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नोएडा के चर्चित निठारी केस में CJI बीआर गवई ने क्यों की इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की तारीफ?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही सीजेआई बीआर गवई इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की तारीफ की थी. बीआर गवई ने कहा कि ऐसा फैसला लिखने के लिए हाई कोर्ट के जजों की तारीफ तो बनती है.

नोएडा के चर्चित निठारी केस में CJI बीआर गवई ने क्यों की इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की तारीफ?
निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली.
  • निठारी केस में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. दोनों आरोपी को बरी किया गया था.
  • सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया ट्रायल के आधार पर निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की प्रशंसा की.
  • सुरेंद्र कोली को एक अन्य मामले में मौत की सजा मिली थी जिसे बाद में हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदला था.
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नई दिल्ली:

नोएडा सेक्टर 20 की गिनती अच्छे रिहायशी इलाकों में होती है. सेक्टर-18 के अट्टा मार्केट और मेट्रो से सटा यह इलाका दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए मुफीद जगह मानी जाती है. लेकिन नोएडा सेक्टर 20 साल 2006 में एक ऐसे केस के कारण चर्चा में आया, जिसने इस इलाके को सालों तक सुर्खियों में ला दिया. आज ही वहां से गुजरने वाले लोग अपने साथ दिल्ली घूमने आए लोगों को निठारी कांड का हवाला देते हुए उसका परिचय कराते है. दरअसल 2006 के दिसंबर महीने में नोएडा सेक्टर 20 के नाले से पुलिस ने 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद किए थे. इस केस को निठारी कांड के रूप में जाना जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आज हम इसकी चर्चा क्यों कर रहे है?

निठारी केस की आज हो रही के पीछे एक खास वजह है. आज निठारी केस की सालों पुरानी कानूनी लड़ाई लगभग समाप्त हो गई. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड मामले के मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बरी किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही सीजेआई बीआर गवई इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की तारीफ की थी. बीआर गवई ने कहा कि ऐसा फैसला लिखने के लिए हाई कोर्ट के जजों की तारीफ तो बनती है. मीडिया वगैरह का काफी दबाव रहा होगा. इस तरह के दबाव को झेलते हुए उन्होंने ऐसा.

बीआर गवई ने यह भी कहा कि निचली अदालत ने मीडिया ट्रायल के आधार पर ही फैसला सुनाया होगा. CJI गवई ने टिप्पणी की और कहा कि अपीलकर्ता उच्च न्यायालय के फैसले में एक भी गड़बड़ी नहीं बता पाए.


पंधेर को उसके खिलाफ सभी मामलों में बरी कर दिया गया है, जबकि कोली जेल में ही है क्योंकि सिलसिलेवार हत्याओं से जुड़े एक अन्य मामले में उसकी हत्या के दोषसिद्धि और मौत की सजा को 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. ⁠इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2015 में कोली की दया याचिका पर फैसला सुनाने में "अत्यधिक देरी" के कारण उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.

आज सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि पंधेर के घर के पीछे का इलाका, जहाँ पीड़ितों के अवशेष मिले थे, अभियुक्तों के लिए विशेष रूप से सुलभ नहीं था. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "कानून यह है कि इसे केवल अभियुक्त को ज्ञात और केवल अभियुक्त द्वारा ही सुलभ स्थान से बरामद किया जाना चाहिए."

निठारी हत्याकांड दिसंबर 2006 में सामने आया था, जब कई बच्चों के कंकाल मिले थे और नोएडा के निठारी इलाके में पंढेर के घर के पीछे एक नाले में दो महिलाओं के शव मिले थे। कोली उस घर में घरेलू नौकर के रूप में कार्यरत था.

निठारी केस की शुरुआत 7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था. इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.

बाद में पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोली और पंढेर को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया है.

यह भी पढ़ें - निठारी कांड: आरोपी मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा

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