
बिहार में गंगा, महानंदा, गंडक समेत कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. राज्य के 13 जिलों में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हैं. कई इलाकों में घरों में 4 से 5 फीट तक पानी भर गया है, जिससे अनाज और घरेलू सामान पूरी तरह से नष्ट हो गया है. पक्के मकानों वाले लोग छतों पर शरण ले रहे हैं, जबकि झोपड़ियों में रहने वाले लोग चौकी पर खाना बना रहे हैं या राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं.
वहीं, भागलपुर में गंगा नदी के उफान के कारण तिलका मांझी विश्वविद्यालय का पूरा परिसर जलमग्न हो गया है. कर्मचारी नाव के सहारे कार्यालय पहुंच रहे हैं. विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी महेंद्र मंडल ने ANI से बातचीत में बताया, "पूरा परिसर पानी में डूबा हुआ है. कमरों में भी पानी भर गया है. काम करना बेहद मुश्किल हो गया है. डर के माहौल में काम करना पड़ रहा है क्योंकि परिसर में सांप निकल रहे हैं. यह स्थिति हर साल बनती है और हमें नाव से आना-जाना पड़ता है."
#WATCH भागलपुर, बिहार: गंगा नदी में बाढ़ के कारण विश्वविद्यालय परिसर जलमग्न हो गया है, कर्मचारी नाव से विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं। pic.twitter.com/Sbj5gGiWl3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 11, 2025
भोजपुर, पटना, भागलपुर, वैशाली, लखीसराय, सारण, मुंगेर, खगड़िया, सुपौल और बेगूसराय सहित विभिन्न जिलों में लगातार बारिश से नदियां और नाले उफान पर हैं. इसके अलावा नेपाल में भारी बारिश के कारण कई जगहों पर नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है.
राज्य में 10 जिलों के 1,144 गांवों के 17,62,374 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं तथा प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य के लिए करीब 1,160 नाव लगाई गई हैं.
जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘बिहार में कई नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि और नेपाल स्थित गंडक एवं कोसी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के मद्देनजर, जल संसाधन विभाग के सभी संबंधित प्रकोष्ठों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया गया है.''
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