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ब्लॉग राइटर
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"जो समाज ने किया, उसे शब्दों में पिरोने वाला महज़ क्लर्क हूं मैं..."
हमारे समाज को अभी अनुपम की कम से कम 20 साल और ज़रूरत थी, क्योकि जो काम उन्होंने शुरू किया था, अब जाकर समाजों, सरकारों, नीति निर्माताओं और मीडिया ने समझना शुरू किया है... ऐसे समय में अनुपम जैसे लोगों की ज़्यादा ज़रूरत थी, ताकि उनकी पहल मूर्त रूप ले सके...
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- राकेश दीवान
- दिसंबर 20, 2016 13:48 pm IST