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This Article is From Sep 21, 2018

एससी/एसटी एक्ट में संशोधन : क्या है मध्य प्रदेश का जातिगत समीकरण, शिवराज सिंह चौहान का नया ऐलान कितना करेगा असर

अगर जातिगत समीकरणों के हिसाब से देखें तो  मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट में संशोधन दांव एक तरह से बीजेपी के लिये फायदा कम नुकसान ज्यादा पहुंचा सकता है.

एससी/एसटी एक्ट में संशोधन : क्या है मध्य प्रदेश का जातिगत समीकरण, शिवराज सिंह चौहान का नया ऐलान कितना करेगा असर
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव : एससी/एसटी एक्ट को लेकर सवर्ण समाज में काफी गुस्सा है.
भोपाल: मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट का मुद्दा सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिये गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है. इसी बीच सीएम शिवराज ने ऐलान किया है कि  मध्य प्रदेश में नहीं  बिना जांच के एससी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से (एससी/एसटी एक्ट) में किए गए संशोधन को लेकर मध्य प्रदेश के सवर्ण समाज में असंतोष है और वे तमाम जन प्रतिनिधियों का विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में बुधवार को इंदौर में लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन के आवास के सामने सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया है. सवर्ण सेना के कार्यकर्ता हाथों में तख्ती, मजीरा, घंटे बजाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के निवास पर पहुंचे. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बाड़ लगा रखी थी. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई है. सवर्ण सेना के एक पदाधिकारी ने बताया, "पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए. कई प्रदर्शनकारी महाजन के आवास के करीब पहुंच गए और उन्होंने वहां ढोल मजीरे के साथ भजन गाए. प्रदर्शनकारियों में ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य व अनारक्षित वर्गो के प्रतिनिधि शामिल थे." 
 
मध्यप्रदेश : एससी-एसटी एक्ट में संशोधन बीजेपी के लिए गले की फांस बना

राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर अब किसी भी दिन ऐलान हो सकता है. अगर जातिगत समीकरणों के हिसाब से देखें तो  मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट में संशोधन दांव एक तरह से बीजेपी के लिये फायदा कम नुकसान ज्यादा पहुंचा सकता है. मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 15.2 फीसदी, और अनुसूचित जनजाति की आबादी 20.8 फीसद है. सूबे में अनुसूचित जाति की 35 सीटें हैं, जिसमें फिलहाल 28 पर बीजेपी काबिज है. 47 अनुसूचित जनजाति बहुत सीटों में 32 पर बीजेपी का कब्जा है.  मध्य प्रदेश में बसपा को 7 फीसद वोट मिलते रहे हैं, उसके पास 4 विधायक हैं. जीजीपी और छोटे दलों को लगभग 6 फीसद वोट मिले थे. 

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राज्य की 230 विधानसभा सीटों में सवर्ण-ओबीसी के सीधे प्रभाव वाली 148 सीटें हैं. वहीं आरक्षित वर्ग की कुल 82 सीटें हैं. 2013 में बीजेपी ने सवर्ण-ओबीसी की 148 में से 102 सीटें जीती थीं, यानी बहुमत से सिर्फ 14 कम.  जो सवर्ण-ओबीसी वोटबैंक बीजेपी को अकेले इतनी सीटें दिला सकता है उसकी ऐन वक्त पर नाराजगी बीजेपी के लिये अच्छी खबर नहीं है. एक ओर तो पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना है. कुछ दिन पहले कराए गये एक सर्वे में पार्टी के 50 से ज्यादा विधायक इस बार हारते दिखाई दे रहे हैं. वहीं इस ऐक्ट ने  बीजेपी को और भी फंसा दिया है.  फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि शिवराज सिंह चौहान के इस नये ऐलान से कितना असर पड़ने वाला है. हालांकि एक रैली में शिवराज सिंह चौहान ने भी यह कह दिया था कि कोई 'माई का लाल' आरक्षण नहीं हटा सकता है उनके इस बयान को सवर्ण समाज के लोगों ने भी चुनौती के रूप में ले लिया है. 

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