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    GST बिल पास, लेकिन ये तो अंत की शुरुआत है...

    गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स बिल यानि जीएसटी बिल की हालत उस रेसलर की तरह रही है जो बार-बार राज्यसभा की रिंग में पटखनी खाता रहा और आख़िरकार सालों के बाद ही सही, लेकिन उसने मैच जीत ही लिया.

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    क्या हमारे अंदर का 'सलमान खान' माफी मांगने को तैयार है?

    अगर सलमान की सोच गलत थी, उसमें महिलाओं के लिए सम्मान नहीं था या बलात्कार पीड़ित के लिए दर्द नहीं था तो हममें से कितनों के अंदर महिलाओं के लिए यह सम्मान या बलात्कार पीड़ित के लिए यह दर्द है? तो क्या हम सबके अंदर भी वही सलमान खान है जिसे हम बेहद असंवेदनशील बताकर उसकी माफी से कम में मानने को तैयार नहीं हैं?

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    जेएनयू विवाद : गुस्सा ठंडा हो जाए तो ज़रा इन बातों पर सोचिएगा...

    जिस देश में मुद्दों का एवरेस्ट खड़ा हो और जहां आबादी का ज़्यादातर हिस्सा उस मुद्दों के एवरेस्ट पर चढ़कर फ़तह हासिल करने की बजाए बगल से गुज़रकर, देखकर भी नज़रअंदाज़ करने में विश्वास रखता आया हो, वहां अचानक जेएनयू विवाद का मुद्दा इतना बड़ा क्यों और कैसे हो गया...

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    तेल की घटती कीमत का बड़ा फायदा न मिलने में क्या फायदा... आइए समझें

    सरकार फिलहाल आने वाले कुछ वक्त में भी आम जनता को सीधे तौर पर तेल की घटती कीमतों का फायदा पहुंचाने के बजाए खुद का खजाना भरकर देश के विकास पर उस पैसे को खर्च करने पर ज्यादा जोर देने की अपनी रणनीति पर चलती ही दिख सकती है।

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    सुशांत सिन्‍हा का ब्‍लॉग : मीडिया देश नहीं चलाता, देश में क्या हो रहा है सिर्फ़ ये बताता है...

    इसमें दो राय नहीं कि कुछ न्यूज़ चैनल्स को उनके कंटेंट के कुछ हिस्से पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है, लेकिन मोटे तौर पर तमाम अख़बारों और न्यूज़ चैनल्स को आप मिला दें तो स्थिति इतनी भयावह नहीं है जितनी इस नए ट्रेंड के बारे में सोचकर लगती है।

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    सुशांत सिन्हा : ट्रेकिंग पर मिले जिंदगी के 6 फ़लसफ़े

    यादों का बस्ता खोला तो उन ऊंचे ख़ामोश, स्थिर पहाड़ों और दूर तक फैले मैदानों ने नौ दिन की गुफ्तगू में ज़िंदगी के मायने समझने का जो कुछ भी सामान इकट्ठा हुआ तो उसे पोटली में बांधकर साथ दे दिया था। आज वो पोटली यहां खोलने जा रहा हूं।

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    सुशांत सिन्‍हा का ब्‍लॉग : गड़बड़ा गया है बिहार चुनाव का DNA

    किसी चुनाव का DNA क्या होता होगा? ये सवाल यूं ही तो मन में नहीं आया। दरअसल आजकल बिहार चुनाव में इतना DNA-DNA हो रहा है कि ये सवाल भी बिन बुलाए मेहमान की तरह टपक पड़ा।

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    सुशांत सिन्हा की कलम से : डॉ. कलाम को ये कैसी श्रद्धांजलि?

    रामेश्वरम में जिस वक्त डॉक्टर अब्दुल कलाम को सुपुर्द-ए-ख़ाक करने के पहले प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी और दूसरे नेता उन्हें श्रद्धांजली दे रहे थे, कमोबेश उसी वक्त यहां दिल्ली में राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर पूरे दिन के लिए स्थगित की जा रही थी।

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    सुशांत सिन्हा की कलम से : धर्म परिवर्तन रोकना है तो पहले व्यवस्था परिवर्तन कीजिए...

    जब धर्म परिवर्तन के मसले पर सिर्फ राजनीति होती रहेगी और पार्टियां राजधर्म निभाने से चूकती रहेंगीं, यूं ही लालच और डर के नाम पर धर्मांतरण होता रहेगा... धर्म परिवर्तन रोकना है तो व्यवस्था परिवर्तन करना ही होगा...

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