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This Article is From Nov 25, 2022

क्या मंदी का असर भारत पर पड़ेगा ?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 25, 2022 23:32 pm IST
    • Published On नवंबर 25, 2022 22:20 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 25, 2022 23:32 pm IST

अभी दो महीने पहले की बात है, जब वित्त मंत्री से लेकर रिज़र्व बैंक के गवर्नर के बयान हेडलाइन में छप रहे थे कि भारत में मंदी नहीं आएगी। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने तो कई बार ट्विट किया है कि अमुक चीज़ का निर्यात बढ़ गया है। ट्विटर पर अलग अलग आइटमों के निर्यात की सूचना अलग अलग शीर्षक से देते रहते हैं। बस किसी आइटम की तुलना 2013 से करते हैं तो किसी कि 2021 से। कभी अप्रैल सितंबर का पैमाना होता है तो कभी अप्रैल से अगस्त का। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का चार नवंबर का एक ट्विट है कि ब्रांड इंडिया दुनिया भर में आगे बढ़ रहा है। कृषि और प्रसंस्करित खाद्य उत्पादों का निर्यात अप्रैल-सितंबर में 25 प्रतिशत बढ़ गया है। इसी समय के पिछले साल की तुलना में। इसी दिन एक ट्विट है। मधु क्रांति, भारत से मधु का निर्यात अप्रैल-अप्रैल अगस्त 2013 की तुलना में इस साल 4 गुना बढ़ गया है। 
तीन नवंबर का ट्विट है, निर्यात मसालेदार होता जा रहा है। क्योंकि काले और सफेद गोलमिर्च का निर्यात अप्रैल नवंबर 2022 में 2.7 गुना बढ़ गया है। इस बार इसकी तुलना अप्रैल नवंबर 2013 से की गई है। 
यहां तक कि पपीता, तरबूज और खरबूजे के निर्यात का आंकड़ा भी मंत्री ट्विट करते हैं जबकि इनका कुल निर्यात 70 करोड़ के आस पास का ही है. अच्छी बात है कि कुछ चीज़ों में निर्यात बढ़ रहा है लेकिन क्या यह पर्याप्त है, क्या यही निर्यात सेक्टर का मुख्य चेहरा है? भारत के भीतर आयात कितना बढ़ रहा है, क्यों बढ़ रहा है इसे लेकर ट्विट क्यों नहीं होते हैं? क्या वो घट रहा है? 13 नवंबर को पीयूष गोयल ट्विट करते हैं कि भारत में बने टैक्टर का निर्यात 2013 के अप्रैल सितंबर की तुलना में 3 गुना बढ़ गया है। खिलौने के निर्यात में 2013 के अप्रैल-अगस्त की तुलना में इस साल 636 प्रतिशत बढ़ गया है।

मंत्री जी ही बेहतर बता सकते थे कि जब भारत में बने खिलौने का निर्यात 636 प्रतिशत बढ़ रहा है तब तो चीन में बने खिलौने के आयात में कमी आनी चाहिए? पीयूष गोयल के मंत्रालय की वेबसाइट पर चीन से आयात किए जा रहे खिलौनों के बारे में जानकारी दी गई है। इन आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि मंत्री जी के ट्विट से सारे प्रश्नों के जवाब नहीं मिलते हैं। जैसे इसकी जानकारी नहीं है कि 636 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तो भारत कितने हज़ार या कितने हज़ार  करोड़ के खिलौनों का निर्यात  करने लगा है? वेबसाइट पर खिलौने, गेम और खेल के सामान वगैरह के आयात  का डेटा कहता है कि 2021-22 में चीन से 1838 करोड़ का आयात हुआ है. 2022-23 के अप्रैल से सितंबर के बीच करीब 941 करोड़ का आयात हुआ है। लेकिन भारत भी चीन को खिलौने का निर्यात करता है। पिछले साल 2021-22 में 39 करोड़ ही था और इस साल अप्रैल से सितंबर में 17 करोड़। बहुत ही कम है चीन के आयात के सामने। खिलौने के आंकड़े के बाद हम कुल व्यापार का आंकड़ा देख लेते हैं। कुल मिलाकर अप्रैल से सितंबर 2022-23 के बीच निर्यात 15.54 प्रतिशत तो बढ़ा है जैसा कि सरकार का डेटा कहता है लेकिन इसी के साथ आयात भी 37.89 प्रतिशत बढ़ गया है। आयात हो रहा है 378 अरब डॉलर का और निर्यात हो रहा है 229 अरब डॉलर का। इस कारण भारत का व्यापार घाटा इस वित्त वर्ष के पहले छह महीने में करीब डेढ़ सौ अरब डॉलर का हो गया है जो पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच केवल 76 अरब डॉलर का था। 
बहरहाल निर्यात के आंकड़ों का बढ़ा हुआ दिखाने की हेडलाइन आज के अखबारों में लड़खड़ाती नज़र आ रही है। वित्त मंत्रालय की किसी रिपोर्ट के हवाले से हिन्दू में यह खबर छपी है कि दुनिया भर में विकास की संभावनाएं तेज़ी से कमज़ोर पड़ती जा रही हैं,मुद्रा स्फीति और मांग कम होने के कारण दुनिया भर में मंदी की आशंका है।

इसका भारत के निर्यात कारोबार पर पड़ सकता है। इस समय भारत में बजट बनने की प्रक्रिया चल रही है। हमारे सहयोगी हिमांशु शेखर ने एक रिपोर्ट फाइल की है।Federation of Indian Export Organizations के अध्यक्ष डॉ ए सक्थिवेल ने सरकार से कहा है कि निर्यातकों को इंसेंटिव पैकज मिलना चाहिए क्योंकि रुपये का मोल घट गया है और दुनिया भर में मंदी है। निर्यातकों के संगठन का कहना है कि मांग घटने और रुपये के मोल में गिरावट आने से बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होता जा रहा है। निर्यात सेक्टर को सरकार के सपोर्ट की ज़रूरत है। इसके लिए निर्यात विकास फंड बनाया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह निर्यातकों के खर्चों पर 200 प्रतिशत की कर छूट दे।कर्ज़ भी सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाए। क्या ये किसी मज़बूत निर्यात सेक्टर की निशानी है? अगर सबकुछ इतना ठोस है तब फिर यह सेक्टर सरकार से टैक्स 
छूट से लेकर इंसेंटिव तक क्यों मांग रहा है। एक बात और है। मंत्री के ट्विट से और निर्यात संगठन की मांग से सही तस्वीर का पता नहीं चलता है कि भारत का निर्यात सेक्टर किन चीज़ों में तेज़ी से प्रगति कर रहा है और किन चीज़ों में भविष्य के लिए संभावनाएं पेश करता है। 

अब आते हैं टेक्साइल सेक्टर के निर्यात के लक्ष्य पर। कैसे मीडिया में लक्ष्य बताया जाता है और कैसे जब संसद में पूछा जाता है कि क्या कोई लक्ष्य तय हुआ है तो गोल मोल जवाब दिया जाता है। तीन सितंबर 2021 को पीयूष गोयल ट्विट करते हैं कि सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर के लिए 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। 

प्रधानमंत्री टेक्सटाइल सेक्टर से बहुत उम्मीद रखते हैं। ज़ाहिर है मंत्री जब बात करेंगे कि 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है तो सांसदों की भी नज़र होगी। ध्यान रहे कि मंत्री जी का यह बयान 2021 का है। जुलाई 2022 में यानी एक साल बाद कुछ सांसद सरकार से सवाल करते हैं कि क्या सरकार ने टेक्सटाइल क्षेत्र में निर्यात के लिए कोई लक्ष्य तय किया है, तो 27 जुलाई 2022 को कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल जवाब देते हैं। मैं लोकसभा का हिन्दी में दिया गया जवाब पढ़ रहा हूं, आप भी ध्यान दें कि क्या मंत्री जी बता रहे हैं कि कोई लक्ष्य तय हुआ है या नहीं, याद रहे कि एक साल पहले मंत्री जी कह चुके हैं कि 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य तय हुआ है।  सवाल सांसदों ने पूछा था कि क्या सरकार ने 2022-23 के बजट में टेक्सटाइल सेक्टर में निर्यात का कोई लक्ष्य तय किया है? उसे हासिल करने का एक्शन प्लान क्या है। मंत्री जवाब में कहते हैं जियो पोलिटकल स्थिति, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार रुझान, बाज़ार की गतिशीलता, भारतीय दूतावासों/मिशनों के साथ परामर्श और उद्योग परामर्श को ध्यान में रखते हुए निर्यात लक्ष्य निर्धारित करने की प्रक्रिया बहुत व्यापक है। वर्ष 22-23 के निर्यात लक्ष्य इसके बाद निर्धारित  किए जाएंगे। तथापि, उत्पान और निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर विभिन्न उपाय कर रही है। 
सवाल था कि क्या सरकार ने इस साल के बजट में निर्यात का कोई लक्ष्य तय किया है तो जवाब गोल-मोल सा दिया जा रहा है। एक साल पहले कैसे बयान दे दिया कि सौ अरब डॉलर का लक्ष्य तय हुआ है, और इस वित्त वर्ष के चार महीने जुलाई में बीत जाते हैं, चार महीने और लोकसभा में कपड़ा मंत्री जवाब देते हैं कि इस साल के लिए टारगेट फिक्स किया जाना है। लेकिन तीन महीने बाद यानी अक्टूबर में फिर बयान दे देते हैं कि टेक्सटाइल सेक्टर में निर्यात का लक्ष्य 100 अरब डॉलर तय किया गया है। 
मगर तीन महीने बाद 27-28 अक्तूबर के इकनोमिक टाइम्स और बिज़नेस स्टैंड में उनका बयान छपा है बल्कि पत्र सूचना कार्यालय PIB से बकायदा प्रेस रिलीज़ जारी हुई है। जिसमें कपड़ा मंत्री गोयल कहते हैं कि मंत्रालय को भरोसा है कि अगले 5-6 वर्षों में कपड़ा सेक्टर का निर्यात  100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह खबर हर जगह छप जाती है जबकि लोकसभा में मंत्री इस तरह के टारगेट के बारे में जानकारी नहीं देते हैं।
29 अक्तूबर को बीजेपी के कई नेता इस बयान को ट्टिट करते हैं कि सरकार कपड़ा क्षेत्र में निर्यात को सौ अरब डॉलर तक पहुंचाने जा रही है। तो आपने देखा की मीडिया में जो बयान दिया जाता है, संसद में जो कहा जाता है, दोनों में कई बार अंतर दिखता है, इसलिए आप मीडिया के साथ साथ संसद में दिए गए जवाबों का भी अध्ययन करते रहिए। 


खैर इन दिनों बजट के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया चल रही है। सारी दुनिया में आफलाइन रैलियां हो रही हैं, नेता और मंत्री यात्राएं कर रहे हैं लेकिन मज़दूर संगठनों को आनलाइन चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। इस पर मजदूर संगठनों ने कहा है कि उन्हें आमने-सामने की चर्चा में आमंत्रित किया जाए। उद्योग और राज्यों के वित्त मंत्री भी वित्त मंत्री से मुलाकात कर अपनी मांग रख रहे हैं। हिमांशु शेखर बता रहे है कि उद्योग भी अपने लिए टैक्स में छूट मांग रहा है और इस बार आम जनता के लिए भी टैक्स में कटौती की मांग हो रही है ताकि उसके पास खर्च करने के लिए कुछ पैसे बचे। इस मांग से आपको देश के आम लोगों की आर्थिक शक्ति का अंदाज़ा हो जाना चाहिए.


कोरोना के समय टीकाकरण का काम प्रभावित हुआ ही है। बहुत से बच्चों का समय पर टीका नहीं लगा है। इसकी चिन्ता उस समय भी की जा रही थी लेकिन मुंबई में इसका खतरनाक असर दिखने लगा है। मुंबई की बसावट आप देखेंगे तो करीब 70 प्रतिशत आबादी झुग्गी बस्तियों में रहती हैं। यहां खसरा का प्रकोप बढ़ गया है। इसका संक्रमण फैलने से चिंताएं बढ़ गई हैं। BMC के अधिकारी कोशिश कर रहे हैं, सर्वे कर रहे हैं। अभी तो यह मुंबई में ही सीमित है लेकिन पूरे देश में इस बात को लेकर अलर्ट हो जाना चाहिए कि किन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है। मुंबई में पिछले कुछ दिनों से हर दिन एक बच्चे की मौत हो जा रही है। 

आज भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी आनंद तेलतुंबडे की ज़मानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने NIA की जांच पर कई सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि आरोपी के खिलाफ क्या सबूत है। उनकी क्या भूमिका थी जो उनके खिलाफ  UAPA की धारा लगाई गई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि  दलित लामबंदी आतंकवादी कृत्य की तैयारी कैसे है ? आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे को अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गया था।18 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी आनंद तेलतुंबडे को जमानत दे दी है।NIA ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है कि ज़मानत न मिले। NIA ने कहा कि आनंद एक एक शिक्षाविद् हैं लेकिन वह सिर्फ एक चेहरा है। कुछ ई मेल हैं। वे हिंसा के लिए सारी मदद पहुंचा रहे थे। इस समय वे नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं।आनंद तेलतुंबडे का बचाव करते हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी ईमेल उनके पास से बरामद नहीं हुए है।सिर्फ दो ईमेल हैं जो फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के पास हैं ।जहां भी दलितों के मामले हैं वहां वो मौजूद रहते हैं, क्योंकि वो शिक्षाविद हैं न कि आतंकवादी। सिब्बल ने कहा कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का समय वो वहां थे भी नहीं।एजेंसी के पास एक ही चिट्ठी है जिसमें मुझे ' माई डियर कॉमरेड ' संबोधित किया गया है, क्या इतने भर से में आरोपी हो गया? सिब्बल ने तेलतुंबड़े की लिखी किताबें, दुनिया भर की यूनिवर्सिटीज में किए गए काम का जिक्र करते हुए कहा कि 73 साल के आनंद पिछले दो साल से ज्यादा समय से जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई यानी आनंद तेलतुंबडे के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार किया। एक हफ्ते के भीतर NIA को दूसरा झटका है। 18 नवंबर को इसी मामले में गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट को 24 घंटे के भीतर जेल से हाउस अरेस्ट भेजने को कहा था।

हिन्दू मुस्लिम नफरत की राजनीति और गोदी चैनलों पर दिन रात की बहस से समाज में ऐसे धूर्त लोगों को मौका दे दिया है जो अब धर्म का इस्तेमाल इस तरह से करने लगे हैं कि उसे लेकर चिंगारी भड़क जाए। उत्तर पुलिस ने एक ऐसे नौजवान को पकड़ा है जो मुसलमान बन कर आफताब अमीन पूनावाला की हिंसक करतूत का समर्थन करता है। ज़ाहिर है ऐसे बयान देखकर कई लोग विचलित और क्रोधित हो सकते हैं। लेकिन यह नौजवान एक वीडियो में मुसलमान बनकर हिंसा को सही ठङराने लगता है जिसके बाद सोशल मीडिया पर वायरल किया जाने लगता है। वीडियो में यह अपना नाम राशिद खान बताता है। 
लेकिन बुलंदशहर ज़िले की पुलिस जांच करती है और यह तथ्य सामने आता है कि यह राशिक खान नहीं है। इसका नाम विकास कुमार है जो सिकंदराबाद का रहने वाला है। बुलंदशहर के पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बयान जारी किया है कि विकास का आपराधिक रिकार्ड रहा है। इस पर चोरी और अवैध हथियार रखने के आरोप में मामले दर्ज हैं। गिरफ्तारी के बाद विकास ने पुलिस को बताया कि उसे पता नहीं था कि मामला इतना फैल जाएगा अन्यथा वह ऐसा नहीं करता। ट्विटर से लेकर कई वेबसाइट पर राशिद खान के बयान को बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है ताकि एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलती रहे और लगे कि सभी आफताब अमीन पूनावाला के समर्थक हैं। इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। बेहतर है कि आप ऐसे मामलों में बेहद सतर्क रहें। 

दिल्ली में लोकसभा का चुनाव हो रहा है या नगर निगम का। चुनाव प्रचार में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को मैदान में उतार दिए हैं। करोलबाद में जहां बंगाल से आए सोने के कारीगरों की तादाद अधिक हैं वहां पर बंगाल से बीजेपी की सांसद लाकेट चटर्जी प्रचार कर रही हैं। दिल्ली में शराब नीति के पीछे कथित घोटाले को लेकर कितनी राजनीति हुई। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई के छापे पड़े। सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया। बीजेपी के प्रवक्ता गौतम भाटिया ने कहा कि मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के एजेंट हैं। बीजेपी ने तो एक स्टिंग आपरेशन भी जारी कर दावा किया था कि मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में शामिल हैं। संबित पात्रा इस स्टिंग को लेकर मीडिया के सामने आए थे। बीजेपी ने मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग की। इस कथित घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट पेश कर दी है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का दावा है कि इसमें मनीष सिसोदिया का नाम नहीं है। 
 

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