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    पीएम मोदी के “वाराणसी लाइव” ने विपक्षी दलों की बढ़ाई दुविधा 

    काशी के कार्यक्रम पर भारीभरकम खर्च यूपी के आगामी चुनाव के प्रचार का हिस्सा है और बीजेपी यह मानती है कि इससे वोटों को अपने पाले में खींचने में कामयाब रहेगी, जैसा कि पहले भी उसने किया है. 

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    जितिन प्रसाद का कदम, कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी की खराब स्थिति का संकेत

    आंतरिक कलह पर काफी लंबे समय से चर्चा होती रही है, लेकिन कांग्रेस ने कुछ नहीं किया. कांग्रेस के सामने असली खतरा विशेषाधिकार प्राप्त कुलीनों और यहां तक कि बीजेपी से भी नहीं है. असली खतरा उसके नेतृत्व द्वारा पार्टी को संभाल पाने की अक्षमता है.

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    अब हिन्दुस्तान को कतई परवाह नहीं - कहां पहुंच रही है राहुल गांधी बनाम जी-23 की लड़ाई

    कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई अब इतनी थकाऊ और दोहरावभरी हो गई है कि जो लोग इस सरकार को रोकने के लिए एक राजनौतिक ताकत को चाहते हैं, उन्हें भी इस पार्टी से कोई उम्मीद नहीं रह गई है.कांग्रेस ऐसी पहली पार्टी नहीं है, जो विपक्ष की भूमिका में पहुंचने के बाद खुद को ही नुकसान पहुंचाने लगी हो. 

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    विदेशी आलोचना तेज होने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख पर संकट

    अब यह किसी से छिपा नहीं है कि ये आलोचना अब मीडिया समूहों के दायरे से फैलकर प्रभावशाली शख्सियतों तक पहुंच गई है. अमेरिकी और ब्रिटिश जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर बोल रहे हैं. कारोबारी हस्तियां और सोशल मीडिया सेलेब्रिटी भी इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं.

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    कहां नाकाम हुए किसान नेता और अब उन्हें क्या करना चाहिए...

    26 जनवरी को जो घटनाएं हुईं उनका विशेष महत्व है. यह स्पष्ट है कि योगेंद्र यादव जैसे लोगों ने एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी जो भारतीय व्यवस्था में किसानों के विश्वास को दोहराता और साथ ही उनके हितों को नुकसान पहुंचाने वाले कानूनों के ख‍िलाफ प्रदर्शन करने के उनके अध‍िकार को भी. दुर्भाग्यवश एक अपेक्षाकृत छोटा और तय समूह ऐसा रहा जो यादव व अन्य किसान नेताओं की भावनाओं से इत्तेफाक नहीं रखता.

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    प्रणब दा के संस्मरण में मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी से जुड़े हैं कई खुलासे

    मुखर्जी विनम्रता से लिखते हैं, ''कांग्रेस के कुछ सदस्यों का यह मानना रहा है कि अगर 2004 में मैं प्रधानमंत्री बन गया होता तो संभवत: 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी  की भारी पराजय नहीं होती.''

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    अहमद पटेल और सोनिया गांधी क्यों थे परफेक्ट टीम : वीर सांघवी की कलम से

    पटेल गुजरात से आए राजनेता थे, जो राष्ट्रीय पटल पर पहली बार तब दिखे थे, जब राजीव गांधी ने 1985 में उन्हें अपने तीन संसदीय सचिवों में स्थान दिया.

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