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This Article is From Aug 17, 2018

नीतीश कुमार का Blog: मैंने जो अटल जी से सीखा...

Nitish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 23, 2018 10:39 am IST
    • Published On अगस्त 17, 2018 14:56 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 23, 2018 10:39 am IST
पूरा देश शोक मना रहा है. निजी तौर पर मेरे लिए उनके जैसा कोई नहीं. 

पूरी दुनिया जानती है कि 70 के दशक में जेपी आंदोलन के हम छात्र नेताओं ने जेपी से राजनीति सीखी. लेकिन मुझे मेरे बाकी साथियों की तुलना में बिहार विधानसभा तक पहुंचने में काफी लंबा वक्‍त लगा. 1985 में बिहार विधानसभा में एंट्री के चार साल बाद 1989 में पहली बार संसद पहुंचा. वह ऐसा चुनाव था जिसने हिंदी हार्टलैंड की राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया था. लेकिन अटल जी के साथ मेरी नजदीकी 1995 में मुंबई में बीजेपी की नेशनल एग्‍जीक्‍यूटिव मीटिंग से शुरू हुई. इस मीटिंग में हम सभी थी, जॉर्ज साहब भी थे. उस वक्‍त बीजेपी सहयोगियों की तलाश में थी और हमारी समता पार्टी विधानसभा में मिली हार के बाद बीजेपी जैसे साथी का साथ चाहती थी जो लालू यादव की अपराजेयता के मिथक को तोड़ सके. 

लेकिन जिस चीज ने मुझे सबसे ज्‍यादा प्रभावित किया वह यह था कि अटल जी और आडवाणी जी के नेतृत्‍व वाली बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर और कश्‍मीर से धारा 370 हटाने जैसे विवादित मुद्दों को किनारे रखने के हमारे सुझावों पर  तैयार थी. इस वजह से हम 1996 में साथ चुनाव लड़ पाए और हम दो अंकों में सीटें जीतने में कामयाब रहे. बिहार में यह जीत काफी प्रभावपूर्ण थी. उस चुनाव के बाद से अटलजी अकसर मेरे पूर्व संसदीय क्षेत्र बाढ़ आया करते थे. और अगर वाजपेयी आपके लिए प्रचार करने आ रहे हैं तो आप निश्चिंत हो जाएं क्‍योंकि आपके राजनीतिक आलोचक भी बैठकर उन्‍हें सुनेंगे. 
 
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(अटल बिहारी वाजपेयी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्‍होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया)


उनसे घनिष्‍ठ संबंध 1998 में शुरू हुए जब मुझे उनकी कैबिनेट में रेलवे मंत्री बनाया गया. हालांकि हमारी सरकार थोड़े समय बाद अगले साल ही गिर गई. अकसर खुद को अटल और बिहारी कहते हुए चुटकी लेने वाले वाजपेयी ने मेरे तत्‍कालीन संसदीय क्षेत्र बाढ़ को विद्युत परियोजना दी. एक हजारीबाग को भी मिली. जॉर्ज साहब के संसदीय क्षेत्र में आने वाले राजगीर में गोला-बारूद फैक्‍ट्री लगाई गई. तब से लेकर राज्‍य के बंटवारे यानी कि साल 2000 तक वित्त, रक्षा और रेलेवे जैसे तमाम मुख्‍य मंत्रालय बिहार के सांसदों को दिए जाते रहे. 

साल 1999 में गैसल हादसे में दो ट्रेनों के टकराने से करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी. दुर्घटनास्‍थल का दौरा करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि रेलवे स्‍टाफ की लापरवाही की वजह से लोगों का जान से हाथ गंवाना पड़ा. मैंने इस्‍तीफा दे दिया लेकिन अटल जी उसे स्‍वीकार नहीं करना चाहते थे. अपनी इच्‍छा पूरी करने के लि मुझे वास्‍तव में उनसे मिन्‍नतें करनी पड़ीं.

1999 में संसदीय चुनाव के दौरान बैलेट पेपर से वोटिंग होती थी. मतगणना में कम से कम दो-तीन दिन का वक्‍त लगता था और ऐसी खबरें थीं कि मैं चुनाव हार रहा हूं. चिंतित और परेशान वाजपेयी ने मुझे फोन किया और जब मैंने उन्‍हें बताया कि परिणाम मेरे पक्ष में हैं तो उन्‍होंने निश्चिंत होकर फोन रख दिया. 
 
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(अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्‍यसभा के सदस्‍य चुने गए)


वह मेरे और बिहार के लिए काफी दरियादिल थे. हमारे पास संसाधन कम थे और अगर योजना आयोग हमारे प्रस्‍तावों का विरोध करता या अड़ंगा लगाता था तो मैं भागकर अटल जी के पास जाता था और वे अपने अनोखे अंदाज में मुझे आश्‍वस्‍त करते थे कि सबकुछ ठीक हो जाएगा. अगर वह 2004 के बाद भी अगले पांच सालों के लिए पीएम बने रहते तो मेरा विश्‍वास है कि बिहार में और ज्‍यादा विकास हो पाता. 

बिहार के लोग कभी उन्‍हें नहीं भूल पाएंगे क्‍योंकि उन्‍होंने हमें स्‍वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग और कोशी नदी समेत तीन बड़े पुल दिए जिन्‍होंने लोगों का आना-जाना आसान बना दिया.
 
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(अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर पीएम 1996 में 13 दिन, 1998 में 13 महीने और 1999 में पांच सालों तक देश की बागडोर संभाली. बाद में उन्‍होंने अपनी बिगड़ती सेहत को देखते हुए खुद को राजनीति से अलग कर लिया)


अगर अटल जी का नेतृत्‍व नहीं मिला होता तो मैं उन मूल भूत सिद्धांतों को नहीं अपना पाता जिन्‍हें मैं आज भी शासन प्रणाली में लागू करता हूं. उन्‍होंने सबको यह बताया कि आप विनम्र रहते हुए भी दूसरे नेताओं का विरोध कर सकते हैं. उन्‍होंने विषम परिस्थितियों में भी पत्रकारों के कठिन से कठिन सवालों के जवाब दिए. हमारे संसदीय प्रजातंत्र में उनका जन्‍मजात और अटूट विश्‍वास व साथियों का सम्‍मान उनका ट्रेडमार्क था. 

अटल जी आपने मुझे जो भी सिखाया मैं उसे आज भी गुनता हूं. आपका जाना अपूर्ण क्षति है.

(नीतीश कुमार बिहार के मुख्‍यमंत्री हैं)

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