज़रते हैं, गिर जाते हैं और चोट लग जाती है. प्रशासन कान में तेल डाल कर बैठा है. एक बार आप प्राइम टाइम में दिखा दीजिए, आपका असर बहुत जल्दी होता है. पिछले तीन साल से रोड की हालत ख़राब है. एक रिपोर्टर यहां भेज कर एनडीटीवी के माध्यम से टीवी पर दिखाने की कृपा करें. विचित्र शंखधार ने हमारे लिए ये वीडियो बनाकर भेजा है. विचित्र ने पिछले साल भी तस्वीरों के साथ ज़िलाधिकारी से शिकायत की थी कि इस सड़क को ठीक किया जाए.
बारिश हर साल का बहाना है, टूटी सड़कों को टूटे रहने का एक तरह से सेवा विस्तार है बारिश. मगर लोग जानते हैं कि बारिश में ऐसी बहुत सी सड़के हैं जो नहीं टूटी हैं. मीडिया ने लोगों को छोड़ दिया है या उनके संघर्ष या खबरों को किसी कोने में छाप कर, स्पीड में हदबद-हदबद चलाकर किनारा कर लेता है. स्पीड न्यूज़ को कभी देखिएगा. खबरें इस तरह से गुज़र जाती हैं जैसे एक्सप्रेस ट्रेन के बगल से सुपरफास्ट ट्रेन. ख़बरों की हाज़िरी तो लग जाती है मगर स्पीड न्यूज़ की रफ्तार उन ख़बरों की हत्या कर देती है. लोग समझ रहे हैं कि ख़बरों का मतलब क्या होता है. हमने कुछ दिन पहले नेशनल हाईवे एनएच-43 की हालत दिखाई थी. उसकी हालत जस की तस है.
कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग सरगुजा ज़िले के अम्बिकापुर बतौली और सीतापुर से गुज़रती है. 2016 में आंध्रप्रदेश की एक कंपनी को टेंडर मिला था मगर यहां अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है. कंपनी ने आधी सड़क का पुराना हिस्सा उखाड़ दिया मगर नया कुछ नहीं बनाया. कंपनी का पता नहीं है. ताज़ा खबर ये है कि बारिश के कारण सड़क की हालत और बिगड़ गई, जिसके कारण 24 घंटे का लंबा जाम लग गया. आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पूर्वी प्रदेशों के साथ राजधानी दिल्ली तक जोड़ने वाली इस सड़क की हालत बहुत खराब है, घंटों जाम के कारण काफी समय बर्बाद हो रहा है. यही नहीं स्थानीय लोगों का जनजीवन भी पूरी तरह प्रभावित है.
अब बीजेपी सांसद रणवीर सिंह जूदेव ने इसे लेकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया है. रणवीर सिंह जूदेव ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे खुद आकर इस सड़क की हालत देख जाएं. ऐसी बात नहीं है कि जनता अपनी तरफ से सक्रिय नहीं है. भागलपुर में ही नेशनल हाईव 107 की मरम्मत को लेकर रिक्शावाले से लेकर इंजीनियरिंग के छात्र अलग अलग धरना प्रदर्शन कर चुके हैं. हमने जब 11 जुलाई को खबर दिखाई थी तब उसके अगले दिन गड्डे भरने का काम शुरू भी हुआ था मगर फिर उसके बाद सब कुछ वहीं का वहीं रूका हुआ है. लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. बारिश के कारण सड़कें खराब नहीं हुई हैं, बारिश के पहले से ही ख़राब हैं. भागलपुर की जनता लोकतांत्रिक तरीके से मांग कर रही है और इस समस्या के बारे में सबको पता भी है बस समाधान नहीं हो रहा है.
पिछले हफ्ते 28 जुलाई को भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने भी इस सड़क को लेकर प्रदर्शन किया. उनका कॉलेज एनएच-80 पर है. कॉलेज के बाहर बड़े-बड़े गड्ढे बने होने के कारण छात्र ही गिर जाते हैं. उन्हें चोट लग जाती है. छात्रों ने अपने नागरिक होने का फर्ज़ अदा किया और एक दिन बैनर पोस्टर लेकर इस सड़क के निर्माण की मांग की. ऐसी बात नहीं है कि जनता अपनी तरफ से सक्रिय नहीं हैं. हमने 11 जुलाई को इस हाईवे को लेकर प्राइम टाइम में दिखाया था. उसके अगले दिन इसके गड्ढों को भरा जाने लगा मगर हमारे सहयोगी कन्हैया का कहना है कि एक ही दिन काम हुआ, उसके बाद काम का अता पता नहीं है. स्थानीय अखबारों में यही खबरें छप रही हैं कि गड्ढे में गिरने के कारण गर्भवती महिला की मौत हो गई. यह हाईवे इस बात का भी प्रमाण है कि स्थानीय स्तर पर रोज़ छपने के बाद भी व्यवस्था हरकत में नहीं आती है.
सांसद ने भी पत्र लिखा है. सबने सब किया है मगर एनएच-80 में कोई सुधार नहीं हो सका है. हम आपको प्रभात खबर के भागलपुर संस्करण की खबर दिखा रहे हैं. 31 जुलाई को खबर छपी है कि गर्भवती महिला विभा कुमारी की ज़िंदगी इस सड़क के कारण चली गई. रिश्तेदारों ने बताया कि विभा को लगातार खून निकल रहा था, अस्पताल लेकर जा रहे थे लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के पास जाम में उनका ऑटो फंस गया. विभा की जान चली गई ज़्यादा ख़ून बहने से. प्रभात खबर के अनुसार इस सड़क पर गड्ढों के कारण जाम लगा हुआ था. अक्सर लगा ही रहता है. विभा को सबोर से मायागंज पहुंचने में 2 घंटे लग गए. हर गड्ढे में जब ऑटो गिरता था, तब विभा दर्द से चीख उठती थी.
आपने इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को सुना. वे अपने अधिकारो को लेकर काफी स्पष्ट हैं. छात्रों ने अपने प्रदर्शन से नेशनल हाईवे के एग्ज़िक्यूटिव इंजीनियर को मजबूर कर दिया कि वे सादे कागज पर लिखकर वादा करें कि एक हफ्ते में गडढे़ भर देंगे और 21 सितंबर तक पूरा काम हो जाएगा. छात्रों ने कहा कि गड्ढा भरने का सामान आ रहा है. हमने उनसे कहा कि उनके प्रदर्शन के 5 दिन बाद कॉलेज के सामने क्या स्थिति है क्या वे वीडियो रिकॉर्ड कर भेज सकते हैं. जो भेजा है आप देखिए.
गोदी मीडिया जनता के मुद्दों को ऊपर आने से रोक रहा है, ऊपर के मुद्दों को जनता के माथे पर थोप रहा है मगर जनता संघर्ष कर रही है, वो तस्वीरें ले रही हैं, वीडियो भी बना रही है और जहां तहां मीडिया वालों को भेज रही है. राजनीति इन मसलों से दूर चली गई है. वो किसी थीम को लेकर एजेंडा सेट करती है, जिसे लेकर आप बहस करते रहे.
अब देखिए 8 लाख रेलवे के छात्र परेशान हैं कि उनका सेंटर 2000 किमी दूर सेंटर पड़ा है. ये छात्र बड़ी संख्या में हैं और रेल मंत्री पीयूष गोयल को लगातार ट्वीट कर रहे हैं. राजस्थान के अशोक चौधरी ने रेल मंत्री को ट्वीट किया है कि उन्हें परीक्षा के लिए नागौर से पटियाला जाना पड़ रहा है. कोलकाता के मिथिलेश यादव ने लिखा है कि उनका सेंटर भोपाल क्यों दिया गया है. बड़ी संख्या में छात्र हमसे संपर्क कर रहे हैं. 1 अगस्त को बिहार के दो तीन जगहों पर कुछ छात्रों ने प्रदर्शन भी किया. इसमें सासंद पप्पू यादव की पार्टी के झंडे भी दिख रहे हैं. सेंटर दूर होने के कारण बहुत से छात्र टिकट खरीद नहीं पा रहे हैं. बहुत से छात्रों को टिकट नहीं मिल रहा है क्योंकि ट्रेन में जगह नहीं है. एक समस्या यह भी है कि 3 दिन लगाकर परीक्षा देने जा रहे हैं मगर उसके आस पास कुछ और परीक्षाएं भी पड़ रही हैं जो उनका छूट जाएगा.
बिहार से राहुल जायसवाल ने रेल मंत्री को ट्वीट किया है कि 10 अगस्त को हैदराबाद में रेलवे का इम्तेहान है और अगले दिन ग्रामीण बैंक की परीक्षा है तो वे कैसे दे पाएंगे. दूरी के कारण हवाई जहाज़ से वापस आने की उनकी आर्थिक क्षमता नहीं है. देश का युवा नौकरी को लेकर परेशान हैं. रेलवे की भर्ती परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों के फॉर्म रिजेक्ट हुए हैं. बहुतों के लिए यह आखिरी चांस था. मैं पहले भी ज़िक्र किया था मगर वे रोज़ गुज़ारिश करते हैं कि एक बार और ज़िक्र कर दीजिए ताकि रेल मंत्री की नज़र पड़ जाए. अब लगता नहीं कि इसमें कुछ होगा. 9 अगस्त से परीक्षा होने जा रही है. रिजेक्ट हुए फॉर्म के बारे में छात्रों की अलग-अलग बातें हैं. कुछ बातों को सुनकर लगता है कि उनकी शिकायत सुनी जानी थी पर क्या करें. तो उनकी शांति के लिए हमने आज भी ज़िक्र कर दिया. अब इस बात की जांच खुद भी कर लें कि रेल मंत्रालय सुनता है या नहीं. 8 लाख छात्र भी जांच कर लें कि प्राइम टाइम में तीन-तीन दिन दूर सेंटर पड़ने के कारण परेशानी का मुद्दा उठाने का क्या असर होता है.
This Article is From Aug 02, 2018
टूटी सड़कों पर हादसों का ज़िम्मेदार कौन?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:अगस्त 02, 2018 00:09 am IST
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Published On अगस्त 02, 2018 00:09 am IST
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Last Updated On अगस्त 02, 2018 00:09 am IST
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