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84 साल बाद बिहार में कांग्रेस का महाजुटान, आखिर क्या है प्लान?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश क्यों नहीं किया है? क्या सीटों के बंटवारे के बाद ये घोषणा की जाएगी? क्या कांग्रेस दबाव की रणनीति के तहत ये सब कर रही है?

84 साल बाद बिहार में कांग्रेस का महाजुटान, आखिर क्या है प्लान?
  • कांग्रेस कार्य समिति की बैठक 24 सितंबर को पटना में होगी, इसमें कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम भी शामिल होंगे
  • बिहार में अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, कांग्रेस यहां 70 से 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है
  • कांग्रेस बिहार में पिछली बार की कुछ सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. यहां आरजेडी के साथ गठबंधन है
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पटना:

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक इस बार बिहार की राजधानी पटना में हो रही है, यह विस्तारित बैठक है, यानि 24 सितंबर को होने जा रही इस बैठक में तमाम बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे. प्रदेशों में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक करने का चलन कोई नया नहीं है. इससे पहले भी कई राज्यों में पार्टी इस तरह की बैठक कर चुकी है. इसी तरह की एक बैठक कांग्रेस ने 16 सितंबर 2023 को हैदराबाद में की थी. उस वक्त पांच राज्यों - तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने थे. लेकिन पार्टी ने तेलंगाना के हैदराबाद को कार्यसमिति की बैठक के लिए चुना.

पार्टी का मानना है कि इसी बैठक के बाद पूरे तेलंगाना में कांग्रेस की हवा बनी और पार्टी सत्ता में आई. तेलंगाना में कांग्रेस ने 45 सीटों का इज़ाफ़ा किया और उसकी सीट 19 से बढ़कर 64 हो गई. साथ ही वोट प्रतिशत में भी साढ़े दस फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ. तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीट है, बीआरएस 88 सीटों से 39 पर सिमट गई.

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कांग्रेस को लगता है कि तेलंगाना की सत्ता में कार्य समिति की बैठक का हाथ रहा, क्योंकि पार्टी के सभी बड़े नेता वहां जुटे थे. दूसरे दिन कांग्रेस ने हैदराबाद में एक बड़ी रैली भी की थी. अब कांग्रेस ने बिहार को चुना है. चुनाव की घोषणा के ठीक पहले यहां भी मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा तमाम बड़े नेता शामिल होंगे.

कांग्रेस बिहार में कितनी सीटों पर लड़ेगी ये अभी तय नहीं

सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस पटना में कार्य समिति की बैठक कर आखिर क्या साबित करना चाहती है? वोट चोरी, संविधान बचाओ जैसे मुद्दों के साथ बिहार से जुड़े मुद्दे जैसे बेरोजगारी और पलायन पर प्रस्ताव तो पारित होगा ही, मगर सबसे अहम है सीटों का बंटवारा. कांग्रेस कितनी सीटों पर लड़ेगी यह अभी तक किसी को नहीं पता. कोई 70 कहता है तो कोई कहता है कि हमारी तैयारी 90 सीटों की है.

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बिहार में 1990 के बाद कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री नहीं बना

कांग्रेस इस बार पिछली बार दी गई 70 में से 20 सीटों पर एकदम नहीं लड़ना चाहती है, पार्टी का मानना है कि इन 20 सीटों को आरजेडी भी नहीं जीत सकती है. तो क्या यह समझा जाए कि कांग्रेस दबाव बनाने की रणनीति के तहत ये सब कर रही है. ऐसा कहने वालों का यह भी मानना है कि कांग्रेस बिहार में चौथे नंबर की पार्टी है, 1990 के बाद कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री नहीं बना, फिर भी राहुल गांधी लगातार 15 दिन बिहार में रहते हैं, 1300 किलोमीटर की यात्रा में 174 विधानसभा सीटों पर घूमते हैं आखिर क्यों?

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26 सितंबर को मोतिहारी में रैली करने वाली हैं प्रियंका गांधी

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश क्यों नहीं किया है? क्या सीटों के बंटवारे के बाद ये घोषणा की जाएगी? क्या कांग्रेस दबाव की रणनीति के तहत ये सब कर रही है? कार्य समिति की बैठक के बाद 26 सितंबर को प्रियंका गांधी मोतिहारी में रैली करने वाली हैं, जिसमें महागठबंधन का कोई और नेता शामिल नहीं होगा. यानि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे तक कई पेंच फंसे हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद ही इन सवालों का जवाब मिल पाएगा.

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