प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:
मध्यप्रदेश में इस बार 75.05 मतदान हुआ, 2013 में 72.13 मतदान हुआ था. इस बार तीन फीसदी बढ़े मतदान को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के अपने-अपने दावे हैं. आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी फिर दावा कर रही है. पार्टी को लगता है कि यह एंटीइंकंबेंसी का प्रभाव नहीं है, बल्कि बीजेपी के वोटरों को उसके कार्यकर्ता मतदान केन्द्र तक लाने में कामयाब रहे हैं. उधर, कांग्रेस को लग रहा है कि अधिक मतदान का फायदा उसे ही होगा.
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि चुनाव आयोग की अंतिम मतदाता सूची में 5 फीसदी वोटर घटे, उसके बाद ढाई तीन परसेंट मतदान बढ़ा इसका मतलब है ओवरऑल 7-8 स्विंग हुआ है. ऐसे में मतदान 100 परसेंट बीजेपी के खिलाफ है. राज्य में दिल्ली जैसे आश्चर्यजनक परिणाम भी आ सकते हैं.
वहीं बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि ''अच्छी वोटिंग यह साबित करती है कि लोकतंत्र के प्रति मध्यप्रदेश के मतदाताओं की जागरूकता बढ़ी है. मेरी खुद की इच्छा है प्रचंड बहुमत से सरकार बने. मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने मानवीय संवेदनाओं के साथ विकास किया. अनोखे प्रकार के राज्य के रूप में मध्यप्रदेश उदित हुआ है.''
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वैसे 2003 से अगर आंकड़ों को देखा जाए, तो बढ़े मत प्रतिशत ने एक दफे तो छोड़कर दो बार सत्ताधारी दल की ही हवा बनाई है. साल 2003 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में 67.25 फीसदी वोटिंग हुई थी. सन 1998 के मुकाबले सात फीसदी अधिक वोटिंग का सीधा फायदा बीजेपी को मिला. साल 2008 में दो फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ, बीजेपी सरकार फिर सत्ता में आई. वर्ष 2013 के चुनावों में भी ढाई फीसदी ज्यादा लोगों ने मतदान किया लेकिन लगातार तीसरी बार बीजेपी जीती.
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इस बार, यानी 2018 में तीन फीसदी ज्यादा मतदान हुआ, इसलिए यह माना जा रहा है कि इन तीन फीसदी वोटरों ने ही जीत की इबारत लिखी है. चुनाव में एक और महत्वपूर्ण फैक्टर है महिला वोटिंग में भी तीन फीसदी की वृद्धि, जो कि भाजपा-कांग्रेस की जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाला है.
VIDEO : अधिक मतदान, किसे देगा सत्ता की कमान
साल 2013 में वोट डालने 70.11 फीसद महिलाएं निकलीं. साल 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 74.03 हो गया. दोनों दलों का मानना है कि महिलाओं की ये बढ़ी तादाद उनके पक्ष में है. फैसला 11 दिसंबर को बाहर आ जाएगा.
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि चुनाव आयोग की अंतिम मतदाता सूची में 5 फीसदी वोटर घटे, उसके बाद ढाई तीन परसेंट मतदान बढ़ा इसका मतलब है ओवरऑल 7-8 स्विंग हुआ है. ऐसे में मतदान 100 परसेंट बीजेपी के खिलाफ है. राज्य में दिल्ली जैसे आश्चर्यजनक परिणाम भी आ सकते हैं.
वहीं बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि ''अच्छी वोटिंग यह साबित करती है कि लोकतंत्र के प्रति मध्यप्रदेश के मतदाताओं की जागरूकता बढ़ी है. मेरी खुद की इच्छा है प्रचंड बहुमत से सरकार बने. मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने मानवीय संवेदनाओं के साथ विकास किया. अनोखे प्रकार के राज्य के रूप में मध्यप्रदेश उदित हुआ है.''
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वैसे 2003 से अगर आंकड़ों को देखा जाए, तो बढ़े मत प्रतिशत ने एक दफे तो छोड़कर दो बार सत्ताधारी दल की ही हवा बनाई है. साल 2003 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में 67.25 फीसदी वोटिंग हुई थी. सन 1998 के मुकाबले सात फीसदी अधिक वोटिंग का सीधा फायदा बीजेपी को मिला. साल 2008 में दो फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ, बीजेपी सरकार फिर सत्ता में आई. वर्ष 2013 के चुनावों में भी ढाई फीसदी ज्यादा लोगों ने मतदान किया लेकिन लगातार तीसरी बार बीजेपी जीती.
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इस बार, यानी 2018 में तीन फीसदी ज्यादा मतदान हुआ, इसलिए यह माना जा रहा है कि इन तीन फीसदी वोटरों ने ही जीत की इबारत लिखी है. चुनाव में एक और महत्वपूर्ण फैक्टर है महिला वोटिंग में भी तीन फीसदी की वृद्धि, जो कि भाजपा-कांग्रेस की जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाला है.
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साल 2013 में वोट डालने 70.11 फीसद महिलाएं निकलीं. साल 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 74.03 हो गया. दोनों दलों का मानना है कि महिलाओं की ये बढ़ी तादाद उनके पक्ष में है. फैसला 11 दिसंबर को बाहर आ जाएगा.
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