
- बंगाल में मतदाता सूची में हेराफेरी की आशंका तब उत्पन्न हुई जब चुनाव आयोग के फॉर्म 6 में गंभीर उल्लंघन पाए
- दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों ने अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया को दरकिनार कर कई फर्जी मतदाता आवेदन स्वीकार किए
- बूथ स्तरीय अधिकारी ने सत्यापन जानबूझकर छोड़ा और समान दस्तावेज कई फर्जी आवेदनों में बार-बार इस्तेमाल किए गए
बंगाल में मतदाता सूची में हेराफेरी की कोशिश का संदेह पैदा हुआ है. ऐसा तब हुआ जब एक छोटे से ऑडिट में नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चुनाव आयोग के फॉर्म 6 के संचालन में गंभीर उल्लंघनों का खुलासा हुआ है. पिछले साल हुए नए मतदाता पंजीकरणों और कथित रूप से इसमें शामिल दो अधिकारियों की जांच के आदेश दिए गए हैं.
एनडीटीवी द्वारा प्राप्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के एक ज्ञापन से संकेत मिलता है कि दो "निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों" या ईआरओ ने फर्जी मतदाताओं के काफी संख्या में आवेदन स्वीकार किए थे और अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया था. जमा किए गए फॉर्म 6 के 1 प्रतिशत से भी कम की नमूना समीक्षा के बाद ये अनियमितताएं पकड़ी गईं हैं.
ज्ञापन में कहा गया है कि बूथ स्तरीय अधिकारी द्वारा अनिवार्य सत्यापन को जानबूझकर छोड़ दिया गया था, और इसी तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल कई फर्जी आवेदनों के लिए बार-बार किया गया था. ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अस्थायी डेटा एंट्री ऑपरेटरों को ईआरओ नेट प्रणाली तक पहुंच प्रदान की गई थी.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिला अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है. उन्हें बताया गया है कि पिछले एक साल में किए गए सभी फॉर्म 6 के निपटान की जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की टीमें गठित की जाएंगी. इस मामले में 14 अगस्त तक एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी.
इसके अलावा, यह निर्देश दिया गया है कि संविदा या अस्थायी डेटा एंट्री ऑपरेटरों को फॉर्म 6, 7, या 8 या ईआरओ नेट से संबंधित कोई भी कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह तत्काल निर्देश चुनावी प्रोटोकॉल के एक महत्वपूर्ण उल्लंघन को उजागर करता है. दोनों ईआरओ के खिलाफ एक आंतरिक जांच चल रही है.
यह मामला बिहार में मतदाता सूचियों के संशोधन को लेकर चल रहे बड़े विवाद के बीच आया है जो अब सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मतदाता मताधिकार से वंचित होंगे जिससे भाजपा को लाभ होगा. बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं - जहां भाजपा, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और तीन बार मुख्यमंत्री रहीं ममता बनर्जी से सत्ता छीनने की कोशिश कर रही है.
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